बुखार गया लेकिन दर्द रह गया: तरल, इलेक्ट्रोलाइट्स और ऊर्जा की भूमिका :  डॉ. संजय कालरा

punjabkesari.in Thursday, Oct 02, 2025 - 07:43 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : साल 2025 में भारत में वायरल बुखार सिर्फ बढ़ नहीं रहे, बल्कि लंबे खिंच रहे हैं और शरीर को थका कर छोड़ रहे हैं। बुखार कुछ दिनों में उतर जाता है, लेकिन मरीज़ हफ्तों तक हाथ-पैरों में दर्द, जोड़ों में जकड़न, कमजोरी और थकान से जूझते रहते हैं। यह संकेत है कि शरीर अंदर से सूजन और पानी की कमी झेल रहा है। दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में अगस्त 2024 में 38% घरों में वायरल संक्रमण थे, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 54% से ऊपर हो गए। अब सिर्फ बुखार समस्या नहीं है, बल्कि उसके बाद की थकान और दर्द असली चुनौती बन गए हैं। बच्चे, बुजुर्ग और वयस्क—सब प्रभावित हो रहे हैं।

 

इन लक्षणों की जड़ वायरस हैं—जैसे डेंगू, चिकनगुनिया और इन्फ्लुएंजा। ये शरीर में साइटोकाइन्स नामक रसायन छोड़ते हैं। ये संक्रमण से तो लड़ते हैं, लेकिन साथ ही मांसपेशियों और जोड़ों में सूजन पैदा कर देते हैं। नतीजा है लगातार दर्द और कमजोरी। दूसरी बड़ी लेकिन कम समझी गई वजह है पानी और नमक की कमी बिना दस्त या उल्टी के। वायरल बुखार में तेज पसीना, कम खाना, तेज सांसें और शरीर की ऊर्जा खपत से पानी और ज़रूरी मिनरल्स जैसे कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम घट जाते हैं। सिर्फ पानी पीना काफी नहीं है। शरीर को तरल के साथ सही इलेक्ट्रोलाइट्स और ऊर्जा चाहिए। ऐसे में FEE सॉल्यूशन (Fluids, Electrolytes, Energy) ज़रूरी हो जाते हैं। अगर इन्हें समय पर पूरा न किया जाए, तो बुखार उतरने के बाद भी थकान और ऐंठन बनी रहती है। यही कारण है कि बहुत से मरीज़ "ठीक" दिखते हैं, पर उनका शरीर अब भी जूझ रहा होता है।

 

बरसात और मौसम बदलने के दिनों में यह और गंभीर हो जाता है। नमी और पानी जमने से मच्छर बढ़ते हैं, जिससे डेंगू-चिकनगुनिया फैलते हैं। भीड़भाड़ वाले कमरों और बदलते तापमान से सांस के वायरस फैलते हैं। इन हालात में शरीर की ऊर्जा और खनिज और तेज़ी से घटते हैं। डॉ. संजय कालरा कहते हैं, “बुखार उतरना इलाज का अंत नहीं है। असली रिकवरी तभी होती है जब हम शरीर को वह लौटाएं जो उसने खोया है—तरल, इलेक्ट्रोलाइट्स और ऊर्जा। अगर इन पर ध्यान न दिया जाए तो कमजोरी लंबे समय तक बनी रहती है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है।” 2025 की तस्वीर साफ़ बताती है कि इलाज सिर्फ दवा तक सीमित नहीं होना चाहिए। थकान और मांसपेशियों का दर्द नज़रअंदाज़ करने की चीज़ नहीं हैं। ये शरीर का अलार्म है कि वह अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ। सही समय पर रीहाइड्रेशन और ऊर्जा देने से मरीज़ जल्दी और बेहतर स्वस्थ हो सकते हैं। बुखार से उबरने की परिभाषा बदलनी होगी। अब इलाज का मतलब है—पूरा ख्याल रखना। चाहे घर पर हों, क्लीनिक में या सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं में, FEE सॉल्यूशन को वायरल बुखार की देखभाल का हिस्सा बनाना ही होगा। क्योंकि बुखार खत्म होने के बाद भी शरीर अक्सर मदद मांग रहा होता है।

 

 


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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