लॉकडाउन ने दिया हरियाणा रोडवेज को करारा आर्थिक झटका, इतने कराेड़ रुपये का नुकसान

punjabkesari.in Sunday, May 03, 2020 - 05:01 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): काेराेना वायरस महामारी के चलते पूरे देश काे लाॅकडाउन किया गया है। इस लॉकडाउन ने हरियाणा रोडवेज को करारा आर्थिक झटका दिया है। पहले से ही करीब 600 करोड़ से अधिक घाटे में दबे रोडवेज विभाग को इस लॉकडाउन में अभी तक 144 करोड़ का नुकसान हाे चुका है। यह घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसे लेकर हरियाणा सरकार भी चिंतित है।

हरियाणा का रोडवेज विभाग विभाग मौजूदा परिस्थितियों में लगभग 600 करोड़ से अधिक वित्तीय घाटे में चल रहा है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार अपनी बस सेवा को और विस्तार करने में जुटी है। मगर लॉकडाउन की वजह से प्रस्ताव लंबित हैं। दूसरी ओर, इन दिनों रोडवेज विभाग का वित्तीय घाटा लगातार बढ़ने लगा है। 

इसी के चलते बड़ा फैसला लेते हुए हरियाणा मंत्रिमंडल समूह ने दो दिन पहले बसों के किराए में 15 से 20 पैसे तक प्रति किलोमीटर के हिसाब से इजाफे का एलान कर दिया है। ताकि किसी तरह इस घाटे काे कम किया जाए। तर्क यह भी है कि किराया बढ़ाने के बावजूद अभी भी हरियाणा रोडवेज का किराया दूसरे राज्यों से अपेक्षाकृत कम है।

बहरहाल, बढ़े किराये के संदर्भ में प्रस्ताव एलआर के पास भेज दिया गया है। ताकि इसके तमाम कानूनी पहलुओं पर गौर करने के बाद इसकी अधिसूचना जारी की जा सके।

बता दें कि प्रदेश के सभी जिलों में रोडवेज के 23 डिपो और 13 सब डिपो मौजूद हैं। इनके अंतर्गत इस वक्त बेड़े में कुल 3853 (3200 सरकारी, 150 सरकारी गुलाबी मिनी बसें, 18 लगजरी बसें और 485 किलोमीटर स्किम वाली हायर की प्राइवेट बसें) बसें शामिल हैं। ये बसें हरियाणा के विभिन्न जिलों के साथ-साथ कुछ अन्य राज्यों में भी यात्रियों को लेकर जाती हैं। 

रोजाना सरकारी बसों से कुल 3.69 करोड़ की किराए के रूप में आमदनी होती है। इसके अलावा विभिन्न छोटे-बड़े बस अड्डों पर किराए पर दी गई दुकानों और बूथों से भी आमदन होती है। रोडवेज विभाग को सालाना करीब 1350 करोड़ राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन 24 मार्च से हरियाणा रोडवेज की बस सेवा पूरी तरह स्थगित चल रही है। जिसके चलते अब तक रोडवेज विभाग को 144 करोड़ का नुकसान हो चुका है।

इसके अलावा काफी संख्या में सरकारी बसें जिला प्रशासन के अंतर्गत कोरोना महामारी से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न टास्क में लगी हुई हैं। जबकि कई बसों में तो मोबाइल टेली मेडिसन की सुविधा भी दी जा रही है। हालांकि ये अच्छी बात है, मगर वित्तीय लिहाज से देखा जाए तो इनके डीजल व मेंटेनेंस का खर्च अभी तक रोडवेज विभाग ही झेल रहा है। यदि स्वास्थ्य महकमा रोडवेज विभाग को इसका भुगतान नहीं करता तो डीजल व मेंटेनेंस का वित्तीय बोझ भी रोडवेज विभाग पर ही आने वाला है। जिससे निसंदेह विभाग का घाटा और बढ़ेगा।

घाटे के एक और पहलू को देखें तो विभाग के अफसरों को इस बात की भी आशंका है कि 24 मार्च से बस अड्डों पर बंद पड़ी दुकानों और बूथों का किराया भी शायद विभाग को संकट के इस दौर में न मिले। चूंकि दुकानें बंद हैं, काम ठप है तो ऐसी स्थिति में विभाग अपने किरायेदारों पर किराया देने का दबाव भी नहीं बना पाएगा।


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Edited By

vinod kumar

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