संक्रमण की चेन तोडऩे को इस बार लोगों की ‘चाहत’ बना Lockdown!

punjabkesari.in Sunday, May 02, 2021 - 08:34 AM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दिनों दिन बढ़ती रफ्तार ने जहां शासन-प्रशासन को हरकत में ला दिया है तो वहीं आमजन मानस भी इस संक्रमण को लेकर भय की स्थिति में है। ऐसे में इस संक्रमण के फैलाव की ‘चेन’ तोडऩे को लेकर हर कोई लॉकडाऊन को ही बेहतर विकल्प मान रहा है। हालांकि जैसे जैसे कोरोना केसों में वृद्धि हो रही थी तो अटकलें यही लगाई जा रही थी कि संभवत: प्रदेश में एक बार फिर लॉकडाऊन घोषित होगा मगर केस निरंतर बढ़ते चले गए और शासन-प्रशासन रोकथाम की दिशा में दौड़धूप तो करता नजर आया मगर लॉकडाऊन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही।

इस पर प्रदेश के लोगों में बेचैनी भी रही कि आखिर अब शासन का अगला कदम होगा क्या? लेकिन ये बेचैनी उस वक्त दूर हो गई जब शुक्रवार को सरकार की ओर से प्रदेश के 9 जिलों में वीकेंड लॉकडाऊन घोषित कर दिया गया। लोगों का मानना है कि सरकार ने भले ही देरी से यह कदम उठाया है मगर इस कदम की इस मर्तबा बेहद जरुरत भी थी। खास बात ये भी है कि जहां पिछले वर्ष लॉकडाऊन को लेकर लोगों के मन में तरह तरह की भ्रांतियां रही तो इस बार प्रदेश के लोग बढ़ते संक्रमण के कारण खुद चाहते थे कि प्रदेश में जितनी जल्दी हो लॉकडाऊन लगा दिया जाए। 

सरकार ने भी लोगों की भावनाओं को समझा और संक्रमण की चेन को तोडऩे को लेकर वीकेंड लॉकडाऊन लागू कर दिया। लोगों की चाहत के अनुरूप सरकार के इस फैसले पर कहा जा सकता है कि देर से आयद मगर दुरुस्त आयद। उधर, इस वीकेंड लॉकडाऊन के लगते ही अब यह तथ्य भी सामने आने लगा है कि प्रदेश में जिस गति से कोरोना वायरस फैल रहा है कमोबेश पूर्व की माङ्क्षनद संपूर्ण लॉकडाऊन भी जारी किया जा सकता है और ऐसा करने से निश्चित तौर पर वायरस के संक्रमण पर बे्रक लग सकती है। ऐसा आम लोगों के साथ साथ प्रदेश के वरिष्ठ चिकित्सकों का भी मानना है। 

इसलिए महसूस हो रही थी जरूरत
गौरतलब है कि वर्ष 2020 पूर्ण रूप से कोरोना वायरस से जूझता रहा और यह साल इस वायरस के बीच लॉकडाऊन में ही गुजर गया। पहली मर्तबा सामने आए कोरोना ने हर तरफ डर का माहौल बनाए रखा और सरकार की अन्य तमाम गतिविधियां ठप्प होकर महज इस वायरस पर आकर ‘केंद्रित’ होकर रह गई। जैसे तैसे कोरोना से हरियाणा जंग लड़ता रहा और वर्ष 2021 के शुरूआती दौर में लोगों को इस ‘लड़ाई’ के सुखद नतीजे मिले ही थे कि मार्च माह में फिर से कोरोना के इस नए स्वरूप ने दस्तक दे दी और धीरे धीरे इस वायरस का रूप इस कदर बिगड़ा जिससे न केवल संक्रमितों की संख्या पहले से कहीं अधिक स्पीड से बढ़ी अपितु मरने वालों की तादाद पर भी अंकुश नहीं लग पाया। 

प्रदेश के लगभग हरेक जिले में हालात बिगड़ते दिखाई देने लगे क्योंकि कोरोना के इन केसों की संख्या इन लगभग तमाम जिलों में बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में आमजन मानस भी इस बार खुद से ये चाहने लगा था कि सरकारी तंत्र द्वारा लॉकडाऊन लगा दिया जाए ताकि कोरोना से मरने वालों की संख्या पर बे्रक लगने के साथ साथ इस वायरस के फैलाव पर भी अंकुश लग सके। उधर, केसों में हो रहे इजाफे के चलते ही प्रदेश सरकार को वीकेंड लॉकडाऊन घोषित करना पड़ा और इसी के मद्देनजर सरकार की ओर से शुक्रवार को उन 9 जिलों में वीकेंड लॉकडाऊन लगाना पड़ा जहां कोरोना केसों का फैलाव ज्यादा है। 

पहले से ज्यादा खतरनाक है ये कोरोना
विशेष बात ये भी है कि इस साल पुन: सामने आ रहे कोरोना वायरस का स्वरूप पिछले साल की तुलना में न केवल भिन्न है अपितु 'यादा खतरनाक भी लग रहा है। हालांकि वर्ष 2020 में भी कोरोना केसों की संख्या कम नहीं थी मगर इस बार कोरोना एक अलग ही रूप में दिख रहा है क्योंकि पहले की बनिस्पत इस साल केसों में वृद्धि का ग्राफ कहीं अधिक रफ्तार से है तो मरने वालों की संख्या भी कम नहीं हो रही। इसके अलावा पिछले साल कोरोना केसों के दौरान न तो कहीं अस्पताल, बैड, वैंटिलेटर, ऑक्सीजन इत्यादि को लेकर कोहराम मचा था जबकि इस बार कोरोना की चपेट में आने से मरने वालों में उन लोगों की संख्या कहीं अधिक हैं जो बिना ऑक्सीजन व दवाइयों के मरे हैं। प्रदेश के लगभग हर जिले में अस्पतालों में भी स्थिति बिगड़ी हुई है और ऑक्सीजन को लेकर लोग परेशान दिखाई दे रहे हैं मगर सरकार अब पूरी तरह से एक्शन मोड में नजर आ रही है ताकि ऑक्सीजन व दवाइयों की उपलब्धता करने के साथ साथ अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके। 

इसलिए लॉकडाउन में हुआ विलंब
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार प्रदेश में कोरोना संक्रमण के तेजी से हुए फैलाव के बावजूद सरकार द्वारा लॉकडाऊन लागू करने में हुआ थोड़ा विलंब कई पहलुओं पर किया गया मंथन भी रहा। चूंकि पिछले वर्ष जब कोरोना का पहला मामला सामने आने के कुछ दिन बाद ही लॉकडाऊन लागू किया गया था तो उस वक्त आमजन के साथ साथ व्यापारियों का भी तर्क था कि इससे आर्थिक रूप से मंदी का दौर शुरू हो गया है, जो सही नहीं है। इसके अलावा लॉकडाऊन की वजह से मजदूरों का पलायन भी शुरू हो गया था। शायद यही वजह रही कि पिछले वर्ष के इन्हीं हालात को देखते हुए सरकार को लॉकडाऊन लागू करने में सभी पक्षों पर विचार करने के साथ साथ गहन मंथन के बाद जनभावनाओं के अनुरूप देरी से लॉकडाऊन लागू करना पड़ा।

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Content Writer

Manisha rana

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