कार्यकर्ता के तौर पर मैं नायब सिंह को बचपन से जानता हूं, सैनी को जहां-2 मेरी जरूरत लगेगी इनका पूरा साथ दूंगा: खट्टर

punjabkesari.in Friday, Mar 15, 2024 - 12:35 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : साढ़े 9 साल तक प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं दे चुके मनोहर लाल खट्टर को पार्टी ने करनाल लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। प्रदेश में एकाएक हुए राजनीतिक बदलावों के आखिर कारण क्या रहे और मुख्यमंत्री के रूप में सांसद व प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को ही क्यों चुना गया ? नए मुख्यमंत्री को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल का सहयोग कितना और कैसे मिल पाएगा ? क्या नायब सिंह सैनी की मनोहर लाल के साथ नजदीकियां उनके लिए बड़े लाभ का कारण बनी व विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों में कितना दम है? इस प्रकार के कई महत्वपूर्ण विषयों पर मनोहर लाल से हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है :-


प्रश्न : चर्चाएं हैं कि नायब सिंह सैनी को आपके लाडले होने का बड़ा लाभ मुख्यमंत्री बनने में मिला है ?
उत्तर : नायब सिंह मेरे साथ 1995 से हैं। मैं हरियाणा का बतौर संगठन मंत्री था पार्टी कार्यालय में स्टाफ के नाते यह काम करते थे। हर काम को बड़े अच्छे तरीके से करते थे। काम को पूर्णता तक कैसे लेकर जाना है हमेशा उस पर उनकी मेहनत रहते थे। सामान्य छोटे-मोटे काम जैसे कंप्यूटर इत्यादि के कार्यों को यह उस वक्त देखते थे। फिर चालक के नाते मेरे साथ जाने लगे, कई प्रदेशों जैसे जम्मू - कश्मीर, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश इत्यादि में भी यह मेरे साथ रहे। कई प्रदेशों में तो हमने तीन तीन, छह छह महीने तक इकट्ठे काम किया। असल में किसी भी व्यक्ति की पहचान दूसरा व्यक्ति अच्छे से कर सकता है, उसी का लाभ इन्हें मिला। 

प्रश्न : क्या आपका सहयोग इन्हें मिलता रहेगा ?
उत्तर : नारायणगढ़ से 2014 में इन्हें चुनाव लड़ने का अवसर मिला था, एक कार्यकर्ता के तौर पर मैं इन्हें बचपन से जानता हूं, इनके अच्छे संस्कार हैं। विधानसभा चुनाव में यह विधायक बने, पार्टी ने इन्हें मंत्री बनाया और फिर लोकसभा में भेजा। इन पर केंद्र की विशेष नजर रही है। प्रदेश अध्यक्ष भी इन्हें केंद्र इकाई ने बनाया। राष्ट्रीय नेताओं ने इन्हें बड़ी गोर  से देखा और जब मुख्यमंत्री बनाए जाने की बारी आई तो इन्हीं पर सहमति बनी। विधायक दल ने भी सर्वसम्मति से इन्हें चुना है। पिछले साढे 9 साल के दौरान किए गए कार्यों को निरंतर चलाए रखना तथा और बेहतर कार्य करने के लिए मैंने इन्हें विश्वास दिलाया है कि मैं इनका पूरा सहयोग करूंगा।

प्रश्न : क्या विधायक पद से भी आपने इस्तीफा दे दिया है ?
उत्तर : असल में मुझे मुख्यमंत्री के नाते लोग ज्यादा पहचानते हैं, लेकिन मैं मुख्यमंत्री अब नहीं रहा। अब केवल विधायक की दृष्टि से करनाल रहूं तो भी अजीब सी बात है। मैंने तो पहले भी जब मुख्यमंत्री था तो जहां-जहां उपचुनाव हुए और वहां जब विधायक नहीं थे तो यही कहा था कि जब तक कोई नई व्यवस्था यहां नहीं होती, मुख्यमंत्री होने के नाते मेरा दायित्व है कि वहां के लोगों तथा क्षेत्र की मै अधिक चिंता करूँ।

प्रश्न : एक दिन पहले प्रधानमंत्री द्वारा आपकी तारीफ और अगले ही दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, इसे किस नजर से देखा जाए ?
उत्तर : प्रधानमंत्री द्वारा तारीफ करना और फिर मेरा मुख्यमंत्री न रहना इसका कोई सीधा संबंध नहीं है। हमने लंबे समय तक इकट्ठे काम किया है, वह मुझे अच्छी तरह से जानते हैं। 1996 से 2001 तक लगभग हमने एक साथ काम किया, इसलिए पुरानी जानकारी है। वह मुझे हर अच्छे काम में प्रोत्साहन करते रहे हैं। नए काम को कैसे शुरू करें, इसके लिए वह बहुत आईडिया देते थे। मैंने उनसे बहुत सी बातें सीखी है। उन्होंने वही पुराने दिन याद किए तो मुझे बहुत अच्छा लगा। कुछ पुरानी यादें और बातें लोगों को पता चलती है तो बहुत अच्छी लगती हैं। इसलिए दायित्व परिवर्तन का इस बात से कोई सीधा संबंध नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी जी को मैने बहुत पहले कहा था कि अपने हाथों से ही किसी को कुछ दिया जाए, नई पीढ़ी को जब सही समय आए तो उसे जिम्मेदारी दी जाए तो वह अच्छा लगता है। उन्होंने उस बात को स्वीकार किया। जब सही समय आया तो उनके कहने पर अच्छा फैसला लिया गया है।

प्रश्न : आप केंद्र में अगर गए तो इन्हें आपके अनुभव का लाभ किस प्रकार से मिल पाएगा ?
उत्तर : मै हरियाणा से संबंध रखता हूं। भूमिका और दायित्व कुछ भी मिले लेकिन होमस्टेट के नाते मेरी मुलाकात इनसे होती रहेगी। कहीं कार्यक्रम होंगे वहां भी मिलेंगे और इन्हें जहां-जहां मेरी जरूरत लगेगी मैं इनका पूरा साथ दूंगा। आखिरी दम तक हरियाणा की सेवा का संकल्प मैंने लिया हुआ है। अंतोदय की भावना मेरी रग रग में है। सरकारी तकनीक और कार्य पद्धति समय के मुताबिक अपने आप हर कोई सीख जाता है। कुछ जनता- कुछ ब्यूरोक्रेसी तथा विधानसभा में कुछ चीजें विपक्ष अपने आप सिखा  देता है। कहीं कोई कठिनाई नहीं आएगी। हम भी नए थे, सैनी तो मंत्री व सांसद भी रह चुके हैं। मैं जब मुख्यमंत्री बना तो केवल विधायक था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सीएम बने तो वह विधायक भी नहीं थे। अभ्यास से व्यक्ति हर चीज सीख लेता है, केवल और केवल मन में सेवा की भावना होनी चाहिए। क्योंकि सत्ता भोग नहीं हमारी राजनीति का लक्ष्य केवल सेवा भाव है।

प्रश्न : विपक्ष लगातार इसे सरकार की विफलता बताते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहा है ?
उत्तर : उनके मन में डर बैठ चुका है और वह इस डर को छुपा नहीं पा रहे। आज उनके पास जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है जो कुछ भी हम करें वह ऐसा दिखाते हैं कि कुछ गलत हो चुका है। क्योंकि कोई अलग से चीज उन्हें नहीं मिल पा रही। इसलिए अनाब शनाब बोलना उनकी आदत बन चुकी है। जबकि  पार्टी के अंदरूनी मामलों में उन्हें बोलने का कोई अधिकार नहीं है। पार्टी किसे- क्या दायित्व दे- किसे टिकट दे यह पार्टी का अपना अधिकार है। इसलिए विपक्ष को सीमा में रहकर बोलना चाहिए। अगर वह इनसे अपने को बड़ा दिखाना चाहते हैं तो जनता इनसे प्रभावित नहीं बल्कि इनसे नाराज होगी। 

प्रश्न : लोकसभा टिकट बंटवारे का आधार क्या है ? 
उत्तर : परिवर्तन सिस्टम का अटूट अंग है। पुराने बाहर निकलते हैं और नए लोग आते रहते हैं। ऐसा सभी पार्टियों में होता है। दल अपने स्तर पर मूल्यांकन करवाते हैं, कई बार अच्छे व्यक्ति के खिलाफ भी कुछ बातें आ जाती हैं क्योंकि उससे भी ज्यादा अच्छे की चाहत रहती ही है, लेकिन जनता की भावना का सदा ध्यान रखना होता है। पार्टी अपने स्तर पर सर्वे भी करवाती है, उनका अपना नेटवर्क है, जहां से उन्हें फीडबैक मिलता रहता है। पार्टी की विचारधारा में विश्वास रखने वाले -पार्टी निष्ठ कैंडिडेट जो जिताऊ होंगे उसे ही आगे ले जाने का काम किया जाएगा।

 

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Content Writer

Manisha rana

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