ई-रिक्शा चलाकर बच्चों का पेट पाल रही ये महिला, दास्तान सुनेंगे तो कहेंगे भगवान ऐसा किसी के साथ न करे

punjabkesari.in Tuesday, Jun 22, 2021 - 08:05 PM (IST)

सिरसा (सतनाम): बचपन से कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर, कोई खिलाड़ी, कोई टीचर तो कोई नेता बनने के सपने देखता है। प्रत्येक बच्चे के दिमाग में बचपन से ही कुछ बनने की ललक लग जाती है। हालांकि ज्यादातर मामलों में  हालात के चलते व समय बीतने के साथ-साथ व्यक्ति के सपने भी बदलने लगते हैं। इसके बावजूद कई बार जिंदगी में ऐसी स्थिति आ जाती है जब व्यक्ति को अपने सपनों को खत्म करके परिस्थितियों के आगे घुटने टेकने पड़ते हैं। समाज में कई ऐसे पुरुष या महिलाएं हैं जिन्हें परिस्थितियों के आगे घुटने टेकने पड़े, वह बनना तो क्या चाहते थे लेकिन हालातों ने उन्हें कहा लाकर खड़ा कर दिया। 

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ऐसा ही एक कुछ हुआ सिरसा की एक बेटी सविता वाधवा के साथ। सिरसा में ही जन्मी पली, सिरसा में ही बहुत से सपने संजोए, लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए आज उसे ई-रिक्शा चलाकर अपने बच्चों का पेट भरना पड़ा रहा हैं। मां-बाप ने सविता की शादी की, जिसके बाद वह ससुराल वालों की मारपीट सहन नहीं कर पाई और अपनी 2 बेटियों व एक बेटे को लेकर बहादुरगढ़ चली गई। कैसे न कैसे करके वहां गुजर बसर चलाया, लेकिन समय के थपेड़ों ने सविता को वहां भी नहीं बख्शा। 

कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के कारण सब बंद हो गया, जिससे उसका काम भी बंद हो गया। जिसके बाद बहादुरगढ़ छोड़ वापस 20 साल बाद जब सिरसा लोटी तो मां-बाप ने भी स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद आज सविता ई-रिक्शा चलाकर अपना घर चला रही है। बता दें कि 2017 में सविता का एक्सीडेंट हुआ, जिसके बाद सविता पैरालाइज्ड है। सविता की 2 बेटियां हैं व 1 बेटा है। 1 बेटी नोवीं कक्षा में है व दूसरी लड़की ग्रेजुएट है। सविता ई-रिक्शा चलाकर अपने बच्चों की पढ़ाई व घर दोनों चला रही है।

जब सविता से इस विषय पर बात की तो उन्होंने बताया कि मेरी बेटियों के भविष्य के बारे में मेरे अलावा कोई सोचने वाला नहीं है। घर में मेरे पापा और भाई हैं, लेकिन मेरे साथ कोई भी खड़ा नहीं है। जिस कारण मैं ई-रिक्शा चला रही हूं। उन्होंने बताया कि मां-बाप ने मेरी शादी की, लेकिन शादी के बाद ससुराल वाले मुझे बहुत प्रताड़ित  करते थे, मुझे मारते पीटते थे। कई बार मैंने इस विषय पर अपने मां-बाप को बताया, लेकिन उनके पास सिर्फ एक ही जवाब था कि तू अगर हमारे पास आएगी तो हम तुझे वापस तेरे ससुराल छोड़ देंगे। 

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सविता ने बताया कि ससुराल वालों की प्रताड़ना सहन नहीं हुई, जिसके बाद मैं बहादुरगढ़ अपने बच्चों को लेकर चली गई। बहादुरगढ़ में मेरा कोई अपना नहीं था, जैसे तैसे करके मैंने मेरी बेटियों के नाम से टिफिन का काम शुरू किया। लेकिन लॉकडाउन के कारण वो भी बंद हो गया। सब अपने-अपने घर चले गए। जिसके बाद घर चलाना मुश्किल हो गया। 

उन्होंने बताया कि जब किसान आंदोलन शुरू हुआ तो सिरसा से कुछ लोग बहादुरगढ़ आए। उन्होंने मुझसे पूछा के आप कहां से हो। सविता ने बताया कि किसानों द्वारा अखबार में मेरे बारे में लिखा गया, जिसके बाद मेरे परिवार वालों को पता चला कि मैं बहादुरगढ़ में हूँ। उसके बाद भी वो लोग मुझसे मिलने नहीं आए। जिसके बाद में खुद ही अपने बच्चों को लेकर सिरसा आ गई।

सिरसा के हालातों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 20 साल बाद में सिरसा आई हूं, लेकिन सिरसा के हालात आज भी वही हैं, जो आज से 20 साल पहले थे। आज भी सिरसा में लड़कियों को आजादी नहीं है। लड़का चाहे कुछ भी करे, लेकिन लड़की कुछ करे तो वो गलत समझते हैं। उन्होंने बताया कि मैं अपनी बेटियों को बेटों के बराबर समझती हूं और ये सोच हम सभी को बदलनी पड़ेगी। 

वहीं सवारियों द्वारा व्यवहार को लेकर पूछा तो सविता ने बताया कि लोग बहुत ही अजीब तरीके से देखते हैं कि एक औरत रिक्शा चला रही है, लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि मुझे मेरे बच्चों का भविष्य सुधारना है। सविता ने बताया कि भीख मांगने से बढ़िया तो मेहनत करती है। सविता ने कहा कि दूसरे ई-रिक्शा चालक भी मेरा बहुत सहयोग करते हैं। मैं जहां कहीं से भी सवारी लूं तो कोई मुझे रोकता नहीं है।

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जब इस विषय पर सविता के साथ ई-रिक्शा चालकों से बात हुई तो उन्होंने बताया की बहुत अच्छा लगता है की एक महिला ई-रिक्शा चला रही है और अपने बच्चों का पेट भर रही है। उन्होंने बताया की सविता केवल सिरसा में एक ही महिला ई-रिक्शा चालक है। सविता के इस जज्बे से हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है कि परिस्थितियों के आगे कभी हारना नहीं चाहिए बल्कि लड़ना चाहिए। ई-रिक्शा चालकों ने बताया की हमारी तरफ से सविता के लिए जो भी सहयोग रहेगा हम जरूर करेंगे। सविता ने हरियाणा सरकार से मांग की है कि सरकार द्वारा उसकी बेटियों को पढ़ाने में उसकी मदद की जाए व उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए।


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Content Writer

vinod kumar

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