White-collar Terrorist Module: हरियाणा की यूनिवर्सिटी का ''आतंकी मॉड्यूल'' बेनकाब? जांच में हुए बड़े खुलासे

punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 12:55 PM (IST)

फरीदाबाद: एक तरफ जहां डॉक्टर को जीवनदाता और भगवान का दर्जा दिया जाता है, वहीं अब कुछ ऐसे डॉक्टर सामने आए हैं, जिन्होंने सफेद कोट के पीछे मौत का कारोबार छिपा रखा था। दिल्ली ब्लास्ट की जांच में खुलासा हुआ है कि कई डॉक्टर आतंक और जुर्म के नेटवर्क से जुड़े थे। दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की Al-Falah University अचानक सुर्खियों में आ गई है। जांच एजेंसियों को पता चला है कि धमाके से जुड़े कई आरोपी इसी यूनिवर्सिटी के पूर्व या वर्तमान सदस्य हैं। यह वही यूनिवर्सिटी है जिसने हाल ही में अपना मेडिकल कॉलेज शुरू किया था, जहाँ देशभर से छात्र पढ़ने आते हैं। फरीदाबाद के धौज इलाके में स्थित यह यूनिवर्सिटी अब राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर है। जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ यूनिवर्सिटी की लैब और अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल कट्टरपंथी गतिविधियों और विस्फोटक तैयार करने में कर रहे थे। जो पेशा जिंदगी बचाने के लिए चुना गया था, वहीं अब मौत का सौदा करने का जरिया बन गया है।

जानकारी के अनुसार सोमवार शाम करीब 6:52 बजे, दिल्ली के लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के नज़दीक एक i20 कार में भीषण धमाका हुआ। इस विस्फोट में कई गाड़ियाँ जल गईं और कई लोगों की मौत हो गई। आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने इलाका सील कर दिया और राष्ट्रीय जांच एजेंसियाँ (NIA, दिल्ली पुलिस, स्पेशल सेल) जांच में जुट गईं।

 अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर छापेमारी

मंगलवार सुबह, पुलिस और NIA की टीमों ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर एक साथ छापा मारा। शुरुआती जांच में पता चला कि जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवातुल-हिंद का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क इस यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। रिपोर्ट के अनुसार, इस नेटवर्क के जरिए फंड ट्रांसफर, कट्टरपंथी भर्ती और विस्फोटक सामग्री का काम चल रहा था।

कार का वास्तविक मालिक कौन था 

जांच में पता चला कि धमाके में हुंडई i20 कार का इस्तेमाल किया गया। फॉरेंसिक जांच में यह कार कई बार खरीदी-बेची गई पाई गई। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि वास्तविक मालिक कौन था और अंतिम बार इसे किसने चलाया। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि आतंकी उमर नबी, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर था, धमाके से कुछ घंटे पहले यूनिवर्सिटी से i20 कार लेकर निकला था। वही इस ब्लास्ट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। पुलिस जांच अब फतेहपुर तगा गांव (फरीदाबाद) तक पहुंच चुकी है। यहां की मस्जिदों में तलाशी ली गई और चार जमातियों को हिरासत में लिया गया, ताकि नेटवर्क की गहराई तक पहुंचा जा सके।

 ऐसे उजागर हुआ आतंकी मॉड्यूल

पूरा मॉड्यूल तब उजागर हुआ जब 19 अक्टूबर 2025 को श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर मिले। इसके बाद डॉक्टर मुजम्मिल, अकील अहमद, इरफान और शाहीना की गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने इनके ठिकानों से करीब 2,900 किलो विस्फोटक बरामद किया। गिरफ्तार आरोपियों के सभी डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ होने की बात ने एजेंसियों को चौंका दिया है। शुरुआती पूछताछ में खुलासा हुआ कि डॉक्टरों पर शक कम होता है, इसलिए हेंडलर्स ने उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए चुना। फरीदाबाद-हरियाणा में की गई छापेमारी में अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर और अन्य विस्फोटक सामग्री मिली। यह माना जा रहा है कि यह किसी बड़े हमले की तैयारी थी।

भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

धमाके से ठीक पहले ही हरियाणा-फरीदाबाद में बड़ी छापेमारी के दौरान बम बनाने का सामान और कई हथियार बरामद हुए हैं। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमों की साझा कार्रवाई में लगभग 2,900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ।


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Content Editor

Deepak Kumar

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