इस तारीख से पहले यदि की धान की रोपाई तो होगी सख्त कार्रवाई, दिए गए सख्त निर्देश
punjabkesari.in Tuesday, May 24, 2022 - 05:06 PM (IST)
इंद्री (मेनपाल): इंद्री हल्के में कृषि विभाग की और से धान की रोपाई करने वालो के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। नीचे खिसक रहे भूजल स्तर को देखते हुए सरकार द्वारा निर्देश दिए गए थे कि किसान 15 मई से पहले धान की नर्सरी व 15 जून से पहले धान की रोपाई ना करें क्योंकि लगातार नीचे खिसक रहा वाटर लेवल सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
इस विषय में जानकारी देते हुए कृषि विभाग के एसडी ओ डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि पानी की समस्या को देखते हुए किसानों को जागरूकता शिविर लगाकर भी जागरूक किया जा चुका है लेकिन कुछ किसान समय से पूर्व धान की रोपाई कर रहे हैं। इसको लेकर विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। मंगलवार को गांव खेड़ी मानसिंह, बयाना, गढ़ी गुजरान ,समोरा आदि कई गांव में धान को नष्ट करने के लिए कार्रवाई की गई है।
खेड़ी मानसिंह में किसान द्वारा 2 एकड़ में धान की रोपाई की गई थी जिसे कृषि विभाग के अधिकारियों की देखरेख में दवाई से स्प्रे कर नष्ट करवाया गया। वहीं किसान को चेतावनी दी गई कि शीघ्र ही इस खेत का पानी निकाल दें। सरकार के निर्देशानुसार 15 जून से पहले धान की रोपाई नहीं हो सकती।
उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए कहा लगातार नीचे खिसक रहा भू जल स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। यदि इसी प्रकार से किसान पानी का दोहन करते रहे तो धान को छोड़कर अन्य फसलें लगाना भी मुश्किल हो जाएगा। यह बात किसानों को समझ लेनी चाहिए कि आने वाले समय में पानी के पीने की समस्या भी खड़ी हो सकती है।
उन्होंने बताया कि किसानों को कई दिन पहले नोटिस दिए गए थे कि वह अपनी फसल को स्वयं नष्ट कर दें अन्यथा कृषि विभाग कार्रवाई करेगा । लेकिन किसानों ने फसल को नष्ट नहीं किया जिसको लेकर आज कृषि विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे व फसल को नष्ट करवाया।
उन्होंने बताया कि यदि किसान मक्का, ज्वार,उड़द, मूंग आदि फसलों को उगाते हैं तो सरकार की तरफ से 7000 रुपए किसान को प्रति एकड़ दिए जाएंगे और अबकी बार इसकी कोई लिमिट नहीं है। किसान जितने भी एकड़ में अन्य फसलें उगाते हैं उन्हें प्रति एकड़ के हिसाब से 7000 रुपए किसान के खाते में सरकार की तरफ से भेज दिए जाएंगे इसके अलावा जिन खेतों में जलभराव की समस्या है उन्हें खाली रखते हैं, उन किसानों को भी 7 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार की तरफ से दिए जाएंगे।
डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि जिन किसानों ने नोटिस के पश्चात फसल को नष्ट नहीं किया उन पर दस हजार रुपए प्रति हेक्टेयर, प्रति महीना के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा । यह कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।
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