बरोदा उप-चुनाव में जीत के बाद भी कांग्रेस में हुड्डा के लिए बढ़ी चुनौतियां

punjabkesari.in Wednesday, Nov 18, 2020 - 10:33 AM (IST)

चंडीगढ़: अधिकांश राज्यों के हुए उप-चुनाव में कांग्रेस की हार जबकि बरोदा उप-चुनाव में कांग्रेस की जीत के बावजूद भी नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अपनी ही पार्टी में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस उप-चुनाव में भूपेंद्र हुड्डा और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी और उप-चुनाव में शैलजा गुट ने अप्रत्यक्ष तौर पर दूरी बनाए रखी थी। दीपेंद्र हुड्डा ने चुनाव में दिन-रात एक किया और कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई लेकिन प्रदेश में यह संदेश गया कि यह कांग्रेस की जीत नहीं, बल्कि हुड्डा की जीत है। कांग्रेस संगठन की बात करें तो ऐसा लगता है जैसे हुड्डा के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल व पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की कई कार्यक्रमों में मौजदूगी जबकि उन कार्यक्रमों में हुड्डा का न होना सवाल खड़े करता है।

पानीपत जिला जो कि हुड्डा के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है और कांग्रेस सरकार के खिलाफ ट्रैक्टर यात्रा निकाले लेकिन हुड्डा वहां मौजूद न हों तो इसे क्या कहा जाएगा। सिरसा व अन्य स्थानों पर हुए कांग्रेस के कार्यक्रमों में भी ऐसी ही स्थिति देखी गई। दूसरी ओर बरोदा के नवनिर्वाचित विधायक इंदुराज नरवाल के शपथ दौरान राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा व हुड्डा समर्थक विधायकों की मौजूदगी तथा पार्टी प्रभारी विवेक बंसल व प्रदेशाध्यक्ष कु. शैलजा तथा उनके समर्थकों की गैर-मौजूदगी सारी स्थिति बयां कर रही है कि पार्टी के भीतर क्या चल रहा है? विवेक बंसल की प्रभारी के तौर पर नियुक्ति के बाद पहला उप-चुनाव और पार्टी प्रत्याशी की जीत लेकिन नवनिर्वाचित विधायक के शपथ दौरान उनकी दूरी ऐसा दर्शाती है कि जैसे पार्टी प्रत्याशी की जीत नहीं, बल्कि किसी और पार्टी प्रत्याशी की जीत है। 

कु. शैलजा के कार्यक्रमों में युवा विधायकों जोकि गुटबाजी से अलग-थलग या फिर शैलजा से जुड़े हैं, उनका मौजूद होना जबकि वरिष्ठ विधायकों का गैर-हाजिर होना दर्शाता है कि अंर्तकलह की पींगे बढ़ चुकी हैं। इतना ही नहीं अम्बाला व पंचकूला नगर निगम के चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति लेकिन उनमें हुड्डा समर्थकों की नजरअंदाजी से ही साफ हो जाता है कि हुड्डा के लिए दिनों-दिन पार्टी के अंदर चुनौतियां बढ़ रही हैं। 

प्रभारी ने पहली ही बैठक में लगाई थी नसीहतों की झड़ी
पार्टी प्रभारी विवेक बंसल ने जब पार्टी की पहली बैठक ली थी तो उन्होंने कुछ ऐसी बातें कही थीं जिसका इशारा सीधा-सीधा हुड्डा की तरफ जाता था। उन्होंने कहा था कि कोई भी नेता पार्टी से बड़ा नहीं होता। उन्होंने कहा था कि अंर्तकलह को वह सख्ती से निपटेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सभी नेताओं की मौजूदगी होनी चाहिए। कांग्रेस के मौजूदा हालातों से लगता है कि उनकी नसीहतें सिर्फ बातें बनकर रह गई हैं। 

कु. शैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात का समय मांगा
सूत्रों की मानें तो कु. शैलजा ने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात का समय मांगा है और माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर चल रहे घटनाक्रम या फिर हुड्डा को लेकर जो भी बातें हैं वह उनके समक्ष रख सकती हैं। कांग्रेस के भीतर नजर दौड़ाएं तो रणदीप सुर्जेवाला, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी, कै.अजय यादव शैलजा खेमे में नजर आते हैं या फिर यह कहा जाए कि हुड्डा को घेरने के लिए उक्त नेता एकजुट हो चुके हैं। कुलदीप बिश्नोई की सक्रियता भी इन दिनों बढ़ी हुई है और वह भी चुपचाप पार्टी हाईकमान के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस संगठन में ही कोई बड़ा बदलाव हो सकता है। 

भाजपा-जजपा को हराने के लिए इनैलो का वोट कांग्रेस में शिफ्ट हो गया : चौटाला
इनैलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का बयान भी राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकत्र्ताओं को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बरोदा उप-चुनाव में भाजपा को हराने के लिए इनैलो का वोटबैंक कांग्रेस में शिफ्ट हो गया था। उन्होंने कहा कि बरोदा में पार्टी कार्यकत्र्ताओं यह लगा कि अगर वोट इधर उधर बंट गया तो भाजपा को फायदा हो सकता है जिसके चलते उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में वोट डाल दिए। उन्होंने कहा कि लोग भाजपा सरकार की नीतियों से तंग है और कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा को बरोदा उप-चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। यहां बता दें कि बरोदा उप-चुनाव में इनैलो प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहा है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Isha

Recommended News

Related News

static