Operation Trackdown: पहले ही दिन 32 कुख्यात अपराधी गिरफ्तार,  नागरिक गुप्त रूप से इस नंबर पर दे सकते हैं सूचना

punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 11:21 AM (IST)

डेस्क: हरियाणा पुलिस ने 5 से 20 नवंबर तक राज्य में चलाए जा रहे ऑपरेशन ट्रैकडाउन का आग़ाज़ बेहतरीन रणनीति के साथ किया है। इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य गोलीबारी, फिरौती, अपहरण और हत्या जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त भगोड़े अपराधियों को तेजी से कानून के दायरे में लाकर जेल भेजना और उनके आपराधिक नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करना है। इस ऑपरेशन का नेतृत्व आईजी क्राइम राकेश आर्य कर रहे हैं। उन्होंने अपना व्यक्तिगत नंबर (90342 90495) भी जनता के लिए साझा किया है ताकि कोई भी नागरिक गुप्त रूप से पुलिस को सूचना दे सके।

पुलिस ने दावा किया है कि ऑपरेशन की शुरुआत वाले पहले दिन यानी 5 नवंबर को ही हरियाणा पुलिस ने एक ही दिन में 32 कुख्यात और वांछित आरोपियों को गिरफ्तार करके मिसाल कायम की। इसके साथ ही 4 आरोपियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई, ताकि उनके आपराधिक इतिहास को अपडेट करके भविष्य में उनकी जमानत रद्द कराना और भारी संवैधानिक प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी सुनिश्चित करना आसान हो सके। यह उपलब्धि सिर्फ़ संख्या भर नहीं-बल्कि इस बात का प्रमाण है कि हरियाणा पुलिस पूरी ताकत और सूझबूझ के साथ अपराध के खिलाफ़ ज़मीनी स्तर पर प्रभावी कार्रवाई के लिए तैयार है।

 
 “ऑपरेशन ट्रैकडाउन” के तहत हर थाना अपने क्षेत्र में “सबसे कुख्यात 5” अपराधियों की पहचान करेगा और उनकी गिरफ्तारी, सरेंडर या जमानत रद्दीकरण का सुनिश्चित करेगा। इसी तरह हर ज़िला और पुलिस जोन “सबसे कुख्यात 10” की सूची बनाएगा, जिन पर कार्रवाई की पूर्ण ज़िम्मेदारी एसपी, डीसीपी या सीपी की होगी। राज्य स्तर पर एसटीएफ “सबसे कुख्यात 20” अपराधियों की सूची बनाकर उन पर सबसे कठोर कार्रवाई करेगी। इस ऑपरेशन में स्पष्ट किया गया है कि यदि अपराधी दोबारा वारदात करते हैं, तो क्षेत्राधिकार वाले एसएचओ या डीएसपी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा यानी गिरफ्तारी के साथ-साथ रोकथाम को भी उतनी ही प्राथमिकता दी गई है।

 
 हरियाणा पुलिस ने इस अभियान को सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ पुलिस के साथ समन्वय तेज़ किया गया है। सीमावर्ती जिलों में नाके लगाकर, संयुक्त छापेमारी और वारंट तामील जैसी कार्रवाइयाँ की जा रही हैं ताकि कोई फरार अपराधी राज्य बदलकर पहचान या कानूनी पकड़ से बच न सके। इस तरह एक इंटरस्टेट नेटवर्क बनाया गया है जहां सूचनाओं का आदान-प्रदान और कस्टडी ट्रांसफर तुरंत हो सके।

 


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Content Writer

Isha

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