चुनाव जीतने उपरांत कंवर सिंह ने थामा था भाजपा का हाथ

punjabkesari.in Saturday, Sep 11, 2021 - 09:35 AM (IST)

 

रेवाड़ी/धारूहेड़ा (योगेंद्र सिंह) : राजनीति भी अजीब है, कुर्सी के लिए कोई कुछ भी करने को तैयार रहता है लेकिन पश्चावा तो सिर्फ जनता को ही होता है। ऐसा ही कुछ धारूहेड़ा नगर पालिका चेयरमैन चुनाव में भी देखने को मिला। दिसंबर 2020 में हुए नगर पालिका धारूहेड़ा के चेयरमैन चुनाव में कंवर सिंह ने निर्दलीय ताल ठोंकी और भाजपा सहित दूसरे पर्टियों के प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए चुनाव में विजयी हुए। यानि प्रदेश की जनता ने सरकार के खिलाफ निर्दलीय को चुनाव जीताकर उस पर भरोसा जताया लेकिन दो दिन बाद ही कंवर सिंह ने चंडीगढ़ जाकर सीएम मनोहरलाल खट्टर की मौजूदगी में भाजपा का पटका धारण कर जनता के निर्णय पर पानी फेर दिया। हालांकि मार्कशीट विवाद में कुर्सी गंवाने के बाद अब कंवर सिंह भाजपाई रहेंगे या नहीं यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन जो हालात रहे उससे उनका भाजपा से मोहभंग होने की अटकलें अवश्य लगाई जा रही हैं।

मार्कशीट विवाद में शपथ लेने से पहले ही कंवर सिंह को कुर्सी छोडऩी पड़ी थी और इसके बाद चुनाव आयोग ने चेयरमैन उपचुनाव का शेड्यूल जारी कर 12 सितंबर को चुनाव कराने का एलान कर दिया था। भाजपा-जजपा ने दिसंबर 2020 चुनाव में छठें नंबर पर रहे राव मानसिंह पर दांव लगाया तो कुर्सी गंवाने वाले कंवर सिंह ने उपचुनाव में अपने बेटे जितेंद्र को मैदान में उतारा। वहीं भाजपा ने संदीप बोहरा को भी टिकट नहीं दिया और उसने सत्ता में भागीदार जजपा के प्रत्याशी राव मान सिंह पर ही सहमति जताई। मार्कशीट विवाद के पहले कंवर सिंह ने जमकर भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर लोगों की सरकार की नाराजगी को हवा दी और उन्होंने लड़ाई कर धारूहेड़ा विकास के लिए जी-जान से काम करने का भरोसा दिलाया था।

लोगों ने भी सत्ता पक्ष के प्रत्याशियों को नकार कर निर्दलीय प्रत्याशी कंवर सिंह पर दांव लगाया और उन्हें करीब छह सौ वोटों से विजयी बनाया। कंवर सिंह ने क्षेत्र की जनता को जोर का झटका देते हुए चुनाव जीतने के दो दिन बाद ही वह चंडीगढ़ गए और भाजपा का पटका पहनकर भाजपाई हो गए। लोगों में इसको लेकर खासी नाराजगी थी और लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे थे। कारण उन्होंने सरकार के खिलाफ वोटिंग कर निर्दलीय पर दांव लगाया था लेकिन चुनाव जीतते ही लोगों के विश्वास पर कंवर सिंह ने व्रजपात करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया।

हालांकि मार्कशीट विवाद के बाद चेयरमैन की कुर्सी गंवाने वाले कंवर सिंह को उस समय भाजपा का कहीं पर भी साथ नहीं मिला और इसी के चलते वह भाजपा के साथ नजर नहीं आए और उनके बीच दूरियां व्याप्त हो गईं। अब जब हाईकोर्ट ने कंवर सिंह के पक्ष में निर्णय सुनाया है, तो संभवत : चेयरमैन की कुर्सी पर कंवर सिंह ही काबिज होंगे। ऐसे में जनता के बीच यह सवाल कौंध रहा है कि क्या कंवर सिंह अभी भी भाजपाई हैं या फिर उनका भाजपा से मोह भंग हो गया है। अब सभी की नजर इस बात पर है कि आने वाले समय में कंवर सिंह निर्दलीय नेता के रूप में नजर आएंगे या फिर भाजपाई बनकर ही लोगों के सामने पेश होंगे।

भाजपा ने टिकट के लिए नाम पर भी विचार नहीं किया
उपचुनाव में जब भाजपा-जजपा की ओर से टिकट के लिए प्रत्याशियों के नामों पर विचार-विमर्श चला तो उसमें कंवर सिंह के बेटे का नाम तक नहीं था। जबकि कंवर सिंह ने निर्दलीय चुनाव जीतकर भाजपा का दामन थामा था। बावजूद भाजपा की बैठकों में ना तो वह नजर आए ना ही उनके बेटे का नाम सामने आया। जबकि भाजपा-जजपा ने २०२० के चुनाव में छठें नंबर पर रहे राव मानसिंह पर ही दांव लगाया था। वहीं कंवर सिंह की मार्कशीट पर सवाल उठाकर उसे फर्जी करार देकर शिकायत करने वाले संदीप बोहरा को भी भाजपा ने साइड लाइन कर दिया और इसी के चलते वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि भाजपा ने संदीप बोहरा को अनुशानहिनता के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया है। लोगों की माने तो उनका भी कहना है कि उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कंवर सिंह को जीताया था। वहीं उपचुनाव में उनके बेटे का नाम भी कहीं भाजपा ने नहीं लिया तो अब उन्हें निर्दलीय रूप में ही जनता का काम कराने के लिए अपनी आवाज बुलंद करना चाहिए।
 


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Content Writer

Isha

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