मृतक के नाम पर कनवेंस डीड करने पर तीन एचसीएस सहित 20 पर केस
punjabkesari.in Tuesday, Sep 05, 2023 - 08:01 PM (IST)

गुडग़ांव,(ब्यूरो): मृतक के प्लॉट की कनवेंस डीड करने के बाद प्रॉपर्टी को मार्केट वैल्यू से आधे दाम पर बेचने पर सेक्टर-14 थाना पुलिस ने तीन एचसीएस, तत्कालील डीआरओ, तहसीलदार समेत 20 पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। पुलिस ने अदालत के आदेश के बाद मामला दर्ज किया।
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अदालत में दायर इस्तगासा में पंजाब के फाजिल्का निवासी धर्मवीर ने बताया कि उसके पिता सुनील कुमार ने गुडग़ांव के सेक्टर-23 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से एक प्लॉट लिया था। पेमेंट करने के बाद विभाग से उन्हें अलॉटमेंट लेटर दे दिया था। किन्हीं कारणों से विभाग ने उन्हें पहले अलॉट किया गया प्लॉट नहीं दिया। वहीं इसी सेक्टर में उन्हें एक अन्य प्लॉट अलॉट करके वर्ष 2007 में लेटर भेज दिया। धर्मबीर के पिता सुनील कुमार की वर्ष 2010 में मौत हो गई थी। धर्मवीर ने दायर इस्तागासा में तत्कालीन डीआरओ कृष्ण लाल बिश्नोई उनके रिश्तेदार हैं। जिसके चलते उनका घर आना-जाना लगा रहता था।
उनके पिता के देहांत के बाद कृष्ण लाल बिश्नोई व उनके बेटे विकास बिश्नोई ने प्लॉट हड़पने की योजना बनाई और अपने एक जानकार राजस्थान के जोधपुर निवासी कीरता राम के सुनील कुमार के नाम से दस्तावेज तैयार कराए। इसके बाद प्लॉट की कनवेंस डीड सुनील कुमार के नाम पर वर्ष 2016 में करा दी। उनके पिता के व कीरता राम के हस्ताक्षर मेल नहीं खा रहे थे। उसके बावजूद साजबाज होकर कनवेंस डीड करा दी गई। कनवेंस डीड बनवाने में कीरता राम की सुनील कुमार के नाम से पहचान करने में कृष्ण लाल बिश्नोई सुदेश कुमार, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कर्मचारी संजय कुमार, सुभाष चंद ने गवाही दी।
इस प्लॉट को बेचने के लिए सुनील कुमार के नाम से एक्सिस बैंक में खाता खुलवाया गया। जिसमें नकली सुनील कुमार की शिनाख्त विकास बिश्नोई ने की। धर्मवीर ने अदालत को बताया था कि जिस प्लॉट की कीमत चार करोड़ रुपए है उसे करीब ढाई करोड़ रुपए में दिल्ली के रहने वाले रामपाल सिंह तोमर व निशि सिंह को बेचा गया। वहीं पेमेंट को इस नकली सुनील कुमार के बैंक खाते में ट्रांसफर कराया। इस बैंक खाते को खुलवाने के दौरान इसमें नॉमिनी का नाम असली सुनील कुमार की पत्नी शकुंतला का न देकर नकली सुनील कुमार (कीरता राम) की पत्नी सरूपी का नाम लिखवाया गया। इस खाते में आई रकम को आरोपियों ने आपस में बांट लिया। इसकी रजिस्ट्री तत्कालीन तहसीलदार ओम प्रकाश द्वारा की गई। मिलीभगत करते हुए आरोपियों ने करीब दस करोड़ रुपये की ठगी की है।