हुड्डा सरकार में मुख्य अध्यापकों की भर्ती में हुए फर्जीवाड़े की जांच में ढील बरतने से खफा हुए DCP सुरेंद्र सिंह
punjabkesari.in Sunday, Aug 28, 2022 - 10:48 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): कांग्रेस सरकार व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में 106 मुख्य अध्यापकों का चयन बिना शैक्षणिक योग्यता व अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच के किए जाने के फर्जीवाड़े के मामले में पंचकूला सेक्टर 5 पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में डीसीपी पंचकूला सुरेंद्र पाल सिंह ने कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार डीसीपी पंचकूला सुरेंद्र पाल सिंह कछुए की चाल से चल रही इस जांच को लेकर 3 साल में जांच अधिकारी रहे कुछ कर्मचारी व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर सकते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार 26 फरवरी 2021 से लेकर 14 जून 2021 तक उप निरीक्षक मलकीत सिंह द्वारा कोई भी अनुसंधान ना किए जाने का मामला भी पंचकूला पुलिस के आला अधिकारियों के संज्ञान में आया है। 10 दिसंबर 2019 से लेकर 10 अगस्त 2022 तक जिन जिन अनुसंधान अधिकारियों ने इस एफआईआर में कार्रवाई सही तरीके से नहीं की गई है। उन लोगों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं। ऐसी जानकारियां मिली हैं कि इंचार्ज आर्थिक अपराध शाखा पंचकूला को अलग से कारण बताओ नोटिस इस मामले में जारी किया गया है।
पंचकूला पुलिस के द्वारा 15 फरवरी 2019 को दर्ज मुकदमा नंबर 56 में कछुए की चाल से चल रही जांच को लेकर डीसीपी सुरेंद्र पाल सिंह ने सख्त रवैया अपनाया तथा पंचकूला जिला के एसीपी विजय नेहरा के अध्यक्षता में शीघ्र व प्रभावी कार्रवाई के लिए पहले से गठित एसआईटी गठित को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग से 10 दिसंबर 2019 से लेकर अब तक पुलिस द्वारा कोई भी रिकॉर्ड प्राप्त नहीं किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार डीसीपी पंचकूला सुरेंद्र पाल सिंह ने अभियोग को दर्ज हुए 3 साल से अधिक समय हो जाने के बावजूद अब तक संबंधित जांच अधिकारी जगदीश चंद्र के अलावा अन्य किसी द्वारा अब तक अभियोग से संबंधित पूरा निकाल प्राप्त न किए जाने पर दिशा निर्देश दिए हैं कि उप निरीक्षक व अनुसंधानकर्ता जगदीश चंद्र द्वारा की गई जांच को आगे बढ़ाते हुए अमल में लाया जाए।
क्या है पूरा मामला
15 फरवरी 2019 को सहायक निदेशक प्रशासन महानिदेशक सेकेंडरी शिक्षा हरियाणा के माध्यम से पंचकूला सेक्टर 5 पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया था। इस मुकदमे के तब प्रथम अनुसंधान अधिकारी सब इंस्पेक्टर जगदीश चंद्र आर्थिक अपराध शाखा पंचकूला द्वारा इस मामले से संबंधित ए रिकॉर्ड प्राप्त किया गया था।जिसमें कहा गया था कि विभाग ने वित्त वर्ष 2007 में 2006 मुख्य अध्यापक के पद भरने हेतु अनुभव के आधार पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को सीधी भर्ती देने के लिए मांग भेजी थी। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने विज्ञापन नंबर 9 /206 कैटेगरी नंबर 6 द्वारा योग्य उम्मीदवारों से आवेदन पत्र मांगे थे हेड मास्टर पदों की सीधी भर्ती के लिए जो योग्यता दर्शाई गई थी वह भी इसमें अंकित की गई थी।
इस मामले में 10 दिसंबर 2007 को अतिरिक्त निदेशक व प्रशासन महोदय की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने अपने पूर्ण प्रक्रिया अपनाते हुए मुख्य अध्यापकों को नियुक्ति पत्र जारी किए थे। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की 251 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने पर यह मामला 2010 में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया था। दिनेश कुमार द्वारा पंजाब हरियाणा का हाई कोर्ट में चुनौती दिए गए इस मामले में कहा गया था कि शर्तों को पूरा होने के बावजूद उनका चयन इसमें नहीं किया गया है। दिनेश कुमार की यह याचिका पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी। दिनेश कुमार की याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने 2013 में विभाग द्वारा चयन किए गए मुख्य अध्यापकों के अनुभव प्रमाण पत्र जारी किए जाने के मामले को फर्जी बताते हुए एक नई याचिका दायर की थी, जिस मामले में बाद में विभागीय जांच भी की गई थी। इस मामले के अंदर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में कल शपथ पत्र दिलवाकर माननीय उच्च न्यायालय की अवमानना का मामला भी तब सामने आया था। तब माननीय हाईकोर्ट द्वारा रोहतास सांखला और तीन प्रधानाचार्य को जवाब तलब करते हुए कार्यवाही के आदेश दिए गए थे। माननीय हाईकोर्ट के निर्देशानुसार तब दो निर्देश को की अध्यक्षता में अलग अलग कमेटी गठित की गई।
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