पिता की मौत, ओलंपिक में चोट, फिर भी विनेश का जज्बा बरकरार

punjabkesari.in Saturday, Apr 14, 2018 - 10:52 PM (IST)

चरखी दादरी(प्रदीप साहू): आस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में चल रहे 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहलवान विनेश फौगाट न सिर्फ शारीरिक पहलवान हैं, वे मानसिक पहलवान भी हैं। विनेश के पिता का कई साल पहले देहांत हो गया। यहां तक कि पिछले ओलंपिक रियो में उन्हें ऐसी चोटी लगी कि बिस्तर पकडऩा पड़ा। इसके बावजूदभी दादरी की बहादुर बेटी विनेश का जज्बा कम नहीं हुआ, फलस्वरूप गोल्डकोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता और देश का नाम चमकाया।

ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फौगाट ने विनेश व उसकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ उन्हें अखाड़े में उतारा। ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेकर विनेश फौगाट ने कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगाने का कार्य किया है। बबीता के रजत पदक के बाद विनेश से गोल्ड जीतने की आस थी, जोकि आज पूरी हुई। परिवार, क्षेत्र के लोग विनेश की इस उपलब्धि पर खुशी से झूम उठे।

दादरी जिले के गांव बलाली निवासी द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फौगाट की भतीजी और गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फौगाट ने 21वें कॉमनवेलथ में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद विनेश फौगाट काफी समय पर बिस्तर पर रहीं फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और फिर से अखाड़े में उतरकर कड़ी मेहनत की। 

विनेश के पिता व महाबीर फौगाट के भाई राजपाल जो रोडवेज विभाग में ड्राइवर थे, की वर्ष 2003 में मौत हो गई थी। जिसके बाद महावीर फौगाट ने विनेश और उसकी बहन प्रियंका को अपनाया और पहलवानी की ट्रेनिंग दी। विनेश ने भी अपने ताऊ जी का मान रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाते हुए एक गोल्ड सहित 8 मेडल जीतकर उनका और देश का नाम रोशन किया है। 

विनेश फौगाट चोट लगने से पूर्व 48 किलोग्राम वर्ग में खेलती थी। सरकार द्वारा विनेश की प्रतिभा व उसके खेल को देखते हुए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था। विनेश वर्ष 2014 कॉमनवेल्थ में गोल्ड और 2014 एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।


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Shivam

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