कद्दावर नेताओं के गृह क्षेत्रों में हार BJP की चिंता का कारण, 20 को छोड़ 203 प्रत्याशियों की जमानत जब्त

punjabkesari.in Wednesday, Jun 05, 2024 - 01:17 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी):  2019 के लोकसभा चुनाव के जादुई करिश्मे की तरह इस बार भी बीजेपी हरियाणा में सभी 10 सीट जीतने का दावा कर रही थी। बीजेपी नेताओं के दावों और एग्जिट पोल के उलट आए चुनावी परिणाम ने बीजेपी को आत्ममंथन करने पर विवश कर दिया है। हरियाणा में आए चुनावी परिणामों पर गौर करें तो बीजेपी प्रत्याशियों को पार्टी के कईं दिग्गज नेताओं के इलाकों में भी हार का सामना करना पड़ा है, जोकि खुद में हैरान करने वाली बात है। हालांकि कुछ मंत्रियों के इलाकों में बीजेपी प्रत्याशियों को बढ़त भी मिली है, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम ने आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी बीजेपी को अभी से आगाह कर दिया है। यहीं कारण है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक बुलाई है।

अंबाला लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो बीजेपी के एक प्रभावशाली और दिग्गज नेता के अलावा कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर की जगाधरी और असीम गोयल की अंबाला शहर विधानसभा इसी लोकसभा में आती है। इनमें बीजेपी के दिग्गज नेता के गृह क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी बंतो कटारिया को 20,762 वोटों से हार मिली। इसी प्रकार से मौजूदा समय में सरकार में सबसे दमदार मंत्री कंवरपाल गुर्जर की जगाधरी विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी को 15, 446 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। परिवहन मंत्री असीम गोयल की अंबाला शहर सीट की बात करें तो यहां पर बीजेपी उम्मीदवार को 4 हजार से अधिक वोटों से हार मिली। 
हिसार लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हरियाणा के बिजली मंत्री के हलके रानियां से कांग्रेस को 27, 661 वोटों की लीड मिली। इसी प्रकार से जेपी दलाल के लोहारू हलके से 8,319 और बिशम्बर बाल्मीकि के बवानी खेड़ा हलके से भी कांग्रेस उम्मीदवार को बढ़त मिली। 

इन इलाकों में भी पिछड़ी बीजेपी
बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ भले ही दिल्ली में बीजेपी की सभी सातों सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में कामयाब हो गए हो, लेकिन उनके खुद के हलके बादली में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा बीजेपी की चुनाव प्रचार प्रबंधन कमेटी के चेयरमैन सुभाष बराला के टोहाना हलके से भी कांग्रेस को बढ़त मिली। बीजेपी को समर्थन करने वाले जेजेपी के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग के हलके में भी कांग्रेस को बढ़त मिली। नारनौंद से जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम के हलके में भी बीजेपी को बढ़त नहीं मिल पाई, यहां भी कांग्रेस आगे रही। 

इन मंत्रियों के इलाकों में मिली बढ़त
हालांकि बीजेपी के लिए राहत की बात यह रही की कैबिनेट में शामिल 8 अन्य मंत्रियों और नेताओं के इलाकों में उन्हें बढ़त मिली। इनमें बनवारी लाल के बावल इलाके से बीजेपी को 22,249, सुभाष सुधा के थानेसर से 18,533, महीपाल ढांडा के पानीपत ग्रामीण से 42,076, कमल गुप्ता के हिसार से 36,605, संजय सिंह के सोहना से 6,109, सीमा त्रिखा के बड़खल इलाके से 34,274, अभय यादव के नांगल चौधरी इलाके से 2472 और मूलचंद शर्मा के बल्लभगढ़ से बीजेपी को 42,695 वोटों की बढ़त मिली। 

कांडा बंधुओं का प्रचार भी नहीं आया काम
हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा ने सिरसा और उनके भाई गोबिंद कांडा ने रानिया हलके में खुलकर बीजेपी के पक्ष में प्रचार किया था, लेकिन इन दोनों स्थानों पर भी कांग्रेस उम्मीदवार को ही बढ़त मिली। हालांकि रानियां से रणजीत चौटाला खुद भी विधायक थे। 

हर दल ने दी थी विधायकों को टिकट
इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी और इनेलो हर पार्टी की ओर से अपने कुछ विधायकों को भी लोकसभा के दंगल में उतारा गया था। इनमें कांग्रेस ने 2, जबकि बीजेपी, जेजेपी और इनेलो ने अपने एक-एक विधायक को लोकसभा की टिकट दी थी। इनमें से केवल कांग्रेस के मुलाना से विधायक वरुण चौधरी ही चुनाव जीत पाए हैं। इसके अलावा बीजेपी ने चार सांसदों को फिर से चुनावी मैदान में उतारा था। इनमें 3 सांसद फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत और महेंद्रगढ़-भिवानी से धर्मबीर सिंह ही जीत पाए, जबकि रोहतक से डॉ. अरविंद शर्मा को हार का सामना करना पड़ा। 

देवीलाल परिवार के सभी प्रत्याशी हारे
2024 के इस लोकसभा चुनाव में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार से चार लोग चुनावी मैदान में थे। इनमें हिसार से उनके बेटे रणजीत चौटाला, पौत्रवधू नैना और सुनैना चौटाला एक-दूसरे के आमने-सामने चुनाव लड़ रहे थे। इसके अलावा कुरुक्षेत्र से उनके पोते अभय चौटाला चुनावी मैदान में थे। ये चारों ही चुनाव हार गए। 

नोटा का वोट प्रतिशत बढ़ा
इस बार के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में नोटा पर भी लोगों ने अच्छा विश्वास जताया। यहीं कारण है कि 2009 और 2014 के चुनाव की तुलना में इस बार नोटा को अधिक वोट मिले। इस बार 43,026 मतदाताओं ने नोटा पर अपनी मुहर  लगाई। इनमें फरीदाबाद में सबसे अधिक 6754 और सबसे कम रोहतक और सोनीपत में 2320-2320 वोट नोटा को मिले। 2019 के चुनाव में नोटा को 42,781 वोट मिले थे।

203 प्रत्याशियों की जमानत हुई जब्त
इस बार के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में 223 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें बीजेपी और कांग्रेस के 20 प्रत्याशियों को छोड़कर शेष सभी 203 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। इनेलो के अभय सिंह चौटाला 78,362 और संदीप लोट 92,279 वोट हासिल करने के बाद भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए। जेजेपी का भी कोई प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाया। जमानत राशि बचाने के लिए कुल वोटिंग में से 16.6 फीसदी वोट हासिल करना जरूरी होता है। इससे कम वोट आने पर जमानत राशि चुनाव आयोग की ओर से जब्त कर ली जाती है। 

 


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Content Writer

Isha

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