लॉकडाउन के साइड इफेक्ट: शुरू हुआ पलायन का दौर, फिर पैदल ही घर जाने की जिद
punjabkesari.in Tuesday, May 04, 2021 - 10:52 AM (IST)
रेवाड़ी/नारनौल (योगेंद्र सिंह): कोरोना के पहले दौर वर्ष 2020 में जो स्थिति सड़कों पर निर्मित हुई थी कुछ इसी प्रकार की स्थिति एक बार फिर रविवार से ही दक्षिण हरियाणा में बनती दिख रही है। रविवार को जैसे ही प्रदेश में लॉकडाउन लगाने की सूचना लोगों को मिली वैसे ही प्रवासी अपने घर जाने की जिद पर अड़ गए और जो भी वाहन मिला उससे अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए। जिसको बस मिल गई वह उससे निकल गया और दूसरे लोडिंग वाहन सहित अन्य वाहनों को हाथ देकर रूकवाने का प्रयास करते नजर आए।
वाहनों की तलाश में प्रवासी परिवार व बच्चों के साथ पैदल चलने में भी नहीं हिचक रहे हैं। सरकार ने लॉकडाउन नहीं लगाने का आश्वासन दिया था और इसी के चलते कई कंपनियां बंद होने के बाद भी प्रवासी अभी यहीं रह रहे थे लेकिन लॉकडाउन की घोषणा होते ही अधिकतर घर जाने की जिद पर उतर आए और पैदल ही सफर शुरू कर दिया। कोई अपने छोटे बच्चें को गोद में लिए तो कोई धूप से बचाने के लिए अपनी साड़ी या दुपट्टे से बचाते हुए वाहनों का इंतजार सड़कों पर करते दिखे।
किसी के हाथ में पानी की बोतल तो कंधों पर गृहस्थी का बैग-झोला व बोरियां थीं। हाथ से लेकर सिर तक सामान और ऊपर से गर्मी व उमस लेकिन घर जाने की जिद के चलते प्रवासियों को कोई दर्द होता नजर नहीं आ रहा था। रविवार रात बड़ी संख्या में प्रवासी प्राइवेट बसों में यूपी, दिल्ली, राजस्थान की ओर निकल गए। सोमवार को अलसुबह से ही प्रवासी लोग सडक़ों पर नजर आने लगे और जो भी वाहन दिखता उसे हाथ देकर रोककर मायूस चेहरे से उसमें सवार करवाने की गुहार लगाते नजर आ रहे थे।
कुछ लोडिंग वाहनों ने मानवता को नाते तो कुछ ने पैसे के लिए वाहन रोका और उन्हें बैठाकर निकल गए। घर कितने दिन में पहुंचेंगे और कैसे इन प्रश्नों का जवाब इनके पास नहीं है लेकिन कैसे भी घर और अपनों के बीच पहुंचने की जिद सभी के जेहन में नजर आ रही थी।
सरकार ने कहा लॉकडाउन नहीं लगाएंगे और अब लॉकडाउन लगा दिया
यूपी के बाराबंकी के दयाराम ने बताया कि बावल की उनकी कंपनी बंद थी, सरकार ने लॉकडाउन नहीं लगाने की बात कही और इसी के चलते यहां रहकर इंतजार कर रहे थे। कल अचानक लॉकडाउन लगा दिया और इसके चलते अब अपने घर जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है।
यूपी के फतेहपुर रहने वाले ऑटो पार्टस कंपनी कर्मी आशुतोष ने बताया कि कंपनी में काम नहीं हो रहा लेकिन अब लॉकडाउन कब खुलेगा और हालात कब सुधरेंगे पता नहीं। कंपनी ने कहा है जब काम शुरू होगा तब बुला लिया जाएगा। इसी के चलते घर जा रहे हैं। कैसे जाएंगे यह पता नहीं लेकिन जो भी साधन मिलेगा उससे परिवार के साथ अपने घर जरूर पहुंच जाएंगे।
महिला सावित्री ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चे हैं, यहां लॉकडाउन लग गया कैसे किराया देते और कैसे पेट भरते। अपने घर पर परिवार के साथ मिलकर जो भी मिलेगा उससे पेट भर लेंगे लेकिन सबके बीच रहकर खुद को सुरक्षित तो समझेंगे।
हरियाणा रोडवेज बंद, प्राइवेट बस या लोडिंग वाहन की एकमात्र साधन
लॉकडाउन के चलते हरियाणा रोडवेज की बसें सड़कों पर नजर नहीं आ रही। हालांकि प्रवासी प्राइवेट बस या दूसरे प्रदेश की बसों को हाथ देकर रोककर उसमें सवार हो रहे हैं। कई लोग तो पिकअप से दिल्ली-जयपुर हाइवे तक पहुंचकर वहां से आगे का साधन तलाशने के लिए पहुंचे। इनका कहना है कि बस नहीं तो हाइवे पर लोडिंग वाहन में उन्हें बैठने की जगह अवश्य मिल जाएगी।
वाहनों की यह भीड़ खतरनाक है
अपने घर जाने के चक्कर मे लोग कोविड-19 गाइड लाइन का पालन करना ही भूल गए। किसी का मास्क अधूरा लगा था तो सोशल डिस्टेंसिंग की तो कोई पालना ही नहीं कर रहा था। बसों में भी यही हालात थी। यह खतरनाक हो सकता है। कोरोना की जो जंग जीतना है उसके लिए लिहाज से यह कतई भी ठीक नहीं है।
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