बरोदा में समर्थन का सवाल ही पैदा नहीं होता, अगर BJP का समर्थन करना होता तो छोड़ता पार्टी: ढुल
punjabkesari.in Wednesday, Oct 21, 2020 - 09:27 AM (IST)
चंडीगढ़(धरणी): किसी समय पूर्व मुख्यमन्त्री ओमप्रकाश चैटाला के लाडले नेताओं में शुमार परमिन्द्र ढुल ने इनैलो के बुरे वक्त के समय पार्टी छोड दी थी और फिर उन्होने भा.ज.पा. ज्वाइन कर ली थी। लेकिन अचानक उन्होने ठीक बरोदा उपचुनाव से पहले भा.ज.पा. को झटका दे दिया है। उन्होने भाजपा को अलविदा कह दिया और उनके पुत्र रविन्द्र ढुल ने डब्बल एजी के पद से भी इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। एडवोकेट रविंद्र ढुल ने संकेत दिए है कि अब उनका परिवार इनेलो में कदापि नही जाएगा।
रविंद्र ढुल ने कहा कि हां, मैंने ए ए जी पद छोड़ने की घोषणा कर दी है। संवैधानिक पद है और प्रोसेस के हिसाब से होगा। मैं महाअधिवक्ता से मुलाकात करके उनको इस्तीफा सौंप दूंगा। किसान विरोधी बिलों के कारण हमने यह रिजाइन देने का फैसला लिया है।उनके पिता को क्या मनाने का प्रयास हुया पर बोले कि राजनीति में इस प्रकार की चीजें चलती रहती है। काफी कोशिशें की गई। लेकिन हमारा स्टैंड शुरू से क्लीयर था। जब तक यह किसान विरोधी बिल वापस नहीं होंगे या हरियाणा में इनके इम्पलीमेंट को नहीं रोका जाएगा तब तक किसी भी हिसाब से मानने का सवाल नहीं है। ढुल ने - पंजाब विधानसभा में प्रावधान हुआ है आज कि एम.एस.पी. से कम कीमत देना कानूनी अपराध होगा। 5 साल की सजा का भी प्रावधान है पर कहा कि निश्चित तौर पर हमने भी कहा था। पिछले हफते माननीय अध्यक्ष की प्रेस स्टेटमेंट भी आई और घोषणा भी हर जगह की गई थी। किसान संगठनों ने भी यही बात कही थी। केंद्रीय कृषि मंत्री को भी यही बात कही थी कि एम.एस.पी. गारंटी कानून लेकर आइए, हम आपका साथ देने का वादा करते हैं। लेकिन इस प्रकार की बातों को दरकिनार कर जबरदस्ती यह बिल थोपे गए। जिसमें एम.एस.पी. की गारंटी नहीं दी गई। यह बातें दिल तोड़ने वाली थी और किसान विरोधियों के साथ खड़े होने की हमारी कोई मंशा नहीं है। इसलिए हमने इस्तीफा दिया है।
रविंद्र ढुल ने कहा कि पूर्व विधायकों ने मीटिंग भी की थी- उससे पहले भी हमने पार्टी स्तर पर और हरियाणा निवास की मीटिंग में इस बात को स्पष्ट किया था कि जो बेसिक प्रावधान है उसमें कई बदलाव किए जाने चाहिए जैसे मंडी व्यवस्था को बरकरार का बदलाव एम.एस.पी. की गारंटी का बदलाव हो हमने सुझाव दिए थे। लेकिन उन्हें दरकिनार किया गया। जबकि सरकार ने आश्वासन दिया था कि सब की बात को सुनकर ही फैसला लिया जाएगा। बरोदा उपचुनाव सिर पर है। ऐसे में इस्तीफा देने पर रविंद्र ढुल ने कहा कि राजनेता है तो राजनीति तो करनी ही होगी। अगर मैं कंहू कि राजनीति नहीं करूंगा तो यह भी गलत होगा और हम राजनीतिक रूप से घर-घर जाएंगे और लोगों से अपील करेंगे कि जन विरोधी और किसान विरोधी सरकार का विरोध करें। उनके खिलाफ मतदान करने का काम करें। बरोदा में बी.जे.पी. के उम्मीदवार का समर्थन के मूददे पर रविंद्र ढुल बोले कि बरोदा में समर्थन का सवाल ही पैदा नहीं होता, अगर बी.जे.पी. उम्मीदवार का समर्थन करना होता तो भाजपा को छोड़ते ही क्यों।
रविंद्र ने इनेलो में जाने के मूददे पर कहा कि चोटाला साहब हमारे आदरणीय हैं, हमारे बुजुर्ग हैं और परिवार के 40- 50 सालों से रिश्ते हैं। कुछ दिन उन्होने पिताजी का नाम लेकर कहा था कि दोबारा पार्टी में आने के इच्छुक हैं। लेकिन हमारी तरफ से आज तक कभी इस प्रकार की बात नहीं हुई। हां, चैटाला साहब से मुलाकात जरूर हुई थी लेकिन केवल उनका हालचाल जानने के लिए इसके किसी भी प्रकार के राजनीतिक मायने नहीं थे।कुछ पूर्व विधायक जैसे रामपाल माजरा भी जल्दी आ सकते हैं पर कहा कि - बिल्कुल कयास हैं और सभी हमारे संपर्क में हैं। करीब एक दर्जन पूर्व विधायक और कुछ मौजूदा विधायक भी हमारे संपर्क में हैं। जो इस सरकार से छुटकारा पाना चाहते हैं केवल और केवल किसान विरोधी बिलों के कारण। इस किसान विरोधी सरकार को सभी मजा चखाना चाहते है। इनैलो के वक्त मेरे पिताजी बरोदा के चार बार प्रभारी रहे और महम विधानसभा के भी प्रभारी रहे। हमारा बरोदा विधानसभा में बहुत अधिक भाईचारा है। हमारे गौत्र के भी कई गांव है। हमारा शादी विवाहों में और राजनीतिक तौर पर भी यंहा बहुत ज्यादा आना-जाना है। हम निश्चित तौर पर जाएंगे और अपनी बात रखेंगे।
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