दिल्ली में लिखी गई थी विज को ‘शक्ति मान’ बनाने की पटकथा

punjabkesari.in Saturday, Nov 16, 2019 - 10:35 AM (IST)

अम्बाला (रीटा/सुमन): अनिल विज को गृह मंत्री बनाने का फैसला कोई अचानक नहीं हुआ बल्कि इसकी पटकथा कुछ दिन पूर्व दिल्ली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए हुई बैठक दौरान लिखी गई थी। भाजपा सूत्रों के अनुसार अमित शाह खुद भी विज को ताकतवर मंत्री बनाने के पक्ष में थे और इस दौरान मुख्यमंत्री का हाथ भी उनके सिर पर रहा। विधानसभा चुनाव में तकरीबन सभी दिग्गज मंत्रियों की हार के बाद विधानसभा में मजबूत विपक्ष से भिडऩे के लिए एक दमदार मंत्री की मौजूदगी जरूरी थी। इस बार चुने गए विधायकों में भाजपा के पास कोई ऐसा बड़ा नेता नहीं था जो राम बिलास शर्मा, सुभाष बराला, ओम प्रकाश धनखड़ या फिर कैप्टन अभिमन्यु की कमी पूरी कर सके। माना जा रहा है कि विज विधानसभा से लेकर सड़क तक विपक्ष से लोहा ले सकते हैं।कानून व्यवस्था को पटरी पर लाना विज के लिए सबसे बड़ी चुनौती गृह मंत्रालय मिलने के बाद कानून व्यवस्था को पटरी पर लाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

मंत्री पद की शपथ लेने के बाद अंबाला में अफसरों की बैठक में उन्होंने साफ कह दिया कि जो अफसर काम नहीं करना चाहते वे अपना कुछ और जुगाड़ कर लें। वैसे अफसरों को पहले से ही उनके तल्ख तेवरों का अंदाजा है। कई बड़े नेताओं के विधानसभा में जीतकर न पहुंच पाने से मुख्यमंत्री को एक मजबूत अनुभवी सारथी की जरूरत थी जिसे विज पूरा कर सकते हैं। विज छठी बार विधानसभा में पहुंचे हैं और वहां के हर दांव-पेंच और सियासत से भी पूरी तरह वाकिफ हैं। 5 साल तक सरकार में रह कर उन्हें और भी कई बातों का अंदाजा हो गया है। कहा जा रहा है कि जजपा व निर्दलीयों की बैसाखियों के सहारे बनी सरकार को अपने तरीके से चलाने में मुख्यमंत्री को दिक्कतें आ सकती हैं लेकिन मजबूरी सांझी होने के चलते रास्ते भी निकल आएंगे। यह तो तय लगता है कि वह नौकरियों में पारदॢशता, भ्रष्टाचार व राज्य के हित से थोड़ा-बहुत भी समझौता नहीं करेंगे।

विज की सोच भी मुख्यमंत्री से मेल खाती है।  वहीं उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भले ही पहली बार विधायक बने हों लेकिन उनको मिले विभाग तथा उनकी दमदार युवा छवि से सरकार में उनका कद बढ़ा है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के बाद कैबिनेट में पहले नंबर पर भले ही दुष्यंत  चौटाला हों लेकिन गृह व अन्य कुछ बड़े विभाग मिलने के बाद विज की हैसियत को कम करके नहीं आंका जा सकता। अपनी पार्टी में तो आज भी वह महारथी हैं।

आलाकमान के खाते में विज के नम्बर अच्छे भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक साफ-सुथरी छवि व एक दबंग नेता के नाते विज के पार्टी आलाकमान के खाते में नंबर अच्छे हैं। 2014 व 2019 के चुनावों में टिकट के लिए विज ने पार्टी के किसी भी आला नेता के दरवाजे पर दस्तक नहीं दी और न ही मंत्री पद के लिए किसी से गुहार लगाई। उन्हें भरोसा था कि काम और ईमानदारी का फल खुद-ब-खुद मिल जाएगा। उनकी यह सोच भी उनके लिए फायदेमंद साबित हुई। सूत्रों के मुताबिक विज को गृह के अलावा स्वास्थ्य, स्थानीय निकाय व तकनीकी शिक्षा जैसे बड़े महकमों की जिम्मेदारी मिलने में मुख्यमंत्री की भी बड़ी भूमिका रही है। पिछली सरकार में उनके स्वास्थ्य विभाग व खेल विभाग का ट्रैक रिकार्ड काफी अच्छा रहा जिसके चलते उन्हें इस बार कई भारी-भरकम विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई। 


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Isha

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