कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार: सैलजा

punjabkesari.in Saturday, Sep 05, 2020 - 11:33 AM (IST)

चंडीगढ़(संजय अरोड़ा): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा का कहना है कि हरियाणा में भाजपा-जजपा की सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है और दोनों दलों के विधायकों व मंत्रियों में बढ़ते असंतोष के चलते यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेगी और यह किसी भी समय गिर सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार इस सरकार में कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है और कोविड-19 की परिस्थितियों से निपटने में भी सरकार नाकाम रही है। कुमारी सैलजा ने कांग्रेस में गुटबाजी से इनकार करते हुए पार्टी संगठन को शीघ्र पुनगॢठत करने व बरौदा उपचुनाव में फिर से जीत दर्ज करने का दावा करने के साथ साथ पंजाब केसरी से साक्षात्कार दौरान विभिन्न विषयों पर खुलकर चर्चा की। प्रस्तुत है इसी बातचीत के प्रमुख अंश:

सवाल: सरकार के अब तक दस माह के कार्यकाल को किस तरह से आंकती हैं?
जवाब:
सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। अर्थव्यवस्था से लेकर कृषि क्षेत्र कोई भी वादा इस सरकार ने पूरा नहीं किया है। कोविड-19 के दौरान जिस तरह से अप्रवासी मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ा, वो सबके सामने है। यह सरकार जनता का भरोसा जीतने में सफल नहीं हो पाई है। कोविड-19 के दौरान सरकार ने जनता को पूरी तरह से परेशानी में डाले रखा और कुल मिलाकर इस सरकार का अब तक कार्यकाल पूरी तरह से निराशाजनक साबित हुआ है और प्रदेश की जनता भी इस सरकार से तंग व परेशान हो चुकी है। इस सरकार की अब तक ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है, जिसे बताया जा सके।

सवाल: कांग्रेस में आपसी गुटबाजी अभी भी बरकरार है, इससे निपटने के लिए क्या रणनीति है?
जवाब:
कांग्रेस पार्टी एक लोकतांत्रिक दल है। कांग्रेस में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है और इसका एक तरीका होता है। अगर कोई लक्ष्मण रेखा क्रॉस करता है तो हाईकमान उस पर संज्ञान लेते हुए उचित कदम उठाती है और हर व्यक्ति अपनी शिकायत व सुझाव हाईकमान तक पहुंचा सकता है, जिसे लोकतांत्रिक तरीके से सुना व हल किया जाता है। जहां तक गुटबाजी का सवाल है तो कांग्रेस में न तो गुटबाजी है और न ही मतभेद है। पार्टी एकजुट है और एकजुट ही रहेगी।

सवाल: पार्टी में अभी तक भी संगठन का विस्तार नहीं हुआ है। जिलाध्यक्ष भी नियुक्त नहीं हुए? क्या कारण है?
जवाब:
हमने जैसे ही अध्यक्ष पद संभाला तो उसके तुरंत बाद विधानसभा के चुनाव आ गए और उसके बाद कोविड का ऐसा दौरा शुरू हुआ कि जो निरंतर जारी है। ऐसे में तमाम सियासी गतिविधियों के साथ-साथ पार्टी संगठन की गतिविधियां अवश्य प्रभावित हुई हैं और अब निकट भविष्य में पार्टी का प्रांतीय व जिलास्तर पर पुनर्गठन होगा, जिसमें निष्ठावान व कांग्रेस की विचारधारा में आस्था रखने वाले कार्यकत्र्ताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी।

सवाल: कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी कांग्रेस में कशमकश चली? इस पर क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब:
किसी तरह की कोई कशमकश नहीं है। सोनिया गांधी को पार्टी ने सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना था और हर कांग्रेसजन की सोनिया गांधी व राहुल गांधी में पूरी आस्था है और आने वाले समय में पार्टी और अधिक मजबूती के साथ सदन के भीतर व बाहर काम करती नजर आएगी। सभी का सोनिया गांधी में भरोसा कायम है और सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने कांग्रेस को मजबूत नेतृत्व दिया है।

सवाल: भाजपा सरकार के कार्यकाल की सबसे बड़ी कमी क्या मानती हैं?
जवाब:
भाजपा सरकार ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए। हरियाणा की जनता से इस सरकार ने झूठ और धोखे की सियासत की है। लोगों के भरोसे और अपने वादों पर यह सरकार खरा नहीं उतरी है। ऐसे में जनता अपने-आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है। सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में ना तो कोई चुनावी वादा पूरा किया और न ही जनता की सुध ली है। ऐसे में इस सरकार की कमियां ही कमियां हैं, किसे गिनाएं और किसे छोड़ें?

सवाल: बरौदा उपचुनाव को लेकर क्या तैयारी है। क्या मुद्दे और रणनीति रहेगी?
जवाब:
बरौदा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है। यहां पर इससे पहले हमारी पार्टी के ही विधायक थे और मैं दावे के साथ कहती हूं कि यह उपचुनाव कांग्रेस ही जीतेगी और फिर से न केवल यहां से कांग्रेस का विधायक होगा, बल्कि इस उपचुनाव के बाद भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की उल्टी गिनती भी शुरू हो जाएगी और कांग्रेस इस उपचुनाव के बाद और अधिक मजबूती के साथ उभर कर सामने आएगी। 
 

सवाल: कोविड-19 को लेकर सरकार के प्रबंधों पर क्या टिप्पणी करेंगी?
जवाब:
सरकार कोविड-19 को लेकर कभी भी गंभीर नजर नहीं आई और न ही आम लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा के प्रबंध किए गए। न सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधरी है और न ही सरकार को अपने इन अस्पतालों पर विश्वास है। यही वजह है कि सभी सत्ताधारी नेता निजी अस्पतालों में अपना उपचार करवा रहे हैं। यदि कोविड को लेकर सुरक्षात्मक कदम पूरी गंभीरता से उठाए होते तो संक्रमण का इस कद्र तेजी से न तो फैलाव होता और न एक ढाबे पर इतने कर्मचारी संक्रमित पाए जाते?

सवाल: कांग्रेस में आपसी एवं व्यक्तिगत मनमुटाव दूर करने को लेकर आपकी क्या रणनीति रहेगी?
जवाब:
कांग्रेस पार्टी में किसी प्रकार का कोई मनमुटाव नहीं है। कांग्रेस के सभी नेता व कार्यकत्र्ता पूरी तरह से न केवल एकजुट हैं, बल्कि विपक्ष की भूमिका निभाने में भी कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से सक्षम साबित हो रही है। कोविड-19 के दौरान चाहे लोगों की सुरक्षा की बात हो या फिर किसानों, मजदूरों व आढ़तियों का विषय हो, हर मुद्दे पर कांग्रेस जनता के बीच रहकर जनता की आवाज उठाती रही है।

सवाल: सरकार की ओर से अभी पंचायती राज प्रणाली में राइट को रिकॉल बिल लाने की चर्चा रही? इस पर क्या कहेंगी?
जवाब:
हमारे संविधान और लोकतंत्र में इस प्रकार का बिल किसी तरह से भी हितकारी नहीं है। इससे गांव की सामाजिक व्यवस्था खराब होगी। गांव में अगर इस तरह की प्रणाली लागू होती है तो सामाजिक ताना-बाना बिगडऩे के साथ-साथ गंावों में आपसे भाईचारे और अमन-शांति पर भी असर पड़ेगा। इस सरकार में पहले से ही भाईचारा खराब किया जा रहा है और ऊपर से ऐसे बिल लाना समाज के लिए और अधिक घातक साबित होगा।

सवाल: एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते कांग्रेस पार्टी सरकार की विफलताओं को जनमानस के बीच ले उजागर करने में कहां तक कामयाब रही है?
जवाब:
मैं मानती हूं कि हम कोविड-19 की स्थिति में नियमों का पालन करते हुए जनता के बीच गए। लोगों से जुड़े हुए मुद्दों को कांग्रेस ने उठाया है। सदन में विभिन्न जनहित के मुद्दे उठाने के लिए हमने प्रयास किया, लेकिन सरकार ने जरूरी मुद्दों को नजरअंदाज किया। सरकार ने औपचारिकता का निर्वहन करते हुए आनन-फानन में सत्र बुलाया और वो भी महज एक दिन के लिए। इसलिए विरोधी दल के विधायकों को अपनी बात तक रखने का मौका नहीं दिया, मगर फिर भी हम सदन के बाहर जनहित से जुड़े हर छोटे से बड़े मुद्दे को उठा रहे हैं और वास्तव में विपक्ष की भूमिका कांग्रेस ही निभा रही है।

सवाल: सतलुज-यमुना लिंक नहर का मामला लटका हुआ है? किसे जिम्मेदार मानती हैं?
जवाब:
सतलुज-यमुना लिंक नहर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब केंद्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दे दिए तो फिर केंद्र सरकार ने पहल करते हुए इस मामले को हल करने का क्यों प्रयास नहीं किया। जबकि उस वक्त केंद्र के साथ-साथ हरियाणा व पंजाब में भाजपा व उसके सहयोगी दल की ही सरकार थी। केंद्र को इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। अब अवश्य केंद्र सरकार ने हरियाणा व पंजाब के मुख्यमंत्रियों से बात की है, मगर इसका नतीजा क्या रहा? किसी को कुछ नहीं पता। हरियाणा को उसके हिस्से के पानी को लेकर स्थिति साफ है, इसलिए हरियाणा को अपने हिस्से का पानी अवश्य मिलना चाहिए।

सवाल: सरकार ने अभी नई शिक्षा नीति लागू की है? इस पर क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब:
देश में अधिकांश अभिभावक मोटी फीस भरने में सक्षम नहीं है और सरकार शिक्षा का भी निजीकरण करने का प्रयास कर रही है। साल 2014 में केंद्रीय बजट में शिक्षा का 4 प्रतिशत हिस्सा था, जो अब करीब 3 प्रतिशत रह गया है। इससे जाहिर होता है कि शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। शिक्षा की तरफ केंद्र सरकार का ध्यान नहीं है। सरकार हर क्षेत्र की तरह शिक्षा का भी निजीकरण करने के प्रयास में है। सरकार का केवल एक ही मकसद है निजीकरण।

सवाल: राज्य में कानून व्यवस्था एवं कृषि के संदर्भ में सरकार की भूमिका को किस तरह से आंकती हैं?
जवाब:
कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही हैं। अपराधी लोग सरेआम वारदातों को अंजाम देते हैं।  प्रशासन व पुलिस में कोई समन्वय नहीं है। यहां तक कि मंत्री एस.पी. से गलत तरीके से व्यवहार करते हैं और एस.पी. मंत्रियों के खिलाफ शिकायत दे रहे हैं। हर रोज हत्याएं, रेप हो रहे हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। कृषि की बात करें तो अभी केंद्र सरकार ने तीन अध्याधेश जारी कर किसानों के साथ कुठाराघात किया है। कृषि सैक्टर को भी निजी हाथों में सौंपने की साजिश की जा रही है। इससे मंझोले व छोटे किसान कंगाल हो जाएंगे।

सवाल: आप गठबंधन सरकार का क्या भविष्य मानती हैं? 
जवाब:
यह सरकार मजबूरी की सरकार है, इसलिए ऐसा नहीं लगता कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी, क्योंकि आज  भाजपा व जजपा दोनों ही पार्टियों के विधायक व सरकार में शामिल मंत्री पूरी से असंतुष्ट नजर आते हैं। कुछ मंत्री व विधायक तो खुलकर अपना दुख रो रहे हैं। ऐसे में साफ नजर आता है कि विधायकों व मंत्रियों का यह असंतोष कभी भी फूट सकता है और यह सरकार कभी भी गिर सकती है।

सवाल: भाजपा के राममंदिर और धारा 370 के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी का क्या मत है?
जवाब:
राममंदिर देश के आमजन की आस्था का केंद्र है, पर भाजपा इस आस्था का भी राजनीतिकरण करना चाह रही है, जो कतई अनुचित है। आस्था का सम्मान होना चाहिए। धारा 370 का भी भाजपा ने सियासीकरण किया है। केंद्र सरकार को यह बताना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में इस धारा को हटाने के बाद क्या वहां कानून व्यवस्था कायम हुई और अमन चैन का माहौल फिर से लौटा? इस बारे में केंद्र सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
 


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Isha

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