रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार दो घूसखोर पुलिसकर्मी एक दिन की रिमांड पर, CIA ने कोर्ट में किया पेश
punjabkesari.in Wednesday, Mar 29, 2023 - 07:50 PM (IST)

यमुनानगर (सुमित ओबेरॉय) : मारपीट और स्नैचिंग केस में धारा बदलने और नाम निकालने की एवज में 2 लाख की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार एसएचओ गांधीनगर सुभाष और केस के जांच अधिकारी संजीव को कोर्ट में पेश किया गया। दोनों पुलिसकर्मियों को कोर्ट में पेश कर 1 दिन के रिमांड पर लिया गया है ताकि इस पूरे मामले में गहनता से जांच की जा सके। वहीं एसपी मोहित हांडा का कहना है कि भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक शिकायत प्राप्त हुई थी और शिकायतकर्ता ने कुछ तथ्य सामने रखे थे उन्हीं के आधार पर कार्रवाई करते हुए दोनों पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार अधिनियम एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है। इनकी विभागीय जांच भी खोली जाएगी।
मारपीट व स्नैचिंग के केस में नाम निकालने व धारा कम करने के नाम पर गांधीनगर थाना प्रभारी सुभाष चंद्र व जांच अधिकारी संजीव कुमार ने दो लाख रुपये की रिश्वत ली। यह आरोप चांदपुर निवासी आशिक अली ने लगाए गए हैं। आरोप था कि पैसे लेने के बाद भी उनके पिता का नाम केस नहीं निकाला गया। उसने थाना प्रभारी व जांच अधिकारी से बातचीत की रिकार्डिंग की और सुबूतों के साथ एसपी मोहित हांडा को शिकायत दी। इसके बाद मामले की जांच कराई गई। देर रात एएसपी जसलीन कौर व डीएसपी राजीव की टीम ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ आशिक अली की शिकायत पर शहर यमुनानगर थाना में केस दर्ज कराया गया।
पुलिस को दी शिकायत के अनुसार, चांदपुर निवासी आशिक उसके भाई व पिता आरिफ के खिलाफ 30 अगस्त को मारपीट, स्नैचिंग व धमकी देने का मामला गांधीनगर थाना में दर्ज हुआ था। आशिक का आरोप है कि उनके खिलाफ झूठा मुकदमा बिना तफ्तीश किए दर्ज किया गया। इस केस में आशिक को अग्रिम जमानत हाई कोर्ट से मिल गई थी। जबकि उसके पिता की जमानत जगाधरी में सेशन जज शालिनी नागपाल की कोर्ट से हुई थी। 25 नवंबर को वह जांच अधिकारी संजीव कुमार से मिले और केस की सही तफ्तीश करने के लिए अनुरोध किया। जिस पर जांच अधिकारी ने आशिक से कहा कि उसके पिता आरिफ का नाम निकाल दिया जाएगा। 379 बी धारा की जगह 379 कर दी जाएगी। इसके लिए थाना प्रभारी सुभाष चंद्र से मिलवाए। जांच अधिकारी व थाना प्रभारी ने दो लाख रुपये की मांग की। उन्हें कहा गया कि एक लाख रुपये डीएसपी हेडक्वार्टर को देने होंगे और एक लाख रुपये वह खुद रखेंगे। दो दिसंबर को उन्हें दो लाख रुपये दे दिए। आरोप था कि उनके पिता का नाम केस नहीं निकाला गया और न ही धारा बदली। थाना प्रभारी व जांच अधिकारी से पैसे वापस मांगे तो उन्होंने पैसे भी वापस नहीं किए और धमकी दी कि वह खुद पुलिस अधिकारी हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती।
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