भविष्य संवारने की बजाय कूड़ा बीन रहे नौनिहाल

punjabkesari.in Sunday, May 13, 2018 - 09:56 AM (IST)

महेन्द्रगढ़(जगदीश): क्षेत्र में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने के सरकारी दावे मात्र कागजों तक ही सीमित होकर रह गए हैं। 2 वक्त कि रोटी के जुगाड़ में अनेकों बच्चे स्कूल जाने में विफल हो रहे हैं। अकेले महेन्द्रगढ़ क्षेत्र में सैंकड़ों बच्चे अपने मां बाप का साया सर से उठ जाने के कारण या फिर गरीबी के चलते दो जून कि रोटी का जुगाड़ करने के लिए कूड़ा बीनने, भीख मांगने या फिर होटल, ढाबों पर बर्तन धोने का काम कर रहे हैं।

क्षेत्र की सामाजिक संस्था एकता मंच द्वारा किए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि महेन्द्रगढ़ जिले में 6 से 18 वर्ष तक के 500 बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। इनमें 70  प्रतिशत लड़कियां हैं, और ज्यादातर अनुसूचित जाति के है। इसके अलावा क्षेत्र में दर्जनों ईंट भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के 700 के लगभग बच्चे अलग से है। जिन्होंने आज तक स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखा है लेकिन मात्र अखबारों में शिक्षा का अधिकार लागू करने के ताल ठोकने वाले अधिकारियों को यह भी नहीं पता है कि ये बच्चे कहां और किन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं।

क्षेत्र में आज तक अभियान चला कर इन्हें स्कूल जाने के लिए न तो प्रेरित किया और न ही कोई शोध कार्य किया गया कि आखिर स्कूल न जाने की इनके आगे क्या मजबूरी है, और न ही उनको परिस्थितियों से निकाल कर उनके पुनर्वास व शिक्षा के लिए गंभीर प्रयास किए गए। एकता मंच के अध्यक्ष थावर सिंह ने बताया कि बहुत से बच्चे समाज से दुत्कारने के कारण निराशा व हताशा की स्थितियां हो रही है। 

शिक्षा के अधिकार में बड़ा अवरोध 
अनेक  बच्चे हैं जिनका सहारा सिर से उठ चुका हे वह पढऩा चाहते हैं लेकिन गरीबी सहित विभिन्न प्रकार की समस्याओं के कारण उनके शिक्षा के अधिकार में बड़े अवरोध है। इस गंभीर समस्या को लेकर क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने भी शिक्षा मंत्री को अवगत करवाया जा चुका है  हालांकि शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया था लेकिन वह मात्र आश्वासन ही बन कर रह गया।

सिर से उठा मां-बाप का साया 
बंगाली परिवार से संबंध रखने वाले राजकिशन की आकस्मिक मौत हो जाने के कारण 5 बच्चों का गुजारा मेहनत करके उसकी मां सावित्री कर रही थी लेकिन साल के बाद उसका भी बीमारी के कारण निधन हो गया, जो कुछ था वह मांं के इलाज में लगा दिया अब 2 बहने राजो व मोना अपने भाई के साथ कूड़ा बीन कर दो जून की रोटी जुटा रही है।

बिखराव के कगार पर परिवार
महेन्द्रगढ़ में मेहनत मजदूरी करके परिवार का पेट भरने वाले पति की मौत के बाद पश्चिम बंगाल कि महिला सरेमवती व उसका परिवार बिखराव के कगार पर है। पेट भरने के लिए बच्चों को जिनकी उम्र स्कूल जाने व खेलने की है, उस उम्र में उन्हे कूड़ा बीनने का काम करना पड़ रहा है।

क्या कहना है खंड शिक्षा अधिकारी का 
शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी बिजेन्द्र सिंह श्योराण का कहना है, कि वे इस प्रयास में है कि क्षेत्र में कोई ऐसा बच्चा न रहे जो स्कूल न जाता हो इसके बाद भी अगर ऐसे बच्चे हैं, तो वे अपनी ओर से भरपूर प्रयास करेंगे कि उन्हें स्कूल में प्रवेश दिलाया जाए और वह शिक्षा ग्रहण करें। 


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Rakhi Yadav

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