कोरोना इफेक्ट: पेट की खातिर व्यवसाय बदलने की मजबूरी

punjabkesari.in Thursday, Apr 09, 2020 - 10:43 AM (IST)

फरीदाबाद (सुधीर राघव) : कोरोना को हराने के लिए घरों में रहने की मजबूरी है, लोग घरों में कैद हैं। दुकानें बंद हैं। घर के बाहर पहरा लगा है। दूसरी ओर पेट का सवाल भी है। खासकर फुटकर व छोटा व्यवसाय करने वाले लोगों की मुश्किल बढ़ गई है। ऐसे में कई दुकानदार दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में व्यवसाय बदल रहे हैं। रोजमर्रा की आवश्यकता के अनुसार रोजगार चुनकर पेट भर रहे है। किसी ने सब्जी का ठेला लगाया है तो कोई फेरी लगाकर फल बेचने लगा है।

वहीं शहर में ठेलों पर सब्जी बेेचने वाले विक्रेता अपनी जेब में कोई आईडी कार्ड या आधार कार्ड लेकर चल रहे है। क्यूंकि लोग भी आईडी देखकर ही सब्जी खरीदते हैं। एसजीएम नगर एनआईटी में रहने वाले 20 वर्षीय रविंद्र कुमार वर्मा और उनका परिवार पिछले 15 सालों से एनआईटी में पंचर की दुकान लगाते हैं। लेकिन लॉक डाउन के चलते धंधा ऐसा चौपट हुआ कि घर की आर्थिक स्थिति तंगहाल हो गई तो सब्जी बेचना शुरू कर दिया।

हालांकि दिन भर में सब्जी का ठेला घुमाकर 250 से 300 रुपए का जुगाड़ हो ही जाता है। रविन्द्र ने बताया कि वह 500 रुपए ठेले का किराया किराया भी देता है। उसके परिवार में अब उसके पिता समेत बड़े भाई भी घर की रोजी रोटी के लिए सेक्टर-16 मंडी से सब्जी लाकर अन्य क्षेत्रों में बेचने निकल जाते हैं। इससे घर का खर्च ही चल रहा है। उनका मानना है कि लॉक डाउन में लोग केवल सब्जी या फल ही हैं जो खरीदते हैं। 


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Edited By

Manisha rana

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