भारत में ईवी का नया दौर : विद्यार्थियों के लिए बेहतर करियर का बड़ा अवसर : सुनीत सिंह कोचर

punjabkesari.in Monday, Dec 08, 2025 - 07:27 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो :दुनिया तेज़ी से बदल रही है, और एक बड़ा बदलाव फॉसिल फ्यूल से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर है। सरकारी आदेशों से लेकर कॉरपोरेट बदलावों तक, इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) क्रांति अब एक वास्तविकता बन चुकी है। भारतीय स्टूडेंट्स के लिए, यह न केवल टेक्नोलॉजी में बड़े बदलाव को दर्शाता है, बल्कि एक सार्थक और भविष्य पर फोकस करने वाला करियर बनाने का एक ज़बरदस्त मौका भी है।

 

ईवी क्रांति की बेसिक बातें

इलेक्ट्रिक व्हीकल इंटरनल कम्बशन इंजन को क्लीनर विकल्पों से बदलकर ऑटोमोटिव सेक्टर को बदल रहे हैं। वे कई तरह के होते हैं और उनमें से कुछ हैं बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल जो पूरी तरह से रिचार्जेबल बैटरी पर चलते हैं; प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल पारंपरिक इंजन के साथ बैटरी जोड़ते हैं; हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल दोनों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उन्हें प्लग इन नहीं किया जा सकता; और हाइड्रोजन फ्यूल सेल व्हीकल हाइड्रोजन से बिजली बनाते हैं, और सिर्फ पानी निकालते हैं। साथ में, वे सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट के लिए अलग-अलग रास्ते दिखाते हैं। दुनिया भर में सरकारें नेट-ज़ीरो टारगेट के लिए पॉलिसी बना रही हैं, जिससे ईवी अपनाने की रफ़्तार बढ़ रही है—2025 तक, दुनिया भर में बिकने वाली हर पाँच नई कारों में से एक इलेक्ट्रिक होने की उम्मीद है। भारत, ्य और आयरलैंड जैसे देश न सिर्फ एमिशन कम कर रहे हैं, बल्कि इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप और ग्रीन जॉब्स में भी मौके बना रहे हैं।

 

करियर कैटेलिस्ट के तौर पर ईवी

ईवी के आने से सीधे और इनडायरेक्टली अलग-अलग सेक्टर पर बहुत ज़्यादा असर पड़ने वाला है। ऑटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन, एनर्जी, माइनिंग, केमिकल, बैटरी मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट वगैरह जैसी इंडस्ट्रीज़ पर सीधा गहरा असर पड़ने वाला है। ईवी अपनाने से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी स्टोरेज और सस्टेनेबल डिज़ाइन में बड़े इन्वेस्टमेंट को भी बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा,  ईवीएस में इंटरनेशनल रिलेशन, ग्लोबल पॉलिसी और जियोपॉलिटिक्स पर बहुत ज़्यादा असर डालने की ताकत है। इसकी ताकत को ध्यान में रखते हुए, देश ईवीएस से आने वाले बदलाव के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।

 

ग्लोबल लैंडस्केप

यूके ने 2050 तक नेट-ज़ीरो कार्बन एमिशन का वादा किया है और इसके लिए कानूनी तौर पर बाइंडिंग कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाला पहला देश बन गया है। 2023 में यूके के कुल ग्रीनहाउस गैस एमिशन में ट्रांसपोर्ट का हिस्सा 29 प्रतिशत था, जिससे यह यूके की इकोनॉमी का सबसे ज़्यादा एमिटिंग करने वाला सेक्टर बन गया। यूके के ट्रांसपोर्ट एमिशन का आधे से ज़्यादा (54 प्रतिशत) हिस्सा कारों और टैक्सियों से आता है। इसलिए, सरकार 2030 तक ईवीएस  लाने और इंटरनल कम्बशन इंजन की बिक्री पर बैन लगाने का प्लान बना रही है। इस बदलाव को सपोर्ट करने के लिए, यह आर एंड डी के लिए एमएसएमई को लोन में 150 मिलियन और पूरे सेक्टर इन्वेस्टमेंट में 90 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट कर रही है। इससे सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियर से लेकर बैटरी केमिस्ट और स्मार्ट ग्रिड एनालिस्ट तक, कई तरह की जॉब रोल बनेंगे। इसी तरह, आयरलैंड भी इलेक्ट्रिफिकेशन की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसका टारगेट 2030 तक अपनी सड़कों पर 9,36,000 ईवीएस लाना है, यानी अपनी कुल गाड़ियों का लगभग एक तिहाई। सरकारी ग्रांट, टैक्स रिबेट और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम इस ग्रोथ को सपोर्ट कर रही हैं। भारत, जो 5वां सबसे बड़ा ऑटो मैन्युफैक्चरर है, 2030 तक तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा। 2070 तक नेट-ज़ीरो टारगेट के साथ, भारत कमर्शियल गाड़ियों और प्राइवेट कारों में ईवी की पहुंच बढ़ाने का लक्ष्य बना रहा है। ईवी को बढ़ावा देने से 1 करोड़ प्रत्यक्ष रोजगार और 5 करोड़ अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा हो सकते हैं। भारतीय स्टूडेंट्स के लिए, इन मार्केट में अलग-अलग तरीकों और इनोवेशन को समझने से उन्हें क्रॉस-बॉर्डर कीमती जानकारी और करियर की दिशा मिलती है। भारत तेज़ी से ग्लोबल ईवी ट्रांज़िशन में एक अहम प्लेयर के तौर पर अपनी जगह बना रहा है, जिसे फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक-2 (फेम-2)  जैसी सरकारी पहल, राज्य-स्तरीय ईवी (ईवी) पॉलिसी और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ऑटोमेकर्स से बढ़ते इन्वेस्टमेंट से बढ़ावा मिल रहा है। लोकल मैन्युफैक्चरिंग, बैटरी इनोवेशन और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर देकर, देश न केवल इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स को बड़े पैमाने पर अपनाने का टारगेट बना रहा है, बल्कि खास कोर्स और इंडस्ट्री-एकेडेमिया कोलेबोरेशन के ज़रिए टैलेंट पाइपलाइन को भी तैयार कर रहा है। यह बदलता हुआ इकोसिस्टम भारत के एक बड़ा ईवी मार्केट और इनोवेशन का हब बनने के सपने को दिखाता है।

 

मौके कहां हैं

जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल क्रांति ज़ोर पकड़ रही है, एजुकेशन सेक्टर को भी उतनी ही तेज़ी से आगे बढ़ने की ज़रूरत है। यूके और आयरलैंड की यूनिवर्सिटीज़ ईवी इंडस्ट्री की उभरती ज़रूरतों के हिसाब से स्पेशलाइज़्ड के साथ-साथ अपस्किलिंग और रीस्किलिंग कोर्स शुरू करके आगे बढ़ रही हैं। ये प्रोग्राम कई सब्जेक्ट्स में हैं, जो स्टूडेंट्स को आने वाले समय के मोबिलिटी लैंडस्केप के लिए ज़रूरी नॉलेज और स्किल्स देते हैं। यूके ईवी फोकस्ड एजुकेशन के लिए एक हब के तौर पर उभरा है, जहां यूनिवर्सिटीज़ ग्रीन मोबिलिटी टैलेंट की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए स्पेशलाइज़्ड पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम शुरू कर रही हैं। देश के ऑटोमोटिव हार्टलैंड में, इंस्टीट्यूशन व्हीकल टेक्नोलॉजी, हाइड्रोजन और फ्यूल सेल सिस्टम, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और कनेक्टेड ऑटो में कोर्स के ज़रिए इनोवेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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