खनन, जमीनों पर कब्जा, कालाधन छिपाने का अड्डा है अरावली

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2019 - 12:33 PM (IST)

गुडग़ांव (पी मार्कण्डेय): देश की धरोहर अरावली सरकारी महकमों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो रही है। बिल्डरों से लेकर खनन माफिया, शिकारियों और जमीन पर दबंगई से कब्जा करने वालों के जरिए सरकारी महकमे खूब माल बटारते रहे हैं। अब पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट संशोधन के लागू होते ही हजारों करोड़ कालाधन छिपाने का महफूज अड्डा होगा अरावली। प्राचीन पहाड़ी और जैव विविधता सहित वन्यजीवों को लेकर सरकारी महकमे कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तमाम विरोध को दरकिनार कर नगर निगम सूफी नाइट्स का आयोजन करने जा रहा है। वाइल्ड लाइफ एक्ट के अनुसार जैवविविधता पार्क में इस तरह के आयोजन आपराधिक माने जाते हैं। वन संरक्षण अधिनियम 1980 अरावली नोटिफिकेशन को ठेंगा दिखाकर इसके अंदर ही एम्फिथिएटर का भी निर्माण किया गया है।

अवैध खनन जारी
भोंडसी, खेड़कीदौला, फरखनगर और बादशाहपुर से सर्वाधिक अवैध खनन की शिकायतें आ रही हैं, जिन पर रोक लगाने सक्षम तंत्र विफल साबित हो रहा है। वर्ष 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली क्षेत्र में खनन को अवैध घोषित कर दिया था लेकिन पत्थर तोडऩे वाले स्टोन क्रशर आज भी चालू हैं। खासकर गुडग़ांव-फरीदाबाद क्षेत्र में पत्थर व्यवसायी अरावली पहाडिय़ों को चुराते जा रहे हैं। एक तो एन.सी.आर. खासकर गुडग़ांव इलाका हरियाली के संकट से जूझ रहा है। दूसरा प्रदूषण उच्चतम स्तर पर है। वहीं, विस्फोट कर पहाड़ों को तोडऩे से वन क्षेत्र भी नष्ट हो रहा है। वन्यजीवों का आशियाना भी सिकुड़ता जा रहा है।

अरावली की सुंदरता को उजाडऩे पर आमादा सरकार 
देश की सबसे प्राचीन पहाड़ी, देश की धरोहर और राजस्थान के रेगिस्तान के फैलाव को रोकने वाले पहरेदार अरावली की गोद मेंं 400 प्रकार के लाखों पेड़-पौधे हैं। 183 तरह के पक्षियों का संवास है। वहीं, 38 से अधिक प्रकार की तितलियां अरावली की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। 40 तरह की घास और जमीनी हरियाली सहित सैंकड़ों प्रकार के जीव-जंतुओं के घर अरावली को सरकार उजाडऩे पर आमादा है। 


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Shivam

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