रिश्वतखोरों पर नकेल कसने की तैयारी, अब घात लगाने के लिए विजिलेंस ब्यूरो को नहीं लेनी होगी इजाजत
punjabkesari.in Monday, Apr 25, 2022 - 07:09 PM (IST)
चंडीगढ़(धरणी): रिश्वतखोर अधिकारी/ कर्मचारी को रंगे हाथों काबू को लेकर घात लगाने के लिए अब हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो के हाथ केंद्र सरकार ने नियमों में संशोधन करके काफी मजबूत किए हैं। अब किसी भी मामले में किसी जनसेवक को अनावश्यक लाभ लेकर कार्य करने तथा लेने का प्रयास करने पर मौके पर ही विजिलेंस ब्यूरो काबू कर पाएगी। इसके लिए उन्हें सरकार/सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं रहेगी। भारत सरकार द्वारा पुराने नियमों में प्रावधान करके 17 ए जोड़े जाने के बाद से विजिलेंस ब्यूरो यह कार्रवाई अपने स्तर पर कर पाएगी। लेकिन घात के लिए अतिरिक्त मजिस्ट्रेट /छाया गवाह की लिखित नियुक्ति पहले की तरह 15-10-201 8 वाले नियम ही लागू रहेंगे।
सरकार द्वारा इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं लाया गया है। 25 अप्रैल 2022 को हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव आईएएस डॉ संजीव कौशल ने प्रदेश के विभिन्न विभागों के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रशासकीय सचिव, विभागाध्यक्षों, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सभी मुख्य प्रबंधक प्रबंध निदेशक, सभी बोर्ड अथवा कॉरपोरेशन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, सभी उपायुक्तों, विश्वविद्यालयों के रिश्तेदार और उपमंडल अधिकारियों को यह आदेश औपचारिक रूप से जारी कर दिए हैं।
बता दें, भारत सरकार ने भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम 1988 में वर्ष 2018 में संशोधन कर उसमें 17 ए जोड़ी है। अब भ्रष्ट लोगों पर घात लगाने के लिए किसी से अनुमति की जरूरत नहीं रहेगी। संशोधन के बाद हरियाणा राज्य की सरकार ने उक्त प्रबंधन को समावेशित करते हुए इस विषय में मानक संचालन प्रक्रिया अपने प्रपत्र क्रमांक 4-2-2021 चौ दिनांक 7-1-22 पहले से ही जारी कर दी है। इसके बाद से अब क्रमांक 1244- 1 चौ ( 1)- 72/9512, दिनांक 13-4-72, 4/17/89- 1 चौ (1), 24/1/1990, 4/17/89 - 1(चौ)1, 7/7/2014 सभी खारिज हो गए हैं।
सरकार ने यह आर्डर रिश्वतखोर सरकारी लोगोंं घात लगाने की नीति में बड़ा प्रावधान करके रिश्वतखोर लोगों के लिए भारी मुश्किलों का सबब खड़ा कर दिया है। मुख्य सचिव ने यह आर्डर प्रदेश सरकार के आदेशों के बाद जारी किए हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार की यह जीरो टोलरेंस की सरकार देने के वायदे पर मील का पत्थर साबित होने वाला फैसला होगा।