दो बार असफल होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, तीसरे प्रयास में पाई कामयाबी, अब बने HCS
punjabkesari.in Friday, Jan 03, 2020 - 07:17 PM (IST)
कैथल(जोगिंद्र): कैथल जिले के गांव काकौत के डा. सुभाष चंद्र ने असफलता से निराश न होकर इससे सीख लेते हुए बड़ा मुकाम हासिल किया है। वह एचसीएस (एग्जीक्यूटिव) बने हैं। बता दें कि सिंचाई विभाग में मेट फूल सिंह के बेटे डा. सुभाष चंद्र वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे। उसके बाद से ही उन्होंने एचसीएस की तैयारियां जारी रखी।
तीसरे प्रयास में उन्होंने एचसीएस की परीक्षा पास की। उनकी इस सफलता से परिवार सहित क्षेत्र में खुशी की लहर है। बता दें कि सुभाष ने अपनी 12वीं तक की शिक्षा सरकारी स्कूल से ग्रहण की है। 4 भाईयों में दूसरे नंबर पर डा. सुभाष ने बताया कि उनके बड़े भाई रामधारी टीवी मैकेनिक हैं। वे वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे। उनसे छोटे भाई वीरकरण सेना में हैं और उनसे छोटे बृजपाल बीटेक करने के बाद कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं।
सुभाष वर्ष 2011 से ही एचसीएस की तैयारी कर रहे हैं। वर्ष 2012 व 2014 में भी उन्होंने एचसीएस के एग्जाम दिए थे। जिसमें सफल नहीं हो पाए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपनी मेहनत के स्तर को ओर अधिक बढ़ा दिया। बतौर जेबीटी अध्यापक गुहला के गांव हेमू माजरा में ड्यूटी के बावजूद लगातार तैयारी करते रहे। इसके लिए उनका आने-जाने में काफी समय लगता था। फिर भी उन्होंने तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। शनिवार व रविवार को वे दिल्ली में जाकर भी कोचिंग लेते थे। इसके बाद सिगमा में संध्याकालीन बैच में कक्षाएं लगाईं।
इस बीच सरकारी अध्यापक होने के कारण जब तैयारियों में समय कम मिलने लगा तो अपनी सभी तरह की छुट्टियां भी तैयारियों में खर्च कर दी। अक्तूबर माह में परीक्षा का परिणाम आया। डा. सुभाष की मेहनत रंग लाई और वे आज एचसीएस बन गए हैं। डा. सुभाष ने कहा की उनकी पहली प्राथमिकता युवाओं को नशे से दूर रखना होगी। वहीं उनकी पत्नी कमलेश ने कहा कि मेरी इच्छा है कि मेरे पति अपना काम पूरी इमानदारी और पारदर्शिता से करे।