हरियाणा में अगले 3 दिन में बदलेगा मौसम का मिजाज, तापमान में आएगी गिरावट

punjabkesari.in Wednesday, Oct 21, 2020 - 02:57 PM (IST)

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा में मौसम का मिजाज बदलने लगा है। मौसम में सुबह से ही बादलवाई से जहां किसानों को थोड़ी राहत मिलती दिखाई रही है। किसान अब बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। फसलों की कटाई के बाद अब बिजाई का मौसम शुरु हो गया है और अब किसान अपनी खाली जमीनों को पानी दे रहे हैं।

इधर मौसम विभाग की तरफ से पूर्वानुमान जारी किया गया है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन दिनों तक मौसम परिवर्तनशील रहेगा। इस दौरान हल्की बादलवाई के साथ साथ तापमान में हल्की गिरावट दर्ज की जाएगी। विभाग के मुताबिक प्रदेश में आमतौर पर अधिकतम 31 से 34 डिग्री और न्यूनतम 10 से 13 डिग्री तापमान रहने की संभावना है। 

 
मौसम पूर्वानुमान:-

हरियाणा राज्य में 24 अक्तूबर तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील परन्तु खुश्क रहने की संभावना है। हवा में बदलाव -पूर्वी से उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने की संभावना को देखते हुए तापमान में हल्की गिरावट संभावित। इस दौरान अधिकतम तापमान 31 से 34 डिग्री व न्यूनतम तापमान 10 से 13 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।

मौसम आधारित कृषि सलाह

  • सरसों की बिजाई उन्नत किस्मों आरएच 725, आरएच 749, आरएच 30 , आर एच 406 आदि के प्रमाणित बीजों से करे। बिजाई से पहले 2ग्राम
  • कारबेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से अवश्य  उपचारित  करें।
  •  गेहूं की बिजाई के लिए अगेती बिजाई वाली उन्नत किस्मों के बीजों का प्रबंध करे व खाली खेतों को अच्छी प्रकार से तैयार करे ताकि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में तापमान अनुकूल होने पर अगेती बिजाई शुरू की जा सके।
  • अगेती बिजाई के लिए यदि अच्छा पानी उपलब्ध हो तो डब्लू एच 1105, एच डी 2967 ,एचडी 3086 व डब्लू एच 711 किस्मों के प्रयोग करे।
  • यदि कम पानी उपलब्ध हो तो अगेती बिजाई के लिए सी 306, डब्लू एच 1080 , डबलू एच 1142 किस्मों के प्रयोग किया जा सकता है।
  • देसी चने की बिजार्इ के लिए खेत को अच्छी प्रकार से तैयार करे तथा उन्नत किस्मों के साथ बिजाई शुरू करे। देसी चने की उन्नत किस्मों बारानी व सिंचित क्षेत्रों के लिए एचसी 1 तथा सिंचित क्षेत्रों के लिए एचसी 3 (मोटे दाने वाली किस्म) व एचसी 5 किस्मों का प्रयोग करे। बिजाई से पहले बीज का राइजोबियम के टीके से उपचार करें।इस उपचार से जड़ों में ग्रन्थियां अच्छी बनती हैं।
  • मौसम परिवर्तनशील व खुश्क रहने की संभावना देखते हुए सब्जियों व फलदार पौधों तथा हरे चारे की फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करे।
  • नरमा कपास की चुनाई सूर्य निकलने के बाद शुरू करे ताकि सुबह ओस के कारण उत्पादन की क्वालिटी पर प्रभाव न पड़े।
  • धान की कटाई व कढाई करने के उपरांत पराली को भूमि में दबाये व उर्वरा शक्ति को बढाये व आगामी फसल का अधिक उत्पादन प्राप्त करे।
  • किसान भाई फसल बेचने के लिए मंडी में मास्क अवश्य पहन कर रखे तथा सामाजिक दूरी बना कर रखे ताकि कोरेना से बचाव हो सके।

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Isha

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