देवी लाल की जयंती पर हरियाणा से हो सकता है तीसरे मोर्चे का ऐलान!

punjabkesari.in Wednesday, Aug 11, 2021 - 01:31 PM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : इंडियन नैशनल लोकदल के सुप्रीमो एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला अपने पिता स्व. चौ. देवी लाल की राह पर चलते हुए अब लगातार न केवल राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका में नज़र आ रहे हैं, वहीं पिता की मानिंद राष्ट्रीय स्तर के बड़े सियासी चेहरों को संभावित तीसरे मोर्चे के मंच पर एकजुट करने की कवायद में भी जुटे हुए हैं। अपनी इस खास अभियान में चौटाला कई गैर कांग्रेस व गैर भाजपा नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं तो आने वाले दिनों में कई अन्य राजनीतिक दिग्गजों से मिलकर भावी रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक स्व. चौ. देवी लाल की जयंती पर 25 सितंबर को हरियाणा में प्रस्तावित इनैलो की रैली में देश के कई बड़े दिग्गज शिरकत कर सकते हैं तो वहीं इसी दिन तीसरे मोर्चे के विधिवत गठन का ऐलान भी किया जा सकता है । सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला देश के इन बड़े नेताओं को चौ. देवी लाल के जन्मदिन पर होने वाली रैली में शामिल होने के लिए निमंत्रण भी देंगे। 

ममता, लालू व नवीन पटनायक से भी मुलाकात करेंगे चौटाला
गौरतलब है कि इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने इस संदर्भ में सबसे पहले  बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मुलाकात की व उसके बाद उन्होंने सोमवार को  पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवगौड़ा और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ मुलाकात की। मुलायम और चौटाला ने एक साथ लंच भी किया और इस दौरान राजनीतिक चर्चा हुई। मिली जानकारी के मुताबिक अब जल्द ही चौटाला पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित कई अन्य राजनेताओं के साथ मुलाकात करेंगे। अभी बेशक संसदीय चुनावों को काफी वक्त पड़ा है।

हरियाणा में भी अभी विधानसभा के चुनावों को करीब 3 वर्ष समय शेष है, परन्तु इससे पहले अगले वर्ष पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में इन सबके चलते ही गैर भाजपा और गैर कांग्रेस के नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला अभी से प्रयास में जुट गए हैं। इससे पहले ओमप्रकाश चौटाला के पिता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल तीसरे मोर्चे का गठन कर 1989 में गैर कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रहे थे।

उल्लेखनीय है कि साल 1977 में पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद साल 1989 में भी ऐसा हुआ था। उस समय गैर कांग्रेसी दलों ने एक साथ मिलकर सरकार बनाई। तब वी.पी सिंह प्रधानमंत्री बने थे और चौधरी देवीलाल उपप्रधानमंत्री। अब भी अपने पिता से सीखी सियासी रणनीति के तहत चौटाला इसी दिशा में काम कर रहे हैं। केंद्र में भाजपा पिछले करीब सवा सात साल से सत्ता में बनी हुई है। ऐसे में अब गैर भाजपा के लोग भी एक विकल्प की ओर देख रहे हैं। सियासी पर्यवेक्षक इस विकल्प को तीसरे मोर्चे के तौर पर देख रहे हैं। गौरतलब है कि करीब डेढ़ महीने बाद 25 सितम्बर को चौधरी देवीलाल का जन्मदिन है। हर साल इंडियन नैशनल लोकदल की ओर से चौधरी देवीलाल के जन्मदिवस पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया जाता है। इस बार भी यह रैली होनी है। चौटाला पहले भी यह दावा कर चुके हैं निश्चित रूप से चौधरी देवीलाल के जन्मदिन पर ही तीसरे मोर्चे का ऐलान किया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो फिर अगले माह प्रस्तावित इस रैली से सियासी माहौल काफी दिलचस्प हो सकता है। 

विघटन के बाद गिरा था इनैलो का ग्राफ
गौरतलब है कि हरियाणा में पिछले कुछ समय से इनैलो का वोट बैंक कम हुआ है । 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में इनैलो को महज 1 सीट पर जीत मिली और उसे करीब 2.44 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए। इसी साल लोकसभा चुनाव में इनैलो का खाता नहीं खुला और उसे करीब 1.89 प्रतिशत मत मिले थे। पिछले करीब 17 वर्ष से सत्ता से दूर इनैलो ने आज से करीब 21 साल पहले वर्ष 2000 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में 47 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए सरकार बनाई थी। 47 सीटों का यह आंकड़ा 2019 में 1 सीट पर आकर सिमट गया है, पर इन विकट परिस्थितियों में भी इनैलो के लिए सकारात्मक पहलू यह है कि इनैलो नेता अभय नेता चौटाला पूरी हिम्मत के साथ राजनीतिक रण में डटे रहे और अब इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला जेल से रिहा होने के बाद एक्टिव मोड में आ गए हैं।

खास बात यह है कि इनैलो में विघटन होने के बाद ही पार्टी को अधिक नुक्सान पहुंचा है।  7 अक्तूबर 2018 को गोहाना में हुई रैली में पार्टी में दरार की नींव पड़ी। इसके बाद इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अजय सिंह चौटाला, दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। दिसम्बर 2018 में दुष्यंत चौटाला ने नई पार्टी बना ली। इसी बीच इनैलो से करीब 18 विधायक दूसरे दलों के पाले में चले गए थे। उसके बाद 2019 में बनी गठबंधन सरकार में दुष्यंत चौटाला 10 सीटों के साथ उप मुख्यमंत्री बन गए और इनैलो से केवल अभय सिंह चौटाला ही चुनाव जीत पाए।

वोट बैंक वापस लाने की कवायद
इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला अब पार्टी के पुराने वोट बैंक को वापस लाने की कवायद में भी जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में इनैलो का अधिकांश वोट बैंक जजपा में खिसक गया था। इनमें सबसे अधिक युवा वर्ग शामिल था। अब चौटाला अपने इस कोर वोट बैंक को वापिस लाने का पूरा प्रयास करेंगे। यही वजह है कि चौटाला 22 जून के बाद से ही लगातार सक्रिय हैं। वे टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के बीच पहुंचे हैं और साथ ही प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ा रहे हैं । वे रूठे कार्यकर्ताओं को वापिस पार्टी में लौटने की भी अपील करते नज़र आते हैं।

इसके बाद चौटाला से मिलने जनता दल यूनाइटेड के महासचिव के.सी. त्यागी गुरुग्राम में पहुंचे। इसी बीच मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भी उनसे मुलाकात की थी। हालांकि यह मुलाकात अस्पताल में हुई थी, मगर इसके भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। विशेष बात यह है कि अब पिछले कुछ माह से चौटाला ने अपने पौते कर्ण चौटाला को अपना सारथी बनाया हुआ है। चौटाला जहां तीसरे मोर्चे को लेकर सक्रिय हैं, तो वहीं वे अब अपने पौते को भी राजनीतिक गुर दे रहे हैं।

समय की जरूरत है तीसरा मोर्चा: अभय चौटाला
इनैलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला का कहना है कि वर्तमान में देश में तीसरे मोर्चे का गठन समय की जरूरत है और देश के लोग कांग्रेस के बाद अब भाजपा के शासन से भी तंग आ चुके हैं । ऐसे में पूरा देश एक विकल्प की तलाश में है और तीसरा मोर्चा कांग्रेस व भाजपा के खिलाफ सशक्त विकल्प बन कर सामने आ सकता है । अभय चौटाला ने कहा कि 1989 के बाद एक बार फिर चौ. देवी लाल की नीतियों पर चलते हुए चौ. ओमप्रकाश चौटाला देश में सामान विचारधारा वाले नेताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं और इसमें निश्चित तौर पर सफल होंगे । 


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Content Writer

Manisha rana

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