Haryana news: फिरौती, गैंगस्टरों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को छिपा रही पुलिस, किसानों से भी लगता है डर !

punjabkesari.in Wednesday, Jul 24, 2024 - 03:37 PM (IST)

कैथल (जयपाल रसूलपुर): जनता की नजर में अपराध के ग्राफ को कम करने के लिए जिला पुलिस ने कुछ समय से नया फार्मूला निकाल लिया है। बड़े मामलों में अपराधियों को रोकने या कानून व्यवस्था संभालने में पुलिस फेल रहती है तो दर्ज हुई एफआईआर को ही छिपा लेती है। किसी से रंगदारी मांगी जाती है तो एफआईआर तो दर्ज होती है, लेकिन जनता को अपराधियों के बुलंद हौसलों का पता न चले इसलिए मीडिया से केस छिपाने का प्रयास करती है। पुलिस द्वारा दबाए जा रहे किसी बड़े मामले की मीडिया को भनक लग जाए तो थाने के कर्मचारियों को ही शक की निगाह से देखा जाता है। कई बार तो उनसे जवाब भी तलब होते हैं।

जनता को जिले में हो रहे अपराधों की जानकारी न मिले इसके लिए बीते कुछ महीनों से पुलिस द्वारा दर्ज किये केसों को छिपाना आम होता जा रहा है। इनमें अपराधियों के अलावा किसानों पर दर्ज केस भी शामिल हैं, जिन्हें मार्च में पुलिस ने छिपाने का प्रयास तो किया, लेकिन सफल नहीं हुई थी। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद पुलिस एफआईआर को ऑनलाइन करने से भी बचती है। 

जानिए पुलिस किस प्रकार छिपाती है केस

किसानों पर दर्ज केस को छिपाया

गेहूं के सीजन में ढांड अनाज मंडी में बारदाना देने की मांग को लेकर 27 मार्च को समाजसेवी विकास तंवर के नेतृत्व में सैकंडों किसानों ने ढांड के पंचमुखी चौक पर जाम लगा दिया था। किसानों की मांग थी कि उनका गेहूं साइलो गोदाम की बजाय ढांड अनाज मंडी में ही बिके। पुलिस ने थाना के सिक्योरिटी एजेंट ईएचसी की शिकायत पर विकास तंवर सहित 86 लोगों को नामजद व 300 अन्य किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया था। इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। पुलिस ने केस को सार्वजनिक करने की बजाय छिपाने का भरसक प्रयास किया। जिससे पता न चले कि किन-किन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है।

व्यापारी से रंगदारी मांगी, पुलिस छिपाए बैठी रही

बदमाशों ने मई महीने में पूंडरी निवासी दुकानदार के पास कॉल करके रंगदारी मांगी थी। आरोपियों ने पहले 28 मई को एक विदेशी नंबर से व्हाट्सएप कॉल करके बोला कि नवीन ट्योंठा बोल रहा हूं, मेरे को 10 लाख रुपए दे, नहीं तो मैं तेरे को व तेरे परिवार के किसी भी सदस्य को मरवा दूंगा। फिर 30 मई को दोबारा रंगदारी के लिए कॉल आई। मामले में पुलिस ने धारा 384, 386, 506, 120 बी व आर्म्स एक्ट के तहत पूंडरी थाना में एफआईआर नंबर 230 दर्ज की। जनता को पता न चले कि बदमाश व्यापारियों को कॉल करके रंगदारी मांगने में लगे हैं, इसलिए पुलिस केस को छिपाए बैठी रही। जब आरोपी को पकड़ा तो वाहवाही लूटने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस तक बुलाई गई।

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जोगिंद्र ग्योंग ने फर्जी पासपोर्ट बनवाया, पुलिस ने केस छिपाया

गैंगस्टर जोगिंद्र ग्योंग 9 जुलाई को फिलीपींस में वहां की स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जोगिंद्र ग्योंग के खिलाफ कैथल सहित प्रदेश के कई जिलों व आसपास के प्रदेशों में 30 से ज्यादा केस दर्ज हैं। पकड़े जाने के बाद थाना सदर के सिक्योरिटी एजेंट ईएचसी ने जोगिंद्र के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट बनवाने का नया केस दर्ज करवाया। आरोप लगाया कि जोगिंद्र ग्योंग बेल पर आकर फरार है। जिसने फरारी के दौरान अन्य व्यक्तियों के साथ मिलीभगत करके 27 नवंबर 2019 को नेपाल से कांत गुप्ता के नाम से पासपोर्ट बनवाया और फरार हो गया। थाना सदर में 19 जुलाई को धारा 120बी, 419, 420, 467, 468, 471 व पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत एफआईआर नंबर 188 दर्ज हुई। पुलिस ने केस को सभी स्तर पर छिपाया।

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कुछ मामलों को छोड़कर ऑनलाइन अपलोड करनी होती है एफआईआर: रापड़िया 

वहीं पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रदीप कुमार रापड़िया ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि महिला उत्पीड़न एवं महिला अपराध व पोक्सो एक्ट को छोड़कर अन्य सभी तरह के मामले ऑनलाइन अपलोड करने होते हैं।

डीएसपी उमेद सिंह ने बताया कि फिरौती मांगने जैसे मामलों को पीड़ित की सुरक्षा के मद्देनजर ऑनलाइन नहीं किया जाता, ताकि आरोपी को ज्यादा पब्लिसिटी ना मिले। उन्होंने कहा वैसे तो पुलिस सभी मामलों को ऑनलाइन करती है, परंतु कई बार गलती से एक आध मामला रह भी जाता है।

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Content Editor

Saurabh Pal

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