मछली पालन अपनाकर परंपरागत खेती से 7-8 गुना की कमाई कर रहे सिरसा के किसान
punjabkesari.in Friday, Aug 13, 2021 - 06:14 PM (IST)

सिरसा (सतनाम सिंह): सिरसा जिले के कई किसान परंपरागत खेती से हटकर अब दूसरी खेती कर रहे हैं, इन दिनों सिरसा के कई गांवों में सफेद झींगा मछली पालन किया जा रहा है। सिरसा जिले में लगभग 400 एकड़ में झींगा मछली पालन हो रहा है। झींगा मछली पालन करने वाले किसानों का कहना है कि परंपरागत खेती से झींगा पालन में ज्यादा मुनाफा है। 4 से 5 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुनाफा हो रहा है। मत्स्य विभाग द्वारा भी जिला के अन्य किसानों को झींगा मछली पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य जिलों से किसान भी सिरसा जिले में झींगा मछली पालन देखने के लिए आ रहे हैं।
गांव चोरमार में सफेद झींगा फार्मिंग करने वाले किसान गुरप्रीत सिंह का कहना है कि उन्होंने 2018 में ढाई एकड़ में पहली साइट की शुरु की, शुरुआती दौर में आशा के अनुरूप मुनाफा हुआ। हमारे इलाके में खारा पानी व लवणीय भूमि मत्स्य पालन के लिए सटीक बैठती है। किसान गुरप्रीत ने बताया कि आज हम 24 एकड़ में झींगा मछली पालन का काम कर रहे हैं। हमारे काम को देखते हुए अब आस-पास के इलाके में किसान जागरूक हो रहे हैं। परंपरागत खेती से हमें 7 से 8 गुना की कमाई हो रही है।
वहीं जिला मत्स्य अधिकारी जगदीश चंद्र ने बताया कि मछली पालन के द्वारा रोजगार सृजन तथा आय में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। किसान झींगा पालन व्यवसाय अपना कर 110 से 120 दिन में झींगा का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। नीली क्रांति को बढ़ावा देने व रोजगार सृजन के उद्देश्य से सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के लिए इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत अनुदान व अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला श्रेणी के लिए इकाई लागत का 60 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। वहीं इस व्यवसाय को अपनाकर जिले के किसान भी खुशहाल हो रहे हैं।
जिला मत्स्य अधिकारी ने बताया कि वर्तमान समय में मत्स्य पालन विभाग की केंद्रीय प्रायोजित योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना जो कि मत्स्य पालकों के लिए बहुत ही फायदेमंद सिद्ध हो रही है। इस व्यवसाय को अपनाकर आमदनी को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दूसरे जिलों से किसान झींगा के इस प्लांट को देखने के लिए आ रहे हैं, आम किसान भी प्रेरित हो रहे हैं।