राजस्थान, छत्तीसगढ़ चुनावों के बाद कांग्रेस बिल्कुल साफ हो जाएगी :रणधीर सिंह

punjabkesari.in Tuesday, May 03, 2022 - 05:43 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): जे जे पी कार्यलय प्रभारी रणधीर सिंह ने कहा है कि जिस शर्त और उम्मीद पर शैलजा ने पद छोड़ा, राज्यसभा में भी उनके शुभचिंतक ड्रामा करके वह शैलजा को चुनाव ना हरवा दें।उन्होंने कांग्रेस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस खुद खत्म होने जा रही है। आज केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बची कांग्रेस की सरकार इन राज्यों में चुनाव होने के बाद समाप्त हो जाएगी। केंद्रीय लेवल पर कांग्रेस में कोई लीडरशिप नहीं है।कांग्रेस के निचले स्तर पर भी गुटबाजी इस स्तर पर है कि कोई किसी की मानने को तैयार नहीं है। कांग्रेस आज अनुशासनहीनता की प्रतीक है। 2014 के बाद हरियाणा में आज तक कांग्रेस का संगठन नहीं है और जिस प्रकार से पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को अध्यक्ष और तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए और कांग्रेस बुरी स्थिति पर पहुंच गई, वही फॉर्मूला हरियाणा में जातिगत आधार पर कार्यकारी प्रधानों का अपनाया गया है। बनाए गए नए प्रधान और कार्य कार्यकारी प्रधानों का अपना कोई वजूद नहीं है। यह लोग प्रदेश लेवल की अध्यक्षता के लायक नहीं है।


रणधीर सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले फूलचंद मुलाना, फिर अशोक तंवर, फिर शैलजा और अब उदयभान को लेकर आई है। उदयभान के पिता गया लाल ने 1 दिन में तीन बार दल बदले। उस कारण से "आया राम -गया राम" का मुहावरा बना। इस प्रकार की पॉलिटिक्स का जन्म हुआ। यह उनके पुत्र है जो एक बार हसनपुर और एक बार होडल से चुनाव जीते। यह एक डम्मी व्यक्ति हैं जो अपने हल्के से पिछली दो बार से नहीं जीत पा रहे। उनका कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में वह पार्टी का क्या उद्धार करेंगे।


रणधीर सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस की तो पहले से ही सारी पावर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में है। पिछले लोकसभा चुनावों में सभी 10 सीटें हुड्डा ने ही बांटी। रोहतक से दीपेंद्र और सोनीपत से स्वयं चुनाव लड़े। लेकिन सभी 10 उम्मीदवार हारे। हुड्डा सीएलपी के लीडर हैं। लीडरशिप नहीं छोड़ना चाहते। केंद्रीय मंत्री जितनी मिलने वाली सुविधाएं कोठी- घोड़ा- गाड़ी वह नहीं छोड़ेंगे। लेकिन उन्होंने प्रधान भी अपना ही व्यक्ति बनाया है। कांग्रेस पार्टी में हमेशा टिकटों और पदों का बंटवारा खेमो के हिसाब से होता आया है और यह कार्यकारी अध्यक्ष भी इसी प्रकार बनाए गए हैं। इसके बाद कांग्रेस बिल्कुल खत्म हो जाएगी। लेकिन कुमारी शैलजा सोनिया गांधी के बेहद नजदीक है। उनके पिता स्वर्गीय दलबीर सिंह इंदिरा गांधी के नजदीक थे। इनके परिवार कि हमेशा से बड़ी पकड़ रही है और उन्होंने राज्यसभा की सीट पर सहमति के बाद ही इस पद को त्यागा है।


उन्होंने कहा की  कांग्रेस तब तक उभर नहीं सकती रोहतक और सोनीपत में चौधर का ठेका लेने वाले लोग इसमे हैं। उन्होंने कहा कि कुमारी शैलजा ने राज्यसभा में जाने की इच्छा जताते हुए स्वयं प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने का ऑफर किया। पिछली बार भी शैलजा राज्यसभा में जाना चाहती थी। लेकिन हुड्डा ने जबरदस्ती प्रेशर डाल डालकर अपने लड़के को भिजवाया। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि कहीं शैलजा के साथ राज्यसभा में भी हुड्डा कोई खेल ना खेल दे। पिछली बार राज्यसभा चुनावों के दौरान हुड्डा ने सोनिया की बात भी नहीं मानी थी और इस बार जिस शर्त और उम्मीद पर शैलजा ने पद छोड़ा, राज्यसभा में भी कोई ड्रामा करके वह शैलजा को चुनाव ना हरवा दें।
 


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Content Writer

Isha

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