हुड्डा के ‘अल्टीमेटम’ के बाद ‘एक्शन’ में हाईकमान

punjabkesari.in Tuesday, Jul 30, 2019 - 10:14 AM (IST)

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच पिछले लंबे अरसे से चल रही खींचतान के दौरान जहां बीते दिवस पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा आक्रामक तेवरों के साथ 18 अगस्त को अपने गृह जिला रोहतक में परिवर्तन महारैली करने का ऐलान किया है, उससे साफ हो गया है कि अब हुड्डा व उनके समर्थक प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर न तो इंतजार के मूड में हंै और न ही कांग्रेस में उन्हें अपना भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है। हुड्डा द्वारा अपने समर्थक विधायकों के साथ किए गए मंथन के बाद रैली की घोषणा से कांग्रेस हाईकमान भी एक्शन मोड में आ गया है।

कांग्रेस के नजदीकी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाईकमान जहां अब प्रदेश कांग्रेस में बदलाव करने बारे जल्द फैसला कर सकता है तो वहीं हुड्डा को कांग्रेस से ‘बाहर कदम’ रखने से पहले मनाने का प्रयास भी किया जा सकता है। इस बीच 2 अगस्त को हरियाणा विधानसभा का सत्र भी शुरू होने जा रहा है। ऐसे में उससे पहले कांग्रेस हाईकमान को यह भी निर्णय लेना है कि कांग्रेस विधायक दल के नेता पद पर किरण चौधरी ही बनीं रहेंगी या फिर उनके स्थान पर किसी अन्य कांग्रेस नेता को यह पद दिया जा सकता है, क्योंकि विधायकों के आंकड़े के मुताबिक अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस के पास जाने वाला है। सियासी पर्यवेक्षकों के मुताबिक प्रदेश नेतृत्व के साथ साथ विधायक दल के नेता को लेकर भी हाईकमान को जल्द फैसला लेना होगा। इसलिए आने वाले तीन दिन कांग्रेस की सियासत में हरियाणा के लिए काफी अहम हो सकते हैं। 

समर्थक विधायकों के दबाव में अपनाने पड़े आक्रामक तेवर
गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव को लेकर एक लंबे इंतजार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अपने समर्थक विधायकों के दबाव के चलते अंतत: आर-पार की स्थिति में आना ही पड़ा है। हुड्डा 18 अगस्त को रोहतक में प्रस्तावित परिवर्तन महारैली के जरिए जहां अपनी सियासी ताकत दिखाएंगे तो उससे पहले 4 अगस्त को प्रदेश भर के अपने समर्थकों की एक बैठक भी रोहतक बुला ली है जिसमें भावी रणनीति तय करने के साथ साथ रैली की रूपरेखा तो निर्धारित होगी ही वहीं दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि इस बैठक की घोषणा करके कांग्रेस हाईकमान को एक तरह से लगभग एक सप्ताह का अल्टीमेटम दे दिया है कि या तो फैसला करो नहीं तो ‘फैसला’ हम करेंगे। हुड्डा की इस बैठक में लिए गए निर्णय के कई मायने निकाले जाने लगे हैं।

संभवत: इसी के दृष्टिगत अब हाईकमान भी एक्शन मोड में आ गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में सांगठनिक बदलाव संभावित है और जल्द ही इस पर बड़ा फैसला आ सकता है। हाईकमान प्रदेश कांग्रेस की कमान किसके हाथों सौंपता है? इसके बारे में फिलहाल साफतौर पर नहीं कहा जा सकता है मगर हुड्डा द्वारा रविवार को की गई बैठक व लिए गए फैसले के बाद पार्टी के ङ्क्षथकटैंकरों ने मंथन शुरू कर दिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की इस बैठक को हर दृष्टिकोण से आंक रहा है क्योंकि यह बैठक जहां विधानसभा चुनावों से ऐन पहले हुई है वहीं हुड्डा के आक्रामक तेवर पार्टी के लिए कहीं सियासी तौर पर खतरनाक साबित न हो जाएं?

इन इलाकों में है हुड्डा का प्रभाव
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हरियाणा की सियासत में अपना एक वजूद और दबदबा है। वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और पार्टी को कुल 15 सीटें हासिल हुईं तब इनमें से अधिकांश सीटें हुड्डा के प्रभाव वाले क्षेत्रों से ही कांग्रेस की झोली में आई। अब हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी दस संसदीय सीटें जीती तो वहीं 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 79 सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली और शेष 11 सीटों में से 10 सीटें कांग्रेस ने जीती जिसमे 7 केवल हुड्डा के प्रभाव वाले रोहतक व सोनीपत संसदीय सीटों के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों से ही जीती। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान हुड्डा के तीखे तेवरों को देखते हुए उन्हें मनाने का हर संभव प्रयास कर सकता है, क्योंकि हुड्डा के कांग्रेस से बाहर कदम रखते ही रोहतक व सोनीपत इलाकों में भी कांग्रेस के लिए राह मुश्किल हो सकती है। 


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Shivam

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