अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाई हरियाणा की सुनीता पांचाल, चित्रकारी ऐसी कि हर कोई हो जाए मुरीद

punjabkesari.in Wednesday, Nov 11, 2020 - 09:15 PM (IST)

जींद (अनिल कुमार): सुनीता पांचाल की उंगलियों में ऐसा जादू है कि वह जब चित्र बनाती हैं या किसी दूसरी चीज पर चित्रकारी करती हैं तो चित्र मुंह से बोलने लगते हैं। निर्जीव चीजों में भी सुनीता पांचाल अपनी कला से जान डाल देती हैं। सुनीता पांचाल ने कोविड-19 के माहौल में कई ऑनलाइन चित्रकारी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इंडियन रायल एकेडमी कर्नाटक द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में सुनीता पांचाल को बैस्ट एंट्री अवार्ड मिला। इस प्रदर्शनी में 13 देशों के कलाकारों ने भाग लिया था।

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बंगाल आर्ट फोरम ने दिया गोल्डन एक्सीलेंट अवार्ड
बंगाल आर्ट फोरम ने भी कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन आर्ट कंपीटिशन का आयोजन किया। इसमें जींद की सुनीता पांचाल को गोल्डन एक्सीलेंट अवार्ड उनकी बेहतरीन कलाकारी के लिए दिया गया।

वोसाप आर्ट फोरम की फाइनल लिस्ट में भी सुनीता का नाम
जींद की सुनीता पांचाल ने हाल ही में वोसाप आर्ट फोरम हर्ट कंटेस्ट 2020 में भी भाग लिया। इसकी फाइनल लिस्ट में सुनीता पांचाल का नाम आया है। प्रतियोगिता में 20 देशों के कलाकारों ने भाग लिया। वोसाप एक एनजीओ है, जो दिव्यांगों के लिए काम करती है। 

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2 बच्चों की मां और पत्नी की जिम्मेदारी निभाते हुए भी कला के लिए समय निकाल रही पांचाल
सुनीता पांचाल 2 बच्चों की मां है। उनके पति डा. रमेश पांचाल जींद के सिविल अस्पताल के वरिष्ठ दंत चिकित्सक हैं। सुनीता पांचाल 2 बच्चों की मां के साथ-साथ डा. रमेश पांचाल की पत्नी की जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए भी कला के लिए समय निकाल रही हैं। फुर्सत मिलते ही सुनीता पांचाल अपने घर में बनाए गए स्टूडियो में बैठकर अपनी कल्पनाओं को आकार देना शुरू कर देती हैं। 

पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से फाइन आर्ट में बीए और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट में एमए तथा कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बीएड की परीक्षा पास करने वाली सुनीता पांचाल सभी माध्यमों से पेंटिंग करती हैं। इनमें आयल कलर, एक्रेलिक कलर, वाटर कलर, टेराकोटा, क्ले मॉडलिंग, वुडन आदि शामिल हैं। चंडीगढ़ की ललित कला एकेडमी उन्हें पहले ही प्रथम अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है। सुनीता पांचाल की पेंटिंग्स अनेक प्रदर्शनियों और वर्कशाप का हिस्सा बन चुकी हैं। वह 8 नेशनल और इंटरनेशनल कला प्रदर्शनियों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी है। 

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हाथ में तुलिका आते ही बनने लगती हैं कलाकृतियां : सुनीता पांचाल
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां हासिल करने वाली सुनीता पांचाल का कहना है कि उनके हाथ में तुलिका आते ही अपने आप कलाकृतियां बनने लगती हैं। मन में जो कल्पना होती है, वह तुलिका से आकार लेना शुरू कर देती है। जब उसमें रंग भरे जाते हैं तो कल्पना जीवंत हो उठती है। सुनीता पांचाल का कहना है कि एक अच्छे कलाकार का कोमल ह्दय होना बेहद जरूरी है। दिल की कोमलता ही वह कलाकृतियां बनाने में अहम होती है, जो देखने वालों को अपनी तरफ खींच लेती हैं।


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vinod kumar

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