बंदरों को पिंजरे में बंद कर नगरपालिका ठेकेदार ने दिखाई क्रूरता

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2019 - 06:31 PM (IST)

सोनीपत(पवन राठी): आजाद रहना हर किसी को अच्छा लगता है। जहां तक इंसानों की बात करे तो वह आजाद रहते हैं, तो फिर पशु-पक्षियों की आजादी छीनने का हक इंसानों को किसने दिया। सोनीपत के खरखोदा नगरपालिका में ठेकेदार की ऐसी क्रूरता सामने आई है जिसे देखकर आप का भी दिल पसीज जाएगा। बता दें ठेकेदार को बंदर पकड़ने का ठेका मिला हुआ था जिसके बाद ठेकेदार ने बंदरो को पकड़ने के बाद पिंजरों में बंद कर जलती गर्मी में नगर पालिका कार्यालय में छोड़ दिया।

पिछले कई दिनों से ये बन्दर इन्ही पिंजरों में कैद है और आज़ादी के लिए छटपटा रहे है। पिंजरे में बंद यह बंदर अपनी रिहाई के लिए किसी से प्रार्थना कर रहे हैं। ठेकेदार ने 47 डिग्री तापमान में इन्हें छोटे छोटे पिंजरों में ठूस ठूस कर भर दिया है। बंदरो पर ये क्रूरता इसलिए कि जा रही है क्योंकि इन्हें शहर से बाहर भेजने का ठेका निगम ने ठेकेदार को दिया है। जिसके बदले उसे 600 रुपए एक बंदर पकड़ने की एवज में मिलते है।

ठेकेदार को बंदरो को पकड़ने के बाद दूर जंगल मे छोड़ना होता है लेकिन यहां पर ठेकेदार ने इन बंदरो के साथ क्रूरता करते हुए उन्हें कैद पिंजरों में डाल दिया है। ये पूरा मामला जब मीडिया के सामने पहुंचा तो अधिकारी सफाई देते नजर आए। खरखोदा तहसीलदार राजबीर सिंह ने कहा कि उन्हें अभी मामले का पता चला है और ठेकेदार को आदेश दे दिए गए है कि बंदरो को जल्द जंगल मे छोड़ा जाए।

मीडिया में मामला सामने आने के बाद इन बेजुबानों को छोड़ने की बात कही जा रही है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि नगरपालिका अधिकारियों और ठेकेदारों को इन बेजुबान जानवरो पर अत्याचार करने का अधिकार किसने दिया और जब ये मामला अधिकारियों के संज्ञान में है तो क्या पशु क्रूरता अधिनियम के तहत दोषियों पर कार्रवाई हो पाएगी।

 


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kamal

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