रणजीत चौटाला का विधायक पद से इस्तीफा स्वीकार होने पश्चात उनके मंत्री बने‌‌ रहने पर सवाल बरकरार

punjabkesari.in Tuesday, Apr 23, 2024 - 07:52 AM (IST)

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): पूरे एक माह का लंबा अंतराल बीते जाने के बाद रणजीत चौटाला का विधायक पद से त्यागपत्र विधानसभा  अध्यक्ष   (स्पीकर) ज्ञान चंद गुप्ता द्वारा स्वीकार किया जाएगा गया ।

गत  माह 12 मार्च को नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में गठित नई भाजपा  सरकार में  रणजीत को   कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया‌ था ।  22 मार्च को उन्हें ऊर्जा (बिजली) विभाग और जेल विभाग आबंटित किये गए. रणजीत चौटाला  ने  विधायक पद  के साथ  हालांकि कैबिनेट  मंत्रीपद से इस्तीफ़ा नहीं दिया है. 


इसी बीच‌ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि बेशक विधानसभा स्पीकर   द्वारा रणजीत चौटाला का विधानसभा सदस्यता से  त्यागपत्र स्वीकार करने में एक महीने का लंबा समय लिया गया है।  पर  अगर उन्हें दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत सदन की  अयोग्यता से बचाना है, तो स्पीकर को  रणजीत का विधायक पद त्यागपत्र गत  24  मार्च की पिछली तिथि से ही स्वीकार करना होगा ।

हेमंत ने बताया कि इस सबके बीच एक रोचक परंतु महत्वपूर्ण विषय यह उठता है कि गत माह‌ 24 मार्च से विधायक के तौर पर त्यागपत्र स्वीकार होने के फलस्वरूप  रणजीत पूर्व विधायक बन जाएंगे  । इस कारण वह हरियाणा विधानसभा सदस्य (वेतन, भत्ते एवं पेंशन) कानून, 1975 के अंतर्गत‌ विधानसभा सचिवालय से पेंशन‌ प्राप्त करने के योग्य‌ हो जाएंगे। चूंकि रणजीत वर्ष 1987-90 तक भी हरियाणा की तत्कालीन विधानसभा‌ के सदस्य रहे हैं एवं इस प्रकार उनकी दो कार्यकालों‌ की पेंशन‌ बनती है.
 
रणजीत 6 सप्ताह  पुरानी  नायब सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं, इसलिए हरियाणा मंत्रीगण वेतन एवं भत्ते कानून, 1970 के प्रावधानों के अंतर्गत‌ वह प्रदेश सरकार   सरकार  से गैर-विधायक होते‌ हुए‌ भी मंत्री के तौर पर  वेतन और अन्य भत्ते (निर्वाचन क्षेत्र भत्ते और टेलीफोन भत्ते  को छोड़कर ) प्राप्त करने के हकदार‌ हैं जैसे वर्तमान में मुख्यमंत्री नायब सैनी को प्राप्त हो रहे हैं।

हेमंत ने बताया कि हरियाणा विधानसभा वेतन- पेंशन कानून,1974 अनुसार  पूर्व विधायक तभी पेंशन प्राप्त करने का हकदार नहीं‌ होगा अगर वह भारत का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या किसी प्रदेश का राज्यपाल   या प्रशासक बन जाए अथवा संसद के किसी सदन का  या पुनः विधानसभा का सदस्य निर्वाचित हो‌‌‌ जाए‌। इसके अतिरिक्त केंद्र या प्रदेश सरकार के अधीन नौकरी कर वेतन प्राप्त करने वाले पूर्व‌ विधायक की भी पेंशन‌ बंद हो जाती है।


बहरहाल  क्या निर्दलीय विधायक पद से त्यागपत्र   स्वीकार होने के बाद  रणजीत  मौजूदा नायब सैनी सरकार में‌ बेरोकटोक कैबिनेट मंत्री  बने रह सकते हैं या फिर उस पद से भी उन्हें त्यागपत्र देना पड़ेगा। हेमंत ने बताया कि चूँकि बीती 12 मार्च को मंत्रीपद की शपथ लेते समय रणजीत विधायक थे, इसलिए उस आधार पर  तो उनका  मंत्रिमंडल से भी त्यागपत्र देना बनता है जो मुख्यमंत्री के मार्फत प्रदेश के राज्यपाल को सौंपा जा सकता है। 



 

 

 


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Content Writer

Isha

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