रेप के मामलों को लेकर खामोश है विपक्ष, सरकार भी नहीं उठा रही कड़े कदम

punjabkesari.in Sunday, Jun 10, 2018 - 12:14 PM (IST)

अम्बाला(मीनू): प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। खासकर मासूम बच्चिायों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हरियाणा को पूरे देश में शर्मसार करने वाली साबित हो रही हैं। इस समय इन घटनाओं को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों खामोश हैं। रेप के मामलों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार की कोई नीति काम नहीं आ रही है। रेप के केस लगातार हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादा मामले कम उम्र की बच्चियों के साथ हो रहे हैं। रेवाड़ी में एक 8 साल की बच्ची को हवस का शिकार बना डाला।

फतेहाबाद में भी रेप का केस दर्ज किया गया है। बच्चियों के साथ दुष्कर्म के यह केस फरवरी माह में ज्यादा हुए थे। इसके बाद पूरे प्रदेश मे कोहराम-सा मच गया था। प्रदेश सरकार की ओर से कानून को सख्त बनाया गया था। इसके बावजूद ऐसे मामलों में कोई कमी नहीं आई है। दुष्कर्मी लगातार ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि पुलिस आखिर ऐसे मामलों को रोकने में विफल साबित क्यों हो रही है।

दिल्ली में ‘निर्भया’ कांड के बाद से लगातार रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस साल मासूम बच्चियों के साथ रेप के सर्वाधिक मामले हुए हैं। 5 से लेकर 10 साल तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म और सामुहिक दुष्कर्म के मामले ज्यादा हो रहे हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार ऐसे मामलों को अंजाम देने में मनोरोगी ज्यादा आगे रहते हैं। उनकी मनोदशा ऐसी होती है कि वे छोटी बच्चियों को शिकार बनाते हैं। साथ ही नशे के शिकार लोग भी ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। प्रदेश सरकार और पुलिस विभाग की ओर से रेप की घटनाओं को रोकने के लिए काफी कदम उठाए गए हैं। इसके बावजूद इन घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही है। सामाजिक जागरूकता के मामले में सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। महिला संगठन भी इस समय इन मामलों को लेकर खामोश हैं। 

संतोष दहिया
सामाजिक जागरूकता रेप के मामलों को रोकने में काफी मददगार साबित हो सकती है। सरकार को चाहिए कि समाज में जागरूकता लगाने के लिए अभियान शुरू कराए। एन.जी.ओ. भी इस दिशा में सकारात्मक पहल करें।

प्रवीन अत्री प्रवक्ता इनेलो
भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति लचर हैदिन-प्रतिदिन प्रदेश की बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाएं सामने आने पर भी खट्टर सरकार कोई कदम नहीं उठा रही। मुख्यमंत्री खट्टर को इसकी नैतिक एवं संवैधानिक जिम्मेदारी लेनी ही होगी।    


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Deepak Paul

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