दशरथ मांझी की राह पर चला ये किसान, अकेला ही धरने पर बैठा

punjabkesari.in Sunday, Dec 20, 2020 - 05:06 PM (IST)

पानीपत (सचिन शर्मा): कहते हैं अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता यानी अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता, लेकिन यह भी सच है किसी बड़े काम को करने की कोशिश की जाए तो कोशिशें सफल भी हो जाती हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण पहाड़ तोड़ने वाले दशरथ मांझी देश को पेश कर चुके हैं। ऐसा ही एक और उदाहरण पेश करने के प्रयास में पानीपत लघु सचिवालय के सामने एक किसान धरने पर बैठ गए। 

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सीएम मनोहर लाल के जिले के गांव क्लोसरा का रहने वाला किसान अकेला कृषि कानून के विरोध में और दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए धरने बैठे हैं। धरने पर बैठे किसान से जब यह पूछा कि आप अकेले इस कड़कती ठंड में लघु सचिवालय के सामने क्यों बैठे हो तो उसने पीछे लगे बैनर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जब तक सरकार किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती और दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों और किसान नेताओं की वार्ता सरकार के साथ सफल नहीं हो जाती तब तक पानीपत की इस धरती से किसानों के हक की चौथी लड़ाई लड़ते रहेंगे। 

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वहीं किसान के इसी जज्बे से प्रभावित होकर दिल्ली जा रहे कुछ किसान धरनेस्थल पर रुके और पगड़ी पहनाकर किसान का हौसला बढ़ाया। बता दें कि पानीपत तीन ऐतिहासिक लड़ाईयों का गवाह रहा है, वहीं अब किसानों के हक में चौथी लड़ने वाला यह किसान लगातार 4 दिन से धरने पर बैठा है। अब देखना होगा अकेले किसान की यह लड़ाई क्या रंग लेकर आती है।


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vinod kumar

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