क्या पंजाब सरकार की तर्ज पर हरियाणा सरकार लेगी डंकी एजेंटों पर एक्शन ?
punjabkesari.in Thursday, Feb 06, 2025 - 06:27 PM (IST)
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कुरुक्षेत्र (कपिल) : डोंकी के रास्ते यानि अवैध रूप से युवाओं को अमेरिका भेजने के मामले में जहां पंजाब सरकार हरकत में आई है और उन एजेंटों के प्रति सख्त रुख अपनाने की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार भी क्या डोंकी एजेंटों पर कार्रवाई करेगी। बता दें एजेंटों के द्वारा युवाओं को मोटी रकम लेकर अवैध रूप से अमेरिका भेजने की कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया। भले ही युवा उन एजेंटों के झांसे में आए और अपने बड़े सपने लेकर जान जोखिम में डालकर रोजगार के लिए हजारों किलोमीटर दूर न जाने क्या-क्या कष्ट सहकर अमेरिका पहुंचे थे। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार आने के बाद सख्त फैसले लिए जाने के चलते अब अवैध रूप से रह रहे शरणार्थियों को अमेरिका अपनी हद से बाहर कर रहा है और भारतीयों को जिस तरह से अमेरिका ने कैदियों की तरह वापस डिपोर्ट किया है यह ने केवल अचरज भरा है बल्कि रोजगार के मामले में भारत की दुनिया में साख के ऊपर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है
अमेरिका-कनाडा जाने वाले युवाओं को शरणार्थी होने का दिया जाता है ट्रेनिंग
डोंकी के रूट भेजे गए या भेजे जा रहे युवाओं को एजेंटों द्वारा अमूमन एक ही बात सिखाकर अमेरिका या कनाडा भेजा जाता है कि उन्हें अपने देश में जान का खतरा है, जिसे वहां की भाषा में एसाइलम या शरणार्थी कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शरणार्थियों के लिए बहुत से देशों का नरम रुख रहता है जिनमें अमेरिका और कनाडा विशेष तौर पर ऐसे देश हैं जहां इंसान की जान की कीमत को समझते हुए उन देशों में शरणार्थियों के लिए रोजगार सहित रहने की भी व्यवस्थाएं हैं और युवा यहां से भ्रमित होकर लाखों रुपये खर्च करके उन देशों में पहुंचकर अपने देश में अपनी जान को खतरा बताकर वहां कोर्ट केस डाल देते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो ऐसे लोग भारत में विपक्ष का कोई कार्यकर्ता, किसान आंदोलन से जुड़ा कोई कार्यकर्ता, अलगाववादी होने का खतरा या फिर जस्टिस फॉर सिख ग्रुप का सदस्य होने पर देश में जान का खतरा होने का दावा वहां की अदालतों में डालते हैं और उन्हें नए कानून से पहले वहां शरण भी मिलती रही है और वहां पर ग्रीन कार्ड भी मिलता रहा है। उन्हें अमेरिका या कनाडा की अदालतों में यह साबित करना होता है कि उन्हें वाकई अपने देश में जान का खतरा है। ऐसे मामलों की जानकारों की माने तो कथित तौर पर अमूमन ऐसा कार्य करने वाले एजेंटों द्वारा युवाओं को भ्रमित करके अपनी कमाई के चक्कर में विदेश की तरफ रुख कर दिया जाता है। विदेश जाकर करोड़ों कमाने का सपना दिखाया जाता है और युवा पथ भ्रमित होकर अपने देश की मिट्टी छोड़कर वहां चले जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि पहले युवा जंगल के रास्ते से अमेरिका नहीं गए बहुत से युवाओं द्वारा इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कई बार ऐसी जानकारियां साझा की गई हैं कि पनामा के जंगल में मानव कंकालों के ढेर लगे पड़े हैं उन्हें गंदे नदी नालों को पार करके महीनो में अमेरिका या कनाडा में पहुंचने का मौका मिला और उनके कुछ साथियों की इस बीच जान भी चली गई। केवल भारत से ही नहीं बल्कि दुनिया भर से जंगलों के रास्ते से डोंकर्स द्वारा कम ज्यादा उम्र के लोगों को विदेश भेजने का बहुत बड़े पैमाने पर काम किया गया। सरल भाषा में यदि इस ह्यूमन ट्रैफिकिंग भी कहा जाए तो गलत ना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा वापस लौटे 33 युवाओं में 11 युवा कैथल, 5 युवा कुरुक्षेत्र जिले के, 5 युवा जींद जिले के, 7 युवा करनाल जिले के, 2 युवा फतेहाबाद जिले के हैं। इसके अलावा भी कुछ अन्य क्षेत्रों से युवा अमेरिका गए हुए थे।
ये है हरियाणा के वापस लौटे युवाओं की लिस्ट
निसाहंत खानपुर खुर्द, आदित्य भैणी कलां, अभिषेक पेओडा, साहिल धुंडरहेड़ी, विकास कुरुक्षेत्र, जितेश कैथल, खुशप्रीत इस्माइलाबाद, मनदीप संडील, रोबिन इस्माइलाबाद, जगतार बथेरी, रोहित खड़क भूरा, पेरिस शाहाबाद, गगनप्रीत दीगोह, जगतार ढाणी रामपुरा, शिवम अधोया मुसलमाना बराड़ा, तमन्ना सिवाह, शुभम देहर, अनुज रिशपुर, योगेश खेरी रामनगर, अमन अटेला, अजय चूहड़पुर, अंकित सोनीपत, अक्षय खरड़, आकाश कलरोन, जतीन नीलोखेड़ी, ओ.एम.आई. खेरी सकरा, काजल नीलोखेड़ी, परमजीत हैबतपुर, साहिब पेहोवा, मनिंदर कुरुक्षेत्र, सुमित असंध, एन.एफ.एन. करनाल, अंकित कासन।
क्या सरकार लेगी एजेंटों के खिलाफ कोई सख्त एक्शन
यहां सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि युवाओं को विदेश में भेजने के लिए डोंकी की प्रक्रिया इस्तेमाल करने वाले ट्रैवल एजेंटों ने विदेशी डोंकर्स के साथ मिलकर जहां करोड़ों रुपये की मोटी कमाई की। वहीं सरकार को इनकम टैक्स के रूप में नाम मात्र भी कोई फायदा नहीं दिया, जबकि एक गैर कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए उन्होंने युवाओं को पथ भ्रमित किया और भारतीय मुद्रा का ह्रास भी किया। हरियाणा सरकार अब इस मुद्दे में पंजाब सरकार की तर्ज पर कोई एक्शन लेती है या फिर इस तरफ कोई ध्यान नहीं देती यह आने वाला समय ही तय करेगा।
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