पाकिस्तान से आकर हरियाणा के इस गांव में बसे थे हजारों लोग, जानें गांव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
punjabkesari.in Friday, Nov 21, 2025 - 09:12 PM (IST)
कैथल : कैथल जिले का गांव रसूलपुर इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण है। आजादी के बाद देश विभाजन के दौरान पाकिस्तान से भारत आए अधिकांश परिवारों को सरकार ने बसाने के लिए इसी क्षेत्र की कृषि और रिहायशी भूमि आवंटित की थी। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, हिंसा और अफरातफरी के बीच विस्थापित लोग पहले अमृतसर में शरण लिए हुए थे। कुछ समय बाद उन्हें रसूलपुर में बसाया गया, जहां आज 90% से अधिक आबादी इन्हीं परिवारों की अगली पीढ़ी है।
ग्रामीणों ने बताया कि आजादी से पहले गांव का ढांचा छोटा था, लेकिन विस्थापितों के आने के बाद यह तेजी से विकसित हुआ। गांव के लोगों ने शिक्षा, सेना, प्रशासन और खेती-बाड़ी सहित कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है। यहां एक गौरव-पट भी लगाया गया है, जिसमें गांव के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों के नाम दर्ज हैं।

कोटि मातृ वरुण तीर्थ की धार्मिक महत्ता
गांव में स्थित कामेश्वर महादेव मंदिर और कोटि मातृ वरुण तीर्थ यहां की आध्यात्मिक पहचान हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि वामन पुराण के अनुसार भगवान शिव के पसीने की बूंदों से यहां मातृ शक्तियों का उद्भव हुआ था, जिन्होंने असुरों का नाश किया। इसी कारण इस स्थान को अत्यंत पवित्र माना जाता है। पहले यहां बड़े पैमाने पर मेलों का आयोजन भी होता था।
गांव की वर्तमान तस्वीर
- जनसंख्या: लगभग 6200
- साक्षरता दर: 67%
- मुख्य पहचान: कामेश्वर महादेव मंदिर, गुरुद्वारा सिंह सभा, ईसाई चर्च, आर्य चौपाल, गोगा माड़ी
- जीविका का आधार: खेती और पशुपालन
- स्थानीय कनेक्टिविटी: कैथल-नौध मार्ग से जुड़ा
- रसूलपुर आज विस्थापन, संघर्ष और पुनर्निर्माण की अद्भुत कहानी को संजोए हुए एक समृद्ध एवं संगठित बस्ती के रूप में विकसित हो चुका है।
(पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें)