पत्नी का पति और सास-ससुर के खिलाफ निराधार, अशोभनीय व्यवहार उसके आचरण दर्शाता है : हाई कोर्ट
punjabkesari.in Saturday, Apr 16, 2022 - 04:13 PM (IST)
चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): अगर पत्नी अपने पति के करियर और प्रतिष्ठा को नष्ट करने पर तुली हुई है और वह पति के वरिष्ठ अधिकारियों को पति के खिलाफ शिकायत करती है तो यह मानसिक क्रूरता होगी और पति इस आधार पर तलाक लेने का हकदार है। हाई कोर्ट की जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने भारतीय वायु सेना के एक जवान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसमें क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक की मांग की थी।
इस मामले में रोहतक निवासी पति ने रोहतक कोर्ट के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें कोर्ट ने पति की तलाक की मांग को खारिज कर दिया था। पति ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि पत्नी ने अप्रैल 2002 में उसे छोड़ दिया था। उसकी पत्नी अपने वैवाहिक कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रही है साल 2010 में पत्नी ने पति और उसके माता-पिता के खिलाफ कई आरोपों में एफआइआर भी दर्ज कराई। लेकिन पुलिस जांच में पति व माता-पिता निर्दोष पाए गए व पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप झूठे पाए गए ।लेकिन चार साल तक उसने व उसके पिता ने मुकदमे का सामना करना पड़ा। यह एक शारीरिक और मानसिक क्रूरता है।
इसी आधार पर पति ने फैमिली कोर्ट रोहतक से तलाक की मांग को लेकर याचिका दायर की। लेकिन फैमिली कोर्ट ने पत्नी की दलीलों को ध्यान में रखते हुए उसकी तलाक की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि पति के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई। पति ने हाई कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील दायर कर इस आदेश को रद करने की मांग की । हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों की जांच में पाया कि पत्नी द्वारा ससुराल पक्ष के खिलाफ जो एफआईआर दर्ज कराई गई थी वह निराधार और झूठी पाई गई । शिकायत केवल पति और उसके परिवार को परेशान और प्रताड़ित करने के लिए की गई जो वैवाहिक क्रूरता साबित करने के लिए काफी है। इस मामले में यह भी देखा जा रहा है कि पत्नी अपीलकर्ता-पति के करियर और प्रतिष्ठा को नष्ट करने पर तुली हुई है क्योंकि उसके पति के खिलाफ वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की थी।
कोर्ट ने यह भी देखा कि पत्नी का अपने पति और सास-ससुर के खिलाफ निराधार, अशोभनीय और मानहानिकारक आरोप लगाना उसके को आचरण दर्शाता है । पत्नी की मंशा केवल यह है कि उसके पति की नौकरी चली जाए व उसका पति और उसके माता-पिता को जेल में डाल दिया जाए । कोर्ट ने कहा कि हमें कोई संदेह नहीं है कि प्रतिवादी-पत्नी के इस आचरण ने अपीलकर्ता-पति को मानसिक क्रूरता का शिकार बना दिया। पत्नी अप्रैल 2002 से अलग-रह रही है और और सुलह के सभी प्रयास विफल हो गए थे। इसलिए कोर्ट तलाक की मांग स्वीकार करती है और पत्नी को एकमुश्त स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 20 लाख रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट करने का पति को निर्देश देती है।