BJP हाई कमान द्वारा घोषित भावी CM नायब सैनी के फैसले के बाद अनिल विज ने बयान ने बढ़ाई हलचल

punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2024 - 03:05 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): भाजपा हाई कमान द्वारा घोषित भावी मुख्यमंत्री नायब सैनी के फैसले के बाद अनिल विज ने बयान ने बढ़ाई हलचहरियाणा में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने भाजपा के बहुमत आने पर मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी वरिष्ठता के आधार पर दावा ठोकने का मन बना लिया है। कट्टर आरएसएस, जनसंघ, भाजपा विचारधारा के अनिल विज ने नामांकन पत्र भरने के बाद इस प्रकार का दावा करके भाजपा हाई कमान को जागृत करने का भी प्रयास किया है। गौरतलब है कि अनिल विज हरियाणा की अंबाला छावनी सीट से 6 बार पहले चुनाव जीत चुके हैं। 

अनिल विज ने कहा है कि ‘मैं 6 बार का विधायक रह चुका हूं, अब 7वीं बार चुनाव लड़ रहा हूं’। ‘मैने आज तक पार्टी से कुछ नहीं मांगा, ‘पूरे प्रदेश से लोग मेरे पास आ रहे हैं और अंबाला में भी जहां भी मैं गया हूं, हर कोई कह रहा है कि आप सीनियर मोस्ट हो, ‘आप मुख्यमंत्री क्यों नहीं बने’ ? ‘मैं अपनी सीनियोरिटी के दम पर मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश करुंगा’ ‘पार्टी मुख्यमंत्री बनाती है या नहीं बनाती है’। ‘यदि मुझे मुख्यमंत्री बना दिया तो मैं हरियाणा की तकदीर बदल दूंगा, मैं हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा’।  

आज से करीब 34 साल पहले 27 मई 1990 को तत्कालीन सातवीं हरियाणा विधानसभा में दो रिक्त हुई सीटों पर उपचुनाव हुए थे। उस समय ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री हुआ करते थे। तब दडवा कला हलके से जनता दल की टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और अंबाला कैंट से अनिल कुमार विज विधायक निर्वाचित हुए थे। तब अनिल विज की आयु 37 वर्ष की थी। बैंक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अनिल विज 2019 में हुए 14वीं विधानसभा के चुनाव में लगातार तीसरी बार और कुल छठी बार अंबाला छावनी से चुनाव जीते थे। 

अगर अंबाला छावनी का इतिहास जाना जाए तो करीब 57 वर्ष पूर्व ज्वाइंट पंजाब से अलग होने के बाद एक नवंबर 1966 को हरियाणा नया राज्य बना था। 13 विधानसभा चुनावों और एक उपचुनाव में अंबाला छावनी से सात बार भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, वर्तमान भाजपा और पांच बार कांग्रेस ने विजयश्री हासिल की। दो बार यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में अनिल विज भी जीते हैं। सर्व प्रथम 1967 में हुए चुनाव में यहां से देवराज आनंद भारतीय जनसंघ के पी नाथ को हराकर अंबाला छावनी से पहले विधायक बने थे। 

उल्लेखनीय है कि भाजपा की तेज तर्रार और राष्ट्रीय नेता के रूप में छवि रखने वाली सुषमा स्वराज हरियाणा से संबंधित है तथा 1987 में विधानसभा के आम चुनाव में अंबाला छावनी से ही विधायक और मंत्री बनी थी। अप्रैल 1990 में सुषमा स्वराज को राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया था, जिसके चलते उन्हें विधायक के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। भाजपा की इस दिवंगत नेत्री ने 1977 व 1987 में पहले जनसंघ और फिर भाजपा की टिकट पर अंबाला से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। जनसंघ को अंबाला छावनी की सीट सबसे पहले 1968 में मिली, जब जनसंघ में उम्मीदवार रहे भगवान दास सहगल ने देव राज आनंद को पराजित किया था। सुषमा स्वराज भी अपने समय में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से थी, लेकिन उस समय भाजपा के पास अपना गणित नहीं था। भाजपा बैसाखी के सहारे चुनाव लड़ती थी। सुषमा स्वराज की यह इच्छा दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने पर पूरी हुई थी। 
अनिल विज को 1991 में सातवीं हरियाणा विधानसभा समय से पूर्व भंग हो जाने पर फिर से चुनाव लड़ना पड़ा और जून 1991 में अनिल विज भाजपा की टिकट पर यहां विजय रहे थे।

बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में उस समय के हालात के अनुसार अनिल विज को भाजपा से किनारा करना पड़ा और एक अप्रैल 1996 तथा फऱवरी 2000 में हुए दो विधानसभा चुनावों में निर्दलीय के रूप में अंबाला कैंट से विधायक बने। 2005 में विधानसभा के आम चुनाव में अनिल विज 615 वोट से अपनी हैट्रिक बनाने से चूक गए। 2007 में उन्होंने विकास परिषद के नाम से अपनी एक अलग राजनीतिक पार्टी भारतीय चुनाव आयोग से पंजीकृत करवाई। 2009 में हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा उन पर फिर से भरोसा जताया गया और उन्हें भाजपा की टिकट दी गई। विज 2009, 2014, 2019 में लगातार तीन बार विधायक बने और अपनी हैट्रिक लगाई। 

अनिल विज की ओर से 2024 के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र भरने के कुछ दिन बाद यह शब्द कहना ‘यदि मुझे मुख्यमंत्री बना दिया तो मैं हरियाणा की तकदीर बदल दूंगा, मैं हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा’, राजनीतिक रूप से बहुत बड़े बयान हैं। अनिल विज ने अपनी लंबी राजनीतिक पारी में आज तक अपनी पार्टी जनसंघ, भाजपा से अतीत से कभी कुछ नहीं मांगा। जिस प्रकार 2024 में बदले राजनीतिक घटनाक्रम में 12 मार्च 2024 को मनोहर लाल खट्टर की जगह मुख्यमंत्री पद पर नायब सिंह सैनी की ताजपोशी हुई। अनिल विज ने उस माहौल में मंत्रीमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला लिया। भाजपा में रहकर भाजपा के सिद्धांतों को अपनाते हुए लगातार राहुल गांधी और कांग्रेस के दिग्गजों पर विज निशाना साधते रहे, लेकिन भाजपा से कभी विमुख नहीं हुए। 

अनिल विज द्वारा मुख्यमत्री का दावा किए जाने के बयान को राजनीतिक दृष्टिकोण से भले ही भाजपा में स्वीकार ना किया जाए, क्योंकि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने नायब सिंह सैनी को हरियाणा का भावी मुख्यमंत्री भी घोषित किया हुआ है और उनके चेहरे पर भाजपा हरियाणा में चुनाव लड़ रही है। विज के इन बयानों से भाजपा में सुगबुगाहट और बेचैनी होना स्वाभाविक है, क्योंकि अनिल विज बतौर गृह मंत्री रहते हुए जनता दरबार लगाकर अपनी लोकप्रियता स्थापित कर चुके हैं। सभी जातियों तथा धर्मों के लोग अनिल विज को जाति व धर्म से अलग होकर अपना समर्थन दबी जुबान में अवश्य करते हैं।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Isha

Related News

static