हरियाणा में घटे सियासी घटनाक्रम पर विधानसभा अध्यक्ष का बड़ा बयान, फ्लोर टेस्ट को लेकर कही ये बात

punjabkesari.in Thursday, May 09, 2024 - 05:41 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा की बीजेपी सरकार से 3 निर्दलीय विधायकों की ओर से समर्थन वापस लिए जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में लगातार गर्माहट जारी है। एक ओर जहां विपक्ष सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर रहा है। वहीं, बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री सरकार के पास पूरा बहुमत होने का दावा कर रहे है। इसी बीच अब हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने इस पूरे सियासी घटनाक्रम पर बड़ा बयान देते हुए फ्लोर टेस्ट को लेकर बड़ा खुलासा किया है। 

हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि विधानसभा में जो दलीय स्थिति पहले थी वही अब भी है। उन्होंने बताया कि उन्हें मीडिया के जरिए निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने की जानकारी मिली है। अभी तक लिखित में कोई जानकारी नहीं आई है। विधानसभा स्पीकर ने कहा कि फिलहाल बीजेपी के विधायकों की संख्या 40 है, 10 जेजेपी, 6 निर्दलीय, 30 कांग्रेस एक हरियाणा लोकहित और एक विधायक इनेलो का है।

विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि सामान्य तौर पर जब अविश्वास प्रस्ताव आता है तो उसके 6 महीने बाद ही दूसरा अविश्वास नही प्रस्ताव लाया जा सकता है। अभी तक ऐसा ही होता रहा है। विधानसभा सपीकर ने कहा कि सरकार अल्पमत में है, ये फिलहाल नहीं कहा जा सकता। विधानसभा सत्र बुलाने और समर्थन वापस लेने या देने के तकनीकी मामलों पर राज्यपाल फैसला करेंगे, क्योंकि वही हमारे संवैधानिक प्रमुख हैं। तकनीकी आधार पर निर्दलीय विधायकों ने जो समर्थन बीजेपी को दिया था वो सही है, या फिर अब जो कांग्रेस को दिया है वो सही है, इसका फैसला भी राज्यपाल ही करेंगे। 

बता दें कि मंगलवार को रोहतक में तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया था। सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों में चरखी दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर शामिल हैं। इन विधायकों ने कहा कि आगे आने वाले चुनावों में वो कांग्रेस को मजबूत करेंगे ताकि हरियाणा में कांग्रेस सभी 10 सीटें जीत सके।

हालांकि कांग्रेस और जेजेपी दोनों दलों की ओर से इस बारे में राज्यपाल को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा गया है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि चुनाव आचार संहिता लगी होने के दौरान क्या राज्यपाल इन दोनों दलों को मिलने का समय देते है ? या राज्यपाल सरकार से एक बार फिर से बहुमत साबित करने के लिए कहते है ? इसका जवाब आने में कुछ दिनों में ही मिल पाएगा।

 


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Content Writer

Isha

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