जींद उप-चुनाव: पुलिस-प्रशासन की अग्नि परीक्षा
punjabkesari.in Saturday, Jan 12, 2019 - 10:43 AM (IST)
जींद(मलिक): 28 जनवरी को हो रहे जींद उप-चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से करवाना जींद पुलिस और प्रशासन के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा। वजह यह है कि जींद का चुनावी इतिहास हिंसा से अछूता नहीं रहा है। उप-चुनाव दौरान शांति बनाए रखने के लिए लगभग 3 हजार जवानों की जरूरत जींद पुलिस ने महसूस की है।
1982 के विधानसभा चुनावों से जींद में चुनावी ङ्क्षहसा की शुरूआत हुई
जींद विधानसभा क्षेत्र और जींद जिले का चुनावी इतिहास ङ्क्षहसा से कतई अछूता नहीं है। 1982 के विधानसभा चुनावों से जींद में चुनावी ङ्क्षहसा की शुरूआत हुई थी। तब जींद विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला कांग्रेस के मांगे राम गुप्ता और लोकदल के बृज मोहन सिंगला के बीच था। उस समय मतगणना के दौरान दोनों के समर्थकों के बीच झड़प हुई थी। स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई थी और हालात संभालने में जींद के तत्कालीन प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की सांसें फूल गई थीं। इसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन जनता दल उम्मीदवार जयप्रकाश तथा कांग्रेस उम्मीदवार बीरेंद्र सिंह के समर्थकों के बीच जींद में जमकर चुनावी झड़प हुई थी।
नौबत फायरिंग और गाडिय़ों में आग लगा देने तक की आ गई थी। हालात को संभालना तब भी पुलिस के लिए बेहद मुश्किल हो गया था। 1996 के विधानसभा चुनावों दौरान नरवाना में हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार जय प्रकाश एवं इनैलो नेता अजय सिंह चौटाला के समर्थक आपस में भिड़ गए थे, तब सी.आर.पी.एफ. का एक जवान गोली लगने से घायल हो गया था। बाद में सी.आर.पी.एफ. को जबरदस्त लाठीचार्ज और फायरिंग करनी पड़ी थी।
2009 में जींद में हुई थी चुनावी झड़प
2009 के विधानसभा चुनावों के समय भी जींद में ङ्क्षहदू कन्या कालेज के मतदान केंद्र के बाहर कांग्रेस उम्मीदवार मांगे राम गुप्ता और इनैलो उम्मीदवार डा. हरिचंद मिड्ढा के समर्थक आमने-सामने हो गए थे। दोनों के बीच जमकर पथराव हुआ था और हालात संभालने के लिए खुद तत्कालीन डी.सी. मोहम्मद साइन और एस.पी. बी. सतीश बालन को मौके पर पहुंचना पड़ा था।