किसान आंदोलन के बीच लिंक नहर के मामले से फिर गर्माया सियासी माहौल
punjabkesari.in Tuesday, Dec 22, 2020 - 03:17 PM (IST)
संजय अरोड़ा: भारतीय जनता पार्टी की ओर से दो दिन पहले सतलुज यमुना लिंक नहर मामले को लेकर रखे गए उपवास के बाद पंजाब व हरियाणा की सियासत में इस हॉट इश्यू पर एक बार फिर से सियासी माहौल गर्मा गया है। हरियाणा की भाजपा सरकार ने प्रदेश के तमाम जिलों में उपवास का कार्यक्रम रख एक तरह से इस मुद्दे पर पंजाब को घेरने का प्रयास किया है तो प्रदेश के विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे भाजपा की नौटंकी बताया है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सिर्फ किसान आंदोलन से ध्यान भटकाने के लिए और किसानों की एकता को तोडऩे के लिए भाजपा राजनीतिक ड्रामा कर रही है, तो वहीं इनैलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भी इसे किसानों की एकता में दरार डालने के लिए भाजपा का षडयंत्र बताया है और कहा है कि नहर निर्माण के लिए उपवास की जरूरत नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार पर दबाव डालने की जरूरत है।
गौरतलब है कि सतलुज यमुना लिंक नहर का मामला पंजाब व हरियाणा दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से विवाद बना हुआ है। चुनावों में यह मुद्दा अहम रहता है। 2019 के विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा छाया रहा। उसके बाद इसी साल मार्च माह में कोरोना की दस्तक के बाद से यह मुद्दा ठंडे बस्ते में रहा। इसी साल सितम्बर माह में तीन कृषि अध्यादेश लाने के बाद राज्य में लगातार किसान आंदोलन कर रहे हैं और पिछले करीब 25 दिनों से किसान दिल्ली के सीमांत इलाकों में पड़ाव डाले हुए हैं। अब एकाएक भाजपा की ओर से 19 दिसम्बर को एस.वाई.एल. मुद्दे पर उपवास रखने के बाद सतलुज यमुना लिंक नहर का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर आ गया है।
इनेलो ने चलाया था लम्बा जलयुद्ध
सतुलज यमुना लिंक नहर का निर्माण पूरा करने एवं हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देने के लिए इनेलो ने न केवल एक लम्बा आंदोलन चलाया था, बल्कि इस मुद्दे पर गिरफ्तारियां भी दी थी। 10 नवम्बर 2016 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एस.वाई.एल. के मुद्दे पर हरियाणा के हक में फैसला सुनाए जाने के बाद इस नहर के निर्माण को लेकर इनेलो ने आक्रामक तरीके से आंदोलन का शंखनाद कर दिया था। फरवरी 2017 में इनेलो ने जलयुद्ध की शुरूआत की।
इनेलो की ओर से तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला की अगुवाई में हजारों इनेलो कार्यकर्ता पंजाब के शंभु बॉर्डर पर पहुंचे थे। इससे पहले इनेलो की ओर से अम्बाला की अनाजमंडी में जल युद्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसके बाद हाथों में कस्सियां व तसले लेकर हजारों कार्यकर्ता शंभु बॉर्डर पर पहुंचे। पुलिस से जद्दोजहद हुई। इसके बाद अभय सिंह चौटाला उनके बेटे अर्जुन चौटाला, इनैलो के 18 विधायक एवं 2 सांसदों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें तब एक सप्ताह तक पटियाला जेल में बंद रखा गया था।
इसी दौरान इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने ग्रामीणों में नहर के मुद्दे को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा भी किया था। अपने दादा चौ. देवीलाल द्वारा चलाए गए न्याय युद्ध की तर्ज पर जलयुद्ध शुरू करने की वजह से अभय सिंह चौटाला इनेलो नेताओं व कार्यकर्ताओं में जलनायक के रूप में भी प्रसिद्ध हुए। इसके अलावा जब नवम्बर 2016 में तत्कालीन पंजाब की अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने नहर निर्माण के खिलाफ पंजाब विधानसभा में एक बिल पारित करके किसानों की अधिग्रहण की जमीन वापस करने का फैसला कर लिया तब इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला ने इसका विरोध करते हुए प्रकाश सिंह बादल व अकाली दल से अपने सियासी रिश्ते समाप्त करने का ऐलान भी कर दिया था।
1982 में इंदिरा ने रखी थी आधारशिला
1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सतलुज यमुना लिंक नहर की आधारशिला रखी गई थी, लेकिन विवाद बहुत पुराना है। उस समय हुए समझौते के अनुसार कुल 17.17 मिलीयन एकड़ फीट पानी में से पंजाब को 4.22 मिलीयन एकड़ फुट, हरियाणा को 3.5 मिलीयन एकड़ फुट, राजस्थान को 8.6 मिलीयन एकड़ फुट, जम्मू कश्मीर को 0.65 मिलीयन एकड़ फुट व दिल्ली को 0.20 मिलीयन एकड़ फुट पानी मिलना तय हुआ। 24 जुलाई 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और शिरोमणि अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष हरचंद सिंह लौंगेवाल के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। मामला लम्बे समय से अदालत में चला। नवम्बर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला दिया और जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को तीन सप्ताह के बीच इस मुद्दे पर बातचीत के जरिए हल निकालने का सुझाव दिया था।
हरियाणा गठन से ही चल रहा है विवाद
सतलुज-यमुना लिंक नहर का विवाद हरियाणा गठन के बाद से ही चला आ रहा है। इस विवाद की मुख्य जड़ है नदी के जल का बंटवारा। साल 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था। इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है। इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में, जबकि शेष 92 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में है।
हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फुट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फुट हिस्से पर दावा करता रहा है, लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है। हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की, जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फुट पानी का आवंटन किया गया।
उपवास नहीं नाटक कर रही है भाजपा: अभय सिंह चौटाला
इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एवं विधायक अभय सिंह चौटाला ने भाजपा के उपवास को नौटंकी करार देते हुए कहा कि जब इनेलो की ओर से एस.वाई.एल. को लेकर प्रदर्शन किए गए, प्रदेशभर में एक अभियान चलाया गया और गिरफ्तारियां दी गई तब भाजपा के नेता उसे ड्रामा बताते थे। अब भाजपा यह बताए कि इस समय वह क्या कर रही है? भाजपा पर हमला बोलते हुए अभय सिंह ने कहा कि इस समय तीन काले कानूनों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं और सरकार भारी दबाव में है।
इस दबाव को कम करने और मुद्दे से भ्रमित करने के लिए भाजपा अब उपवास का नाटक कर रही है। यह उपवास नहीं, बल्कि पूरी तरह से बकवास है। अभय चौटाला ने कहा कि केंद्र व राज्य दोनों में भाजपा की सरकार है। सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के हक में फैसला दे चुका है। सरकार को नौटंकी करने की बजाय इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। ठोस तरीके से अपनी पैरवी करनी चाहिए और प्रधानमंत्री से मिलकर इस मुद्दे का हल निकालना चाहिए, न कि इस तरह के जरूरी मुद्दों से जनमानस को ध्यान भटकाना चाहिए?
हरियाणा के किसानों को उनके हक का पानी जरूर मिलेगा: खट्टर
जहां एस.वाई.एल. को लेकर पंजाब सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाजपा द्वारा पूरे हरियाणा में जिलास्तर पर उपवास रखा गया, तो वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इस मुद्दे पर रविवार को नारनौल में जल अधिकार रैली करके एस.वाई.एल. के पानी पर अपना मजबूती से हक जताते हुए पंजाब सरकार पर कड़े प्रहार किए। इसके अलावा अपने ट्विटर हैंडल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ट्विट करते हुए कहा है कि हरियाणा के किसानों को उनके हक का पानी जरूर मिलेगा। इस बारे में न तो हम कोई समझौता करेंगे और ना ही अपने हक से पीछे हटेंगे।