262 वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग के 5 सदस्य काबू, दो मोबाइल व 1 लाख 17 हजार रुपए बरामद
punjabkesari.in Friday, May 06, 2022 - 11:21 AM (IST)
फरीदाबाद (ब्यूरो) : देश में साइबर क्राइम की 262 वारदातों को अंजाम देने वाली गैंग के पांच आरोपियों को पुलिस ने पकडऩे में कामयाबी हासिल की है। पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में धर्मेंद्र, विकास उर्फ विकी, सचिन, मनीष तथा मैक्स उर्फ बिल्लू का नाम शामिल है। आरोपी विकास यूपी के मुजफ्फरनगर, आरोपी धर्मेंद्र दिल्ली के त्रिलोकपुरी तथा आरोपी सचिन, मनीष तथा बिल्लू गुरुग्राम के रहने वाले हैं।
आरोपी धर्मेंद्र तथा विकास साइबर क्राइम की वारदातों के मुख्य आरोपी हैं तथा आरोपी सचिन का बैंक खाता धोखाधड़ी की इन वारदातों में प्रयोग किया जाता था। वहीं आरोपी मनीष तथा आरोपी बिल्लू आरोपी सचिन और धर्मेंद्र के बीच की कड़ी थी जो सचिन से बैंक एटीएम लेकर धर्मेंद्र तथा विकास को उपलब्ध करवाता था जो धोखाधड़ी से प्राप्त हुई रकम को निकलवा लेते थे। आरोपियों द्वारा फरीदाबाद के आदर्श नगर के रहने वाले सत्य प्रकाश से साइबर फ्रॉड की वारदात को अंजाम देते हुए दो लाख 15 हजार 549 रुपए हड़प लिए थे। पीड़ित की शिकायत के आधार पर 26 दिसंबर को धोखाधड़ी तथा षड्यंत्र इत्यादि धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की गई।
पुलिस आयुक्त विकास कुमार अरोड़ा ने मामले में आरोपियों की धरपकड़ के लिए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बसंत के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया जिसमें एएसआई भूपिंदर, नरेंद्र तथा नीरज, महिला प्रधान सिपाही अंजू, सिपाही संदीप, अमित तथा अंशुल का नाम शामिल था। काफी दिनों की कड़ी मशक्कत तथा गुप्त सूत्रों व तकनीकी की सहायता से साइबर थाना की टीम ने इस मामले में शामिल आरोपी सचिन, मनीष तथा बिल्लू को 20 अप्रैल को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों को अदालत में पेश करके 2 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया जिसमें आरोपियों ने अपने साथी धर्मेंद्र और विकास के बारे में पुलिस को जानकारी दी। उक्त आरोपियों की जानकारी के आधार पर 22 अप्रैल को आरोपी धर्मेंद्र तथा विकास को भी गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपियों को अदालत में पेश करके 3 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया जिसमें आरोपियों ने फरीदाबाद निवासी के साथ की गई धोखाधड़ी की वारदात के बारे में पुलिस को जानकारी दी।
आरोपी लोन के पैसे खाते में डलवाने के लिए ग्राहक को लालच देते कि लोन का कुछ हिस्सा उन्हें पहले अपने खाते में जमा करना होगा और उसके पश्चात उन्हें लोन की पूरी रकम उनके खाते में डाल दी जाएगी। लोन की राशि को पाने के लालच में आकर ग्राहक आरोपियों द्वारा बताई गई रकम आरोपियों द्वारा खुलवाए गए ग्राहक के अकाउंट में डलवा देते थे। जैसे ही रकम ग्राहक के खाते में आ जाती थी तो नेट बैंकिंग की सहायता से आरोपी सारी की सारी रकम अपने साथी आरोपी सचिन के एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते थे। इसी प्रकार की धोखाधड़ी को अंजाम देते हुए आरोपियों ने फरीदाबाद निवासी सत्य प्रकाश को उसकी पॉलिसी पर 12 लाख रुपए रुपए का लोन दिलवाने का लालच देकर उसके खाते से दो लाख 15 हजार रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए और इसके पश्चात आरोपियों ने एटीएम के माध्यम से सारे पैसे निकलवा लिए।
साइबर थाना की टीम ने इस मामले में आरोपियों के कब्जे से 2 मोबाइल फोन और एक लाख 17 हजार 500 रुपए बरामद किए हैं। साइबर थाना की टीम ने आरोपियों के कब्जे से प्राप्त मोबाइल फोन के माध्यम से जब जानकारी निकलवाई तब पता चला कि इन मोबाइल नंबर के माध्यम से पूरे देश के अंदर आरोपियों द्वारा 262 साइबर क्राइम की वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है जिसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के 91 तथा दिल्ली के 30 मामले शामिल है। पूछताछ पूरी होने के पश्चात आरोपियों को अदालत में दोबारा पेश करके जेल भेज दिया गया है। साइबर थाना की टीम द्वारा इस मामले में बड़ी कामयाबी हासिल की गई है जो भविष्य में भी इसी प्रकार साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने में लगातार प्रयासरत रहेगी।
ईश्योरेंस कंपनी से डाटा चुराकर करते थे धोखाधड़ी
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि आरोपी बहुत ही शातिर किस्म के अपराधी हैं। इस मामले का मुख्य आरोपी धर्मेंद्र एक इंश्योरेंस करवाने वाली कॉल सेंटर कंपनी में नौकरी करता था जहां पर उसके पास विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों के ग्राहकों की जानकारी थी। आरोपी धर्मेंद्र कंपनी से जानकारी चुराकर लाता था और इसी जानकारी के आधार पर आरोपी ने अपने साथी विकास के साथ मिलकर पॉलिसी धारकों से संपर्क करना शुरू कर दिया। आरोपी उन कस्टमर को अपना निशाना बनाते थे जिनकी जिनकी पॉलिसी किस्त न भरने या अन्य किसी कारण से लेप्स हो चुकी होती थी। आरोपी पॉलिसी धारकों को कॉल करके उनकी लेप्स हुई पॉलिसी पर बजाज फाइनेंस कंपनी से लोन दिलवाने का लालच देते थे। जब पॉलिसी धारक अपनी लेप्स पॉलिसी पर लोन लेने के लिए राजी हो जाता था तो वह उसे बैंक में नया खाता खुलवाने के लिए बोलते थे जिसमे लोन की रकम डालने का लालच दिया जाता था और खाता खुलवाने के लिए पॉलिसी धारक का आधार, पेन कार्ड तथा अन्य जरूरी कागजात मंगवा लेते थे। इसके बाद आरोपी पॉलिसी होल्डर के कागजात के आधार पर बैंक में ऑनलाइन खाता खुलवाकर उसकी नेट बैंकिंग सर्विस एक्टिवेट करवा लेते थे और ग्राहक को झांसे में ले ओटीपी की सहायता से नेट बैंकिंग का आईडी पासवर्ड तैयार करके अपने पास रख लिया जाता था।
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