राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ अस्पताल से जारी किया संदेश

punjabkesari.in Sunday, Sep 20, 2020 - 11:58 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): प्रदेश के इकलौते विपक्षी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज के दिन को किसानों और संसद के लिए काला दिवस करार दिया है। उनका कहना है कि किसानों की आपत्तियों को नजरअंदाज कर, विपक्ष की आवाज को दबाते हुए बिना वोटिंग से राज्यसभा में किसान विरोधी काले कानूनों का पास होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कोरोना संक्रमित दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अस्पताल से एक वीडियो संदेश जारी करके इन कानूनों के खिलाफ विरोध जाहिर किया। सांसद ने कहा कि उन्हें इस बात की टीस है कि वो संसद के पटल पर तर्कसंगत तरीके से अपनी बात सरकार के कानों तक नहीं पहुंचा सके। इसलिए वो सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। 

दीपेंद्र ने कहा कि हालांकि आज भी उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई, जिसकी वजह से वो संसद नहीं जा पाए। लेकिन उन्हें विश्वास है कि वो लोगों की दुआ से जल्द स्वस्थ होकर अस्पताल से सीधे संसद पहुंचेंगे और 2-3 दिन बाद जब तीसरे कानूनपर चर्चा होगी तो वो अपनी बात सदन के पटल पर रखेंगे। इन कानूनों से सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि आढ़ती समेत हर उस गरीब आदमी को भी बड़ा नुकसान होगा, जिसे राशन कार्ड पर आटा, अनाज और दाल आदि मिलते हैं। 



हुड्डा ने कहा कि नए कानून किसान पर थोपकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली और मंडी व्यवस्था को कमजोर करने के बाद स्वाभाविक रूप से सरकार का अगला प्रहार सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर होने जा रहा है। इस प्रणाली के तहत करोड़ों राशन कार्ड धारक गरीबों को लाभ मिलता है। सरकार ने इस साल सरकारी एजेंसी एफसीआई का बजट कम करके इसका स्पष्ट संकेत भी दे दिया है। स्पष्ट है कि सरकार धीरे-धीरे सरकारी खऱीद से अपने हाथ खींच रही है और फसल खरीद की बड़ी जिम्मेदारी पूंजीपतियों को सौंपने जा रही है। अगर प्राइवेट कंपनियां ही बड़ी मात्रा में किसान की फसल खरीदेंगी तो वो गरीब परिवारों को राशन कैसे और क्यों बाटेंगी? क्या गरीबों से "राइट टू फूड" का हक छीन लिया जाएगा? 


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Shivam

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