बच्चों के विकास पर तकनीक के असर का सही तरीके से होना चाहिए आकलन: दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव नरेश कुमार

punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 07:46 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : भारत की प्रमुख नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) में से एक मणप्पुरम फाइनेंस ने दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम ‘मणप्पुरम डायलॉग’ का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की थीम ‘डिजिटल डिमेंशिया - तकनीक की संज्ञानात्मक लागत को समझना और उसका समाधान (अंडरस्टैंडिंग एंड एड्रेसिंग कॉग्निटिव कॉस्ट ऑफ टेक्नोलॉजी)’ विषय पर केंद्रित थी। दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव नरेश कुमार (आईएएस) ने मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शिरकत की। “तकनीकी क्रांति निश्चित रूप से बड़े बदलाव लाने वाली है लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हैं, जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। मैं डिजिटल डिमेंशिया और स्क्रीन के अत्यधिक इस्तेमाल का बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलान के लिए मणप्पुरम फाइनेंस की इस पहल की सराहना करता हूं। बच्चों में बढ़ता संज्ञानात्मक असंतुलन (कॉग्निटिव इम्बैलेंस) चिंता का विषय है। यह हमें याद दिलाता है कि तकनीक का इस्तेमाल समझदारी से किया जाना चाहिए ताकि इससे मानव जीवन बेहतर बने, ना कि वह इससे क्षीण हो जाए।”

 

मणप्पुरम फाइनेंस के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर वी.पी. नंदकुमार ने सम्मानित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी का मानव व्यवहार पर सामान्य रूप से और बच्चों पर विशेष रूप से गहरा एवं गंभीर प्रभाव पड़ता है। प्रौद्योगिकी में एक विघटनकारी तत्व भी होता है, जो सामाजिक संचार एवं व्यक्तिगत व्यवहार के स्थापित मानदंडों को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि सोशल मीडिया, कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मोबाइल संचार उपकरण जैसे इनोवेटिव टूल हमारे बच्चों के संज्ञानात्मक एवं व्यवहारिक पहलुओं को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं।’ बेंगलुरु स्थित निमहंस (NIMHANS) में क्लिनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने मुख्य भाषण दिया। उन्हें भारत के टेक्नोलॉजी डि-एडिक्शन इनिशिएटिव ‘शट क्लिनिक’ के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है। डॉ. शर्मा ने बताया कि डिजिटल डिमेंशिया का अर्थ उपकरण के अत्यधिक इस्तेमाल के चलते याद्दाश्त और ध्यान से जुड़ी होने वाली समस्याएं हैं। उन्होंने स्क्रीन टाइम सीमित करने के लिए निवारक उपायों की आवश्यकता पर बल दिया तथा अभिभावकों से ऑफलाइन गतिविधियों को बढ़ावा देने और घर में तकनीक-मुक्त क्षेत्र बनाने की अपील की, ताकि स्वस्थ आदतों को बढ़ावा मिल सके।

 

‘मणप्पुरम डायलॉग’ का यह विशेष आयोजन दिल्ली में हुआ। मुख्य सत्र डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित अतिथियों की उपस्थिति रही, जिनमें अमला अस्पताल के निदेशक फादर जूलियस अरक्कल सीएमआई, अल्फा पैलिएटिव केयर के अध्यक्ष के.एम. नूरुद्दीन, किडनी फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तथा त्रिसूर के एसीटीएस के संस्थापक फादर डेविस चिरामेल, जुबिली मिशन अस्पताल के सीईओ डॉ. बेनी जोसेफ शामिल थे। मणप्पुरम फाइनेंस के महाप्रबंधक एवं मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सनोज हर्बर्ट ने सभा को संबोधित किया, जबकि मणप्पुरम फाइनेंस के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी के.एम. अशरफ ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का समापन मणप्पुरम फाउंडेशन के सीईओ जॉर्ज डी दास द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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