IPS Suicide Case: हरियाणा में पहली बार डीजीपी पर FIR, रोहतक एसपी, 2 पूर्व डीजीपी, पूर्व सीएस समेत 13 लोगों पर गिरी गाज
punjabkesari.in Friday, Oct 10, 2025 - 11:33 AM (IST)

चंडीगढ़: आईजी वाई पूरन कुमार के 8 पेज के सुसाइड नोट के आधार पर चंडीगढ़ के सेक्टर-11 पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर ली है। इसमें पहली बार डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पूर्व डीजीपी मनोज यादव, पूर्व डीजीपी पीके अग्रवाल, पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, पूर्व एसीएस राजीव अरोड़ा, एडीजीपी संदीप खिरवार, एडीजीपी अमिताभ विल्लो, एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर संजय कुमार, एडीजीपी माटा रवि किरन, पंचकूला पुलिस आयुक्त सिवास कविराज, अम्बाला रेंज के आईजी पंकज नैन, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया, आईपीएस कला रामचंद्रन समेत 13 अधिकारियों को नामजद किया है। वहीं, सुसाइड नोट के आधार पर मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, आईपीएस कुलविंद्र सिंह के नाम का भी जिक्र है।
पुलिस ने अरोपियों पर बीएनएस की धारा 108 व धारा 3(5) के अलावा एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(1) (आर) व पीओए एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया हैं। इस संबंध में रात करीब 10:45 बजे महज 2 लाइन का प्रेस नोट जारी किया गया। बताया जा रहा है कि मामला पीएमओ व केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंच गया था। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर 7 दिन के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
गौर रहे कि हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी दोपहर 12:30 बजे सीएम के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, सीआईडी आईजी सौरभ सिंह के साथ सोनिया आईएएस अमनीत पी. कुमार से मिलने चंडीगढ़ के सेक्टर-24 स्थित कोठी नंबर-132 पर पहुंचे। उन्होंने अमनीत को सांत्वना दी और अलग से करीब एक घंटे तक बातचीत की। सीनियर आईएएस अमनीत पो. कुमार ने सीएम को 2 पेज का ज्ञापन दिया।
इसमें लिखा, 'सुसाइड नोट और औपचारिक शिकायत के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। कार्रवाई न होने का कारण यह है कि हरियाणा पुलिस और प्रशासन के हई रैंक वाले अधिकारी मामले में आरोपी हैं। ये चंडीगढ़ पुलिस को प्रभावित कर रहे हैं। ये अधिकारी मेरे और मेरे परिवार को बदनाम करने और विभागीय रूप से या अन्यथा मुझे फंसाने की कोशिश करेंगे। इसलिए मेरी मांग है कि सुसाइड नोट और शिकायत में नामित सभी व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए। सभी आरोपियों की तत्काल निलंबन और गिरफ्तारी हो, ताकि जांच में कोई हस्तक्षेप, साक्ष्यों से छेड़छाड़ न हो। मेरे परिवार को आजीवन सुरक्षा चाहिए।