पिता को अंतिम समय में मिलने के लिए नहीं दी गई थी वाई पूरण कुमार छुट्टी, मौत से पहले बयां किया दिल का दर्द...पढ़िए पूरी शिकायत
punjabkesari.in Thursday, Oct 09, 2025 - 08:36 AM (IST)

चंडीगढ़: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार का आठ पन्नों का फाइनल नोट (सुसाइड नोट) सार्वजनिक हो गया है। इसमें उन्होंने 2020 से वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से जारी जातीय भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा कि मैंने वर्षों तक समान व्यवहार की मांग की पर मेरे साथ सिर्फ भेदभाव हुआ।
निरंतर मानसिक और जातीय उत्पीड़न अब असहनीय हो गया है। मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी मौत के बाद कम से कम सच्चाई सामने आए। फाइनल नोट में पूर्व डीजीपी मनोज यादव, पूर्व आईएएस टीवीएसएन प्रसाद, डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर, एडीजीपी अमिताभ ढिल्लों, एडीजीपी संजय कुमार, आईजी पंकज नैन, आईपीएस कला रामचंद्रन, आईपीएस संदीप खिरवार, आईपीएस सिबाश कबीराज और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर सुनियोजित रूप से मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
सुसाइड नोट में लिखा है कि यह जाति आधारित भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, लक्षित मानसिक उत्पीड़न और अत्याचार 2020 में अंबाला के एक मंदिर में जातीय भेदभाव की घटना से शुरू हुआ। हरियाणा के तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव ने इसे शुरू किया और फिर यह लगातार बढ़ता गया। पूरण कुमार ने कहा कि उन्हें झूठे केसों में फंसाने की धमकी दी गई, उनके वाहन और आवास संबंधी अधिकारों से वंचित किया गया, और गोपनीय दस्तावेज मीडिया में लीक कर उनकी प्रतिष्ठा धूमिल की गई।
डीजीपी कपूर-एसपी बिजारणिया ने प्रतिष्ठा धूमिल की
डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने न सिर्फ अन्य अधिकारियों को मेरे खिलाफ उकसाया बल्कि मेरे एसपी रोहतक नरेंद्र बिजारणिया के जरिए भी मेरी प्रतिष्ठा धूमिल करने की कोशिश की। पूरण कुमार ने अपने नोट में यह भी लिखा कि वे अब अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि उनके साथ जो हुआ, वैसा किसी ईमानदार अधिकारी के साथ न हो।
तत्कालीन गृह सचिव राजीव अरोड़ा पर आरोप लगाते हुए उन्होंने लिखा कि उन्होंने समय पर अर्जित अवकाश की मंजूरी नहीं दी जिसके कारण मैं अपने पिता के निधन से पहले उनसे मिलने नहीं जा सका। इसकी अपार पीड़ा आज भी है। इसको लेकर भी सभी वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। मनोज यादव के बैचमेट और तत्कालीन मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद और तत्कालीन डीजीपी पीके अग्रवाल ने भी मेरे खिलाफ इसी तरह का व्यवहार जारी रखा। इस पर भी मेरी शिकायतें आधिकारिक रिकॉर्ड में हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। मेरी सभी शिकायतें और अपील सबूत हैं। जो मेरे खिलाफ जारी मानसिक उत्पीड़न और अत्याचार को दर्शाते हैं।
सार्वजनिक रूप से किया अपमानित
आईपीएस डॉ. एमएफ किरण, आईपीएस (1996) ने एक एक्स-कैडर पोस्ट पर तैनात करने के लिए मुझे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। इस संबंध में गोपनीय पत्रों को गलत तरीके से पेश किया गया और पूरी प्रक्रिया में अनिवार्य समय सीमा का पालन नहीं किया जा रहा है जिससे पूरी प्रक्रिया गलत हो रही है।आईपीएस संदीप खिरवार व आईपीएस सिबास कबीराज ने गुरुग्राम में पोस्टिंग के दौरान झूठे मामलों में उन्हें फंसाने की साजिश रची। दोनों के संदिग्ध लेन-देन और असंगत संपत्ति विवरण भी संबंधित अधिकारियों के ध्यान में लाया, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आईपीएस कला रामचंद्रन की ओर से फर्जी शपथपथ दायर किया
इस संबंध में 13 मार्च 2025 को सूचना मिली कि यह मामला सरकार के विचाराधीन है, हालांकि आज तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वे लिखते हैं कि उन्होंने कुछ समानता के मुद्दे उठाए थे, जैसे कि अर्जित अवकाश की समय पर स्वीकृति, पात्रता के अनुसार सरकारी वाहन व सरकारी आवास का आवंटन, कैडर प्रबंधन के लिए गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को नियमानुसार लागू करना और आईपीएस अधिकारियों के लिए पूजा स्थलों के लिए पीपीआर नियमों को सामान रूप से लागू करना। मगर इन मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय, मेरे ही खिलाफ दुर्व्यभावना से कार्रवाई की जाने लगी। डीजीपी ने दुर्भावना से खराब की अप्रेजल रिपोर्ट पूरण कुमार ने शत्रुजीत कपूर पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी सुविधाओं और वेतन भुगतान में 1.1.2015 से प्रभावी अपने पैसों का निपटान करवाया, लेकिन 2001 बैच के आईपीएस अधिकारियों को समान लाभ नहीं दिया गया। इससे उन्हें वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। पंचकूला में आधिकारिक आवास देने के समय मेरे लिए अतिरिक्त नियम लागू किए गए। साथ ही डीजीपी कार्यालय की ओर से गलत शपथ पत्र दायर किया गया, जिसमें पुलिस गेस्ट हाउस की मौजूदगी का झूठा दावा किया गया।
इसके साथ ही उन्होंने पूर्व डीजीपी पोके अग्रवाल, मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी का भी नाम लिखा है। उन्होंने कहा ये सभी अधिकारी जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न के मुख्य साजिशकर्ता रहे। सभी मामलों और शिकायतों को विभिन्न अधिकारियों और गृह मंत्रालय तक लिखा, मगर आज तक कोई समाधान नहीं हुआ।
नवंबर 2023 में आधिकारिक वाहन वापस लेना भी शत्रुजीत कपूर की देखरेख में हुआ। अप्रेजल रिपोर्ट में गलत, काल्पनिक और पक्षपाती टिप्पणियां की गई। इसे गृह सचिव को लिखित रूप में बताया मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह भी आरोप है कि शत्रुजीत कपूर ने जातिगत टिप्पणियां भी की। डीजीपी कार्यालय और संबंधित अधिकारियों द्वारा नाममात्र की गुमनाम शिकायतें बढ़ावा दी गई। इससे उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित और मानसिक उत्पीड़ित किया गया। कपूर ने एसपी रोहतक को प्रेरित किया, ताकि पूरण कुमार का नाम और प्रतिष्ठा नुकसान में रहे।