कोरोना महामारी ने ताजा कर दी देश विभाजन की तस्वीरें, कच्चे रास्ते का सहारा लेकर दिन रात चल रहे मजदूर

punjabkesari.in Saturday, May 16, 2020 - 06:25 PM (IST)

साेहना (सतीश): काेराेना महामारी का प्रकाेप देश में बढ़ता ही जा रहा है। इससे बचाव के लिए पूरे देश काे लाॅकडाउन किया गया है। जिसके चलते कामगार तबका काे काफी परेशानियाेें का सामना करना पड़ रहा है। बेशक हरियाणा व राजस्थान की सीमाएं सील है, लेकिन भूखे प्यासे श्रमिक कच्चे रास्तों से अपने घरों के लिए बढ़े जा रहे है।

पैदल अपने घर जा रहे प्रवासी मजदूराें की तस्वीरों ने एक बार फिर से देश के विभाजन की तस्वीरों को ताजा कर दिया है। कुछ इसी प्रकार का मंजर देश विभाजन के समय रहा होगा। क्योंकि पाकिस्तान से हिंदुस्तान व हिंदुस्तान से पाकिस्तान जाने वाले लोगों की तत्कालीन स्थिति ज्यों की त्यों थी। उस वक्त भी अपनी जान बचाने के लिए लोग इसी तरह से पैदल अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे।

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उस समय मारकाट को लेकर लोगों में भय था, तो आज कोरोना जानलेवा बीमारी का है। दोनों तस्वीर एक जैसी लगती हैं। श्रमिक सर पर भारी भरकम गठरी रखे हुए सैकड़ों मील सफर तय करने के लिए चल पड़े हैं, इन्हें ना रास्ते की जानकारी और ना ही दिशा की जानकारी बस चलते ही जा रहे हैं। 

मंजर ऐसा कि दिल और दिमाग के साथ-साथ श्रमिकों की इन तस्वीरों ने आत्मा को भी झकझोर कर रख दिया है। जब श्रमिकों से बात की तो एक ने यह कहकर मामला और भी गमगीन कर दिया की एक और तो सरकार विदेशों में फंसे अमीर लोगों को देश में ला रही है, वहीं देश की उन्नति में मील का पत्थर साबित होने वाला गरीब तबका भटक रहा है।

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उन्हाेंने कहा कि सरकार को शराब के ठेके खोलने की तो जल्दी थी, लेकिन श्रमिकों की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया। इस गंभीर स्थिति में छोटे-छोटे बच्चे असहाय महिला व पुरुष रोते हुए आगे बढ़ रहे हैं। सरकार ने इनके लिए भी कोई उचित व्यवस्था की होती तो तस्वीर कुछ और होती। बहरहाल यह बंटवारे जैसी तस्वीरें न जाने कितने अनेकों लोगों के दिल में उम्र भर समाप्त नहीं होगी। हालांकि कुछ श्रमिकों के लिए व्यवस्थाएं की गई, परंतु वह ऊंट के मुंह में जीरा भर साबित हुई। 

राजस्थान के साथ लगते हरियाणा के सोहना विधानसभा क्षेत्र के तावडू इलाके से होकर गुजर रहे श्रमिकों की मदद को लेकर जब उप मंडल अधिकारी सतीश यादव से बात करनी चाही तो उन्होंने कैमरे के सामने तो कुछ नही बोला, लेकिन इतना जरूर बताया कि मानवता के नाते पैदल जा रहे श्रमिकों के लिए सामाजिक संगठन व सरकार की मदद से भोजन पानी की व्यवस्था बड़े स्तर पर की जा रही है। इसके साथ ही सरकारी मदद से रोडवेज बसों व रेलगाड़ी के माध्यम से पंजीकृत हो चुके श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है। 


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Edited By

vinod kumar

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