बाहर से टैस्ट न करवाने पर PGI में नहीं किया दाखिल, इलाज के लिए तड़प रहा अधेड़

punjabkesari.in Saturday, Dec 03, 2016 - 04:54 PM (IST)

रोहतक: पी.जी.आई.एम.एस. में दर्द का उपचार करवाने के लिए आने वाले मरीजों को दोहरा दर्द ही मिल रहा है। करीब महीने भर पहले एक हादसे का शिकार हुए अम्बाला के रहने वाले संजय का पी.जी.आई. में उपचार हुआ और उसके पेट में नलकी लगाकर छोड़ दिया। कुछ समय बाद उसे बाहर से टैस्ट करवाने के लिए कहा जो काफी महंगा है। वह गरीब होने के कारण टैस्ट नहीं करवा सका तो डॉक्टरों ने उसे दाखिल करने से इंकार कर दिया। पिछले 10 दिन से मरीज संजय अपने दर्द को लेकर पी.जी.आई. के पास ही पड़ा है जिसे सम्भालने वाला कोई नहीं है।

 

जानकारी के अनुसार अंबाला निवासी संजय (47) रोहतक रेलवे स्टेशन पर रेल-प्लेटफार्म के बीच फंसने के कारण घायल हो गया था। उसे पी.जी.आई. में उपचार के लिए भेजा गया जहां उसके पेट में नलकी डाली गई और कुछ समय तक उसकी देखभाल की गई। उसके बाद डॉक्टरों ने एक टैस्ट आर.सी.यू.एम.जी.यू. यह कहते हुए बाहर से करवाने के लिए कहा कि यह टैस्ट पी.जी.आई. में उपलब्ध नहीं है। 

 

बाहर यह टैस्ट 3000 रुपए में किया जाता है। संजय ने बताया कि वह गरीब आदमी है और उसके परिवार में कोई नहीं है। अकेला व गरीब होने के कारण वह टैस्ट नहीं करवा सका तो डॉक्टरों ने उसे पी.जी.आई. में दाखिल करने से इंकार कर दिया। पिछले 10 दिन से संजय अपने मर्ज को लेकर पास ही कैंटीन के बाहर पड़ा है और दर्द में कराह रहा है। खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं और पेट में नलकी भी लगी हुई है जिस कारण वह ठीक से खड़ा भी नहीं हो सकता। ऐसे में युवा इनैलो के सदस्य अजय सिवाच ने उसे खाना खिलाया।

 

अजय का कहना है कि पिछले 5 दिन से वह रोजाना उन्हें खाना व चाय-पानी देते हैं लेकिन डॉक्टर उसे दाखिल नहीं कर रहे। गरीब आदमी बाहर से 3,000 रुपए का टैस्ट नहीं करवा सकता। डॉक्टरों को चाहिए कि वह मरीज का पूर्ण इलाज करें, न कि अधूरे में ही मरीज को सड़क पर मरने के लिए छोड़ दें। मरीज संजय का जल्द इलाज नहीं किया गया तो उसका मर्ज और अधिक गहरा हो जाएगा। इस बारे में जब पी.जी.आई. के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट अशोक चौहान से फोन पर सम्पर्क करना चाहा तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।

 

ठंड में भी पेड़ के नीचे पड़ा है संजय
पिछले 10 दिन से अपने मर्ज को लेकर मरीज संजय पार्किंग के पास पेड़ के नीचे पड़ा है। संजय का कहना है कि डॉक्टर भी अपना धर्म भूल चुके हैं और उसे अधूरा इलाज देकर बाहर निकाल दिया है। बिना टैस्ट के डॉक्टर उपचार नहीं कर रहे और न ही उन्हें दाखिल कर रहे है। पेट में नलकी लगी हुई है और वह अधिक देर तक खड़े भी नहीं रह सकते। रात को काफी ठंड होती है, बावजूद इसके वह पेड़ के नीचे ही पड़े हुए हैं। वह शिकायत भी करे तो किससे क्योंकि उन्हें किसी अधिकारी के बारे में भी जानकारी नहीं है। अगर वह ठीक होते तो कुछ काम करके अपना पेट भर सकते थे।


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